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    हिंद महासागर में चीन को रोकने के लिए भारतीय नौसेना को तीन विमान वाहक पोतों की जरूरत- वाइस एडमिरल हम्पीहोली

    By Achyut KumarEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2022 03:10 AM (IST)

    दक्षिणी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल हम्मपीहोली ने कहा है कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए भारतीय नौसेना को तीन विमान वाहक पोतों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आइएसी विक्रांत के इर्द-गिर्द केंद्रित युद्धपोत समय आने पर बेजोड़ अवरोध प्रदान करेंगे।

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    वाइस एडमिरल एम ए हम्पीहोली (फाइल फोटो)

    कोच्चि, एजेंसी। दक्षिणी नौसेना कमान (SNC) के प्रमुख वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली (Vice Admiral M A Hampiholi) ने कहा है कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की मौजूदगी को रोकने के लिए भारतीय नौसेना (Indian Navy) को तीन विमान वाहक पोतों की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आइएसी विक्रांत (IAC Vikrant) के इर्द-गिर्द केंद्रित कैरियर बैटल ग्रुप (CBG) जरूरत पड़ने पर बेजोड़ लचीलापन और अवरोध प्रदान करेगा।

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    दो सितंबर को नौसेना में शामिल होगा आइएसी विक्रांत

    बता दें कि विक्रांत भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत (Indigenous Aircraft Carrier 1) है, जिसे दो सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) नौसेना में शामिल करेंगे। सीबीजी नौसेना का बेड़ा है, जिसमें एक बड़ा विमान वाहक पोत और उसके चारों तरफ छोटे-छोटे युद्धपोत होते हैं। किसी-किसी बेड़े में पनडुब्बी भी शामिल होती है।

    भारतीय नौसेना को तीन विमानवाहक पोतों की जरूरत- हम्पीहोली

    हम्पीहोली ने कहा कि अपनी समुद्री सुरक्षा क्षमता को मजबूत करने और भविष्य में विभिन्न खतरों को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना को तीन विमान वाहक पोतों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसमें से एक पश्चिम में, एक पूर्व में और तीसरा, यदि उपलब्ध नहीं है तो निश्चित रूप से रखरखाव में होगा।

    समुद्र में भारत के पास होगी वायु सुरक्षा की ताकत

    वाइस एडमिरल ने कहा कि विक्रांत के चारों तरफ मौजूद सीबीजी से भारतीय नौसेना को बेजोड़ लचीलापन मिलेगा। उसकी अवरोधक क्षमता मजबूत होगी। इसकी मौजूदगी से बीच समुद्र में भारत के पास वायु सुरक्षा की ताकत होगी।

    विक्रांत की केबल की लंबाई कोच्चि-दिल्ली की दूरी के बराबर

    वाइस एडमिरल हम्पीहोली ने बताया कि आइएसी विक्रांत में इस्तेमाल किए गए कुल केबल की लंबाई 2,400 किलोमीटर है, जो कोच्चि से दिल्ली की दूरी के बराबर है। उन्होंने यह भी बताया कि इस स्वदेशी विमान वाहक पोत के निर्माण में जितने स्टील का उपयोग हुआ है, उतने में चार एफिल टावर बनाए जा सकते हैं।