World Vegan Day 2022: शाकाहार या मांसाहार विज्ञान किसे मानता है सर्वोत्तम आहार?
यदि लोग मांस खाना छोड़ दें तो प्रदूषण एक बड़ी हद तक कम हो जाएगा और कई समस्याएं स्वत सुलझ जाएंगी। भारत शाकाहार का गढ़ है। इसकी एक वजह हमारे शास्त्रों द्वारा मांसाहार के प्रति एक नकारात्मक धारणा है।
नई दिल्ली, देवेंद्र राज सुथार। हर साल एक नवंबर को ‘वर्ल्ड वीगन डे’ मनाया जाता है। वीगन शाकाहार का और विशुद्ध स्वरूप है, जिसमें खानपान का चयन बड़ी सावधानी से किया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य शाकाहार के प्रति जागरूकता का प्रसार करना है। भारत की तो पहचान ही शाकाहार के साथ जुड़ी रही है, लेकिन दुनिया के दूसरे कोनों में भी शाकाहार के प्रति खासा आकर्षण रहा है। समय-समय पर दुनिया भर के दिग्गज शाकाहार से प्रभावित रहे हैं।
शाकाहार या मांसाहार विज्ञान किसे मानता है सर्वोत्तम आहार?
अल्बर्ट आइंस्टीन कहते थे कि शाकाहार का हमारी प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है और यदि दुनिया शाकाहार को अपना ले, तो इंसान का भाग्य पलट सकता है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी लियोनार्डो द विंची तो पिंजरों में कैद पक्षियों को खरीदकर उन्हें उड़ा दिया करते थे। विज्ञान कहता है कि शाकाहार सर्वोत्तम आहार है, जिससे तमाम बीमारियों से बचा जा सकता है।
शाकाहारी व्यक्ति कम होते हैं रोगों का शिकार
भारत शाकाहार का गढ़ है। इसकी एक वजह हमारे शास्त्रों द्वारा मांसाहार के प्रति एक नकारात्मक धारणा है। कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं, जो बताते हैं कि शरीर के लिए मांसाहार कितना बुरा है। विज्ञान के अनुसार, शाकाहारी लोग मांसाहार करने वालों की तुलना में अवसाद के शिकार कम होते हैं। गीता के अनुसार मांसाहार खाना राक्षसी गुण है। मांस का सेवन करना तामसिक भोजन कहलाता है। इस तरह का भोजन करने वाले लोग दुखी, आलसी और रोगी होते हैं। महाभारत में कहा गया है कि कोई व्यक्ति यदि 100 अश्वमेध यज्ञ करता है और दूसरा व्यक्ति पूरे जीवन मांस को हाथ नहीं लगाता है तो दोनों में से बिना मांस खाने वाले व्यक्ति को कहीं ज्यादा पुण्य मिलता है।
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मांसाहार को लोकप्रिय बनाने में किसका हाथ?
भूमंडलीकरण के इस दौर में हमारी जीवनशैली में द्रुतगामी परिवर्तन हुए हैं। इसने हमारे आचार-विचार से लेकर बोलचाल व खानपान तक को प्रभावित किया है। दुनिया भर में स्वाद और सेहत के लिहाज से मांसाहार आज अहम प्रतीक माना जाने लगा है। आर्थिक विकास और औद्योगीकरण ने मांसाहार को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही कारण है कि शहर हो या गांव आजकल हर जगह मांस की मंडी सज रही है।
लोग मांस खाना छोड़ दें, तो प्रदूषण बड़ी हद तक कम हो जाएगा
दुनिया की एक बड़ी आबादी केवल और केवल बेजुबान पशुओं व पक्षियों के मांस पर निर्भर है। मांसाहार का चलन हमारे मन-मस्तिष्क पर कई दुष्परिणाम छोड़ रहा है। फिर भी मांसाहार अधिकतर लोगों के भोजन का अहम हिस्सा बना हुआ है। दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण भी मांसाहार को माना जा रहा है। यदि लोग मांस खाना छोड़ दें तो प्रदूषण एक बड़ी हद तक कम हो जाएगा। इससे जलवायु परिवर्तन की चुनौती का कुछ हद तक समाधान होने की संभावना है, जो इस समय मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनी हुई है।
(लेखक शोध अध्येता हैं)
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