USAID की मदद से भारतीय चुनावों में 'हस्तक्षेप' को लेकर हो रही जांच, ED समेत कई एजेंसियां कर रहीं पड़ताल
USAID की मदद से भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप करने वाले व्यक्तियों एनजीओ और संस्थाओं की जांच शुरू हो गई है। ईडी और अन्य एजेंसियां विदेशी सहायता के दुरुपयोग की पड़ताल कर रही हैं जिनके खिलाफ फेमा और एफसीआरए के तहत कार्रवाई हो सकती है। अमेरिकी सरकार द्वारा 21 मिलियन डॉलर की मदद पर चिंता जताई गई है जिसके बाद कानूनी कार्रवाई लाइसेंस रद्द और मनी लॉन्ड्रिंग जांच की संभावना है।
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। मतदाताओं को जागरुक करने की आड़ में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल असिस्टेंस (USAID) की मदद से भारत में चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने वालों की पड़ताल शुरू हो गई है।
ईडी और एफसीआरएस के साथ-साथ अन्य एजेंसियां ऐसे एनजीओ, संस्थाओं, व्यक्तियों की पहचान में जुट गई हैं, जिन्हें यूएसएड से सहायता मिली है। एक बार पहचान हो जाने के बाद विदेशी सहायता के दुरुपयोग के मामले में उनके खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत कार्रवाई शुरू हो सकती है। इसके साथ ही उनका एफसीआरए लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है।
मनी लॉन्ड्रिंग की भी शुरू की जा सकती है कार्रवाई
चुनाव प्रक्रिया प्रभावित करने के पुख्ता सबूत मिलने के बाद जनप्रतिनिधित्व कानून की संबंधित धाराओं के तहत सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी को जांच सौंपने के साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग की भी कार्रवाई शुरू की जा सकती है। ध्यान देने की बात है कि विदेश मंत्रालय ने शनिवार को भारतीय चुनाव प्रक्रिया प्रभावित करने के लिए यूएसएड से 21 मिलियन डॉलर (लगभग 181 करोड़ रुपये) की फंडिंग पर गहरी चिंता जताई थी। इसके साथ ही कई एजेंसियों की ओर से इसकी पड़ताल किये जाने का दावा किया था।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार शुरूआती पड़ताल की कमान ईडी के हाथ में है, जिसे फेमा उल्लंघन के मामले में जांच करने का अधिकार है। फेमा कानून विदेश से प्राप्त धन के कानूनन उपयोग सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही किसी एनजीओ को विदेशी सहायता प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से विदेशी सहायता नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस लेना होता है।
एफसीआरए में स्पष्ट प्रविधान है कि विदेशी सहायता का उपयोग सिर्फ उन्हीं मकसदों के लिए हो सकता है, जिसके लिए उन्हें दिया गया है। विदेशी सहायता के दुरुपयोग की स्थिति में एनजीओ या संस्था का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
प्रारंभिक दौर में जांच
पिछले सालों में विदेशी सहायता के दुरुपयोग के आरोप में हजारों एनजीओ और संस्थाओं के FCRA लाइसेंस रद्द हो चुके हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल जांच प्रारंभिक दौर में है और जल्द ही विदेश मंत्रालय के मार्फत अमेरिका से यूएसएड से सहायता लेने वाले भारतीय संस्थाओं और व्यक्तियों की आधिकारिक जानकारी मांगी जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही यूएसएड की ओर से दिये जाने वाले 21 मिलियन डॉलर की सहायता की जानकारी भारत के साथ साझा करने की घोषणा कर चुके हैं।
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एक बार अमेरिका से आधिकारिक जानकारी मिलने के बाद संबंधित एनजीओ, संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ फेमा और जनप्रतिनिधित्व कानून की धाराओं के तहत औपचारिक कार्रवाई शुरू की जाएगी। जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत एफआईआर दर्ज होने की स्थिति में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत भी जांच शुरू कर सकती है।
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