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    डाटा प्रोटक्शन बिल में सभी के लिए सिर्फ 'She' और 'Her' का इस्तेमाल, यूजर्स को आनलाइन नुकसान से बचाना उद्देश्य

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 11:28 PM (IST)

    नारी सशक्तीकरण के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब भारत के विधायी इतिहास में पहली बार मसौदा कानून में हर और शी जैसे सर्वनामों का इस्तेमाल सभी लिंगों को दर्शाने के लिए किया गया है।

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    बिल में यूजर्स को आनलाइन नुकसान से बचाना उद्देश्य

    नई दिल्ली, एएनआइ: नारी सशक्तीकरण यानी सीधे और सपाट शब्दों में कहें तो समाज में महिलाओं को उनके वास्तविक अधिकार को हासिल करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना। एक सशक्त नारी ही अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज निर्माण में बेहतर योगदान दे सकती है। नारी सशक्तीकरण के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब भारत के विधायी इतिहास में पहली बार मसौदा कानून में 'हर' और 'शी' जैसे सर्वनामों का इस्तेमाल सभी लिंगों को दर्शाने के लिए किया गया है। अब तक पुरुषों के लिए 'ही' और 'हिज' का प्रयोग किया जाता था।

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    बिल में महिलाओं के प्राथमिकता

    डिजिटल पर्सनल प्रोटेक्शन बिल 2022 का मसौदा शुक्रवार को सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया। इसमें इन दोनों सर्वनामों का उल्लेख है। 'शी' और 'हर' का प्रयोग कर महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है। यहां ये भी बता दें कि 'ही' और 'शी' का हिंदी अर्थ वह होता है और 'हिम' और 'हर' का अर्थ उसका होता है। केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार जिस सोच के साथ महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रही है, उसी अनुसार हमने पूरे विधेयक में 'हिम' और 'हिज' के बजाय 'शी' और 'हर ' शब्द का उपयोग करने का प्रयास किया है। यह बिल एक अभिनव प्रयोग है। बिल का फोकस इंटरनेट यूजर्स को आनलाइन नुकसान से बचाना और एक सुरक्षित और भरोसेमंद डिजिटल इकोसिस्टम बनाना है। भारत आज एक डिजिटल इकोनामी पावरहाउस है।

    नया मसौदा बिल लेकर आई सरकार

    संसद के निचले सदन से डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को वापस लेने के तीन महीने बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जनता से विचार मांगने के लिए एक नया मसौदा बिल लेकर आई है। केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान विधेयक को पेश किए जाने के कई महीने बाद लोकसभा से इसे वापस ले लिया। वैष्णव ने पहले कहा था कि विधेयक इसलिए वापस लिया गया क्योंकि संयुक्त संसदीय समिति ने 99 धाराओं वाले इस विधेयक में 81 संशोधनों की सिफारिश की थी। इसके अलावा उसने 12 और प्रमुख सिफारिशें कीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब जनता के परामर्श के बाद नए सिरे से विधेयक पेश किया जाएगा। अब इस पर लोगों से 17 दिसंबर तक सुझाव मांगे गए हैं।

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    सरकार ने डाटा का हेरफेर किया तो वह भी जवाबदेह

    सरकार ने हाल ही में एक नया डाटा प्राइवेसी बिल 'डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022' प्रस्तावित किया है। इस बिल को यूजर्स के पर्सनल डाटा को रेगुलेट करने के लिए तैयार किया गया है। अगर कोई कंपनी किसी यूजर के निजी डाटा का गलत इस्तेमाल करती है तो उस पर भारी जुर्माना लगेगा। डाटा का इस्तेमाल करने से पहले कंपनी को यूजर की अनुमति लेनी होगी। बैंक से लेकर डिजिटल प्लेटफार्म तक यूजर का निजी डाटा नहीं रख पाएंगे। आइएएनएस के मुताबिक उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि डाटा उल्लंघन के मामले में सरकार को भी डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक के प्रविधानों के अनुसार जवाबदेह ठहराया जाएगा। अगर सरकार डाटा का हेर-फेर करती है तो उसे भी जुर्माना देना होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो डाटा उल्लंघन के मामले में सरकार को भी छूट नहीं है।