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    'ये अनैतिक है', SC के फैसले पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने उठाए सवाल; डीएमके ने बताया- किसकी कितनी है शक्ति

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Fri, 18 Apr 2025 11:46 AM (IST)

    8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी के जरिए सलाह दी थी कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर राज्यपालों द्वारा भेजे गए लंबित विधेयकों पर फैसला ले लेना चाहिए। इस टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया दी थी। उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए बयान को लेकर तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने उनकी आलोचना की है और आलोचना को अनैतिक बताया है।

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    उपराष्ट्रपति के बयान की डीएमके ने की आलोचना (फाइल फोटो)

    पीटीआई, चेन्नई। 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी के जरिए सलाह दी थी कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर राज्यपालों द्वारा भेजे गए लंबित विधेयकों पर फैसला ले लेना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया दी थी और इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी।

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    उपराष्ट्रपति के बयान पर डीएमके ने जताई आपत्ति

    उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए बयान को लेकर तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने उनकी आलोचना की है। डीएमके की ओर से कहा गया कि उपराष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करना 'अनैतिक' है।

    डीएमके के उपमहासचिव और राज्यसभा सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा, "संविधान के अनुसार शक्तियों के बंटवारे के तहत कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के पास अलग-अलग शक्तियां हैं।"

    डीमके नेता ने एक्स पर किया पोस्ट

    उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "जब तीनों अपने-अपने क्षेत्रों में काम करते हैं तो किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि संविधान सर्वोच्च है। राज्यपालों और राष्ट्रपति की भूमिका पर अनुच्छेद 142 के तहत हाल ही में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने निस्संदेह यह स्थापित कर दिया है कि संवैधानिक प्राधिकारी होने के नाम पर कोई भी व्यक्ति संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करने वाले विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोक कर नहीं रख सकता है।"

    डीएमके नेता ने कहा, "इस सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियां अनैतिक हैं! हर नागरिक को यह पता होना चाहिए कि भारत में कानून का शासन कायम है।"

    उपराष्ट्रपति ने क्या बयान दिया था?

    बता दें, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका को कड़े शब्द तब कहे थे जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा विचार के लिए रखे गए विधेयकों को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी देने के लिए समयसीमा तय की।

    धनखड़ ने कहा था, "हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, कार्यकारी कार्य करेंगे, सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता।"

    'राष्ट्रपति को आदेश देना लोकतंत्र के खिलाफ', सुप्रीम कोर्ट की किस टिप्पणी पर भड़के उपराष्ट्रपति धनखड़?

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