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रासायनिक खाद का विकल्प बनेगी गंगा की गाद, भारत सरकार की इस योजना से नदी की रसायनों से होगी रक्षा

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि सरकार गंगा नदी की गाद से खाद बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। सरकार का मानना है कि इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 20 Mar 2022 07:31 PM (IST)Updated: Sun, 20 Mar 2022 07:41 PM (IST)
गंगा नदी की गाद से खाद बनाने पर विचार किया जा रहा है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। गंगा से एकत्र गंदे पानी को साफ कर औद्योगिक इकाइयों को बेचने के साथ ही सरकार गंगा नदी की गाद से खाद बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और गंगा में रसायनों के जाने से भी रोका जा सकेगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि फास्फोरस और पोषक तत्वों से भरपूर गंगा का ट्रीटेट जल फसलों के लिए बहुत फायदेमंद है।

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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक अशोक कुमार ने प्रेट्र से कहा कि हमने पाया है कि गाद को ट्रीट कर खाद की तरह बनाया जा सकता है। अब गंगा की गाद को रासायनिक खाद के विकल्प के तौर पर तैयार करने पर विचार किया जा रहा है और पिछले दो हफ्ते में इसको लेकर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। गाद से तैयार खाद रियायती दरों पर किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

अशोक कुमार ने कहा कि अगर गाद में कुछ अन्य पोषक तत्वों को मिला दिया जाता है तो यह रासायनिक खाद के समान फायदे मंद हो सकता है। इससे जैविक खेती में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि गाद से खाद बनाने के लिए कई कंपनियों से बातचीत चल रही है। किसान इसका प्राकृतिक खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे गंगा नदी में गाद की समस्या से निजात मिलेगी।

उन्होंने कहा कि किसानों को अगर यह खाद उचित मूल्य पर मिलेगा तो रासायनिक खाद की जगह वे इसका ही इस्तेमाल करना पसंद करेंगे। खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम होगा तो गंगा नदी में भी रसायन की मात्रा कम होगी और प्रदूषण का स्तर घटेगा। बता दें कि गंगा नदी के किनारे के खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल होता है। बारिश के साथ ये रसायन बहकर गंगा नदी में मिल जाते हैं। रासायनिक खाद में शामिल फास्फेट और नाइट्रेट जल प्रदूषण का मुख्य कारक होता है। 


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