कभी भारत पर आरोप लगाते थे ट्रंप, अब अमेरिका ही बन गया टैरिफ किंग; भारतीय सामानों पर वसूल रहा इतना शुल्क
अमेरिका द्वारा भारत पर अधिक टैरिफ लगाने का आरोप लगाया जा रहा है जबकि अमेरिका खुद टैरिफ किंग बन गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की आलोचना हो रही है पर वो बेफिक्र हैं जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता है। भारत की कई वस्तुओं पर अमेरिका में 70% से अधिक शुल्क लगेगा जिससे भारतीय निर्यात प्रभावित होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत पर अधिक टैरिफ वसूलने का आरोप लगाने वाला अमेरिका खुद टैरिफ किंग बन गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की हालांकि खुद अमेरिका में आलोचना शुरू हो गई है लेकिन वह बेफिक्र हैं और इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असमंजस है। भारत की कई वस्तुओं पर अब अमेरिका के बाजार में 70 प्रतिशत से अधिक का शुल्क लगेगा जिससे अमेरिका में भारतीय वस्तुओं का निर्यात प्रभावित होना तय माना जा रहा है।
अमेरिका ने दुनिया के 50 से अधिक देशों पर नए सिरे से शुल्क लगाया है और सभी देशों पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी की गई है। अमेरिका ने भारत पर सबसे अधिक 50 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। इसके अलावा पारस्परिक शुल्क की घोषणा से पूर्व की अवधि में लगने वाले शुल्क को भी जारी रखा गया है। उदाहरण के लिए भारतीय लेदर आइटम पर इस साल अप्रैल से पहले अमेरिका के बाजार में औसतन 8.5 प्रतिशत का शुल्क लगता था।
लेदर आइटम पर 58.5 प्रतिशत शुल्क
यह शुल्क अभी के 25 प्रतिशत के साथ जारी रहेगा। यानी कि अभी लेदर आइटम पर 33.5 प्रतिशत का शुल्क लग रहा है। आगामी 27 अगस्त से भारत पर लगने वाला टैरिफ 25 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा। तब लेदर आइटम पर अमेरिका के बाजार में 58.5 प्रतिशत का शुल्क लगेगा। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने बताया कि पारस्परिक शुल्क की घोषणा से पहले अमेरिका के बाजार में विभिन्न प्रकार के भारतीय गारमेंट पर 2-32 प्रतिशत का शुल्क लगता था और भारतीय गारमेंट पर औसतन शुल्क 16.5 प्रतिशत बैठता है।
इसका मतलब यह हुआ कि अभी भारतीय गारमेंट पर 25 प्रतिशत और औसतन 16.5 प्रतिशत यानी कि 41.5 प्रतिशत का शुल्क लग रहा है जो 27 अगस्त से 50 प्लस 16.5 प्रतिशत यानी कि 66.5 प्रतिशत हो जाएगा। रूसी तेल खरीदने के कारण अमेरिका में भारत पर 25 प्रतिशत का जुर्माना लगाया है। जबकि रूसी तेल खरीदने वाले चीन को ट्रंप नजरअंदाज कर गए। कुछ चुनिंदा गारमेंट पर अप्रैल से पहले 32 प्रतिशत का शुल्क था। उन आइटम पर 27 अगस्त के बाद अमेरिका में 82 प्रतिशत तक का शुल्क लगेगा।
खरीदारों ने पुराने ऑर्डर को होल्ड किया
निर्यातकों का कहना है कि शुल्क में इतनी भारी बढ़ोतरी के बाद अगले महीने से अमेरिका के बाजार में निर्यात लगभग असंभव हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका के खरीदारों ने पुराने ऑर्डर को होल्ड पर कर दिया है। नए ऑर्डर का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। दूसरी तरफ भारत अमेरिका से किसी भी आइटम पर औसतन 50 प्रतिशत का शुल्क नहीं वसूलता है। कृषि व प्रोसेस्ड फूड व मांस का भी औसत शुल्क देखा जाए तो यह 37.66 प्रतिशत बैठता है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव के मुताबिक ऑटोमोबाइल में भारत अमेरिका से औसतन 24.14 प्रतिशत, हीरे व सोने के उत्पाद पर 15.45 प्रतिशत तो केमिकल्स व फार्मा पर औसतन 9.68 प्रतिशत का शुल्क लेता है। अमेरिकी टेक्सटाइल व क्लोथिंग पर भारत औसतन 10.8 प्रतिशत का शुल्क लेता हे जबकि अन्य प्रमुख आइटम पर भारत अमेरिकी वस्तुओं पर 10 प्रतिशत से कम ही शुल्क वसूलता है।
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