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    VIDEO: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से बरामद हुई अमेरिकी रायफल, पाकिस्तानी सेना करती है इस्तेमाल

    By Nitin AroraEdited By:
    Updated: Sat, 15 Jun 2019 09:21 PM (IST)

    नक्सलियों के पास अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति तस्करी के जरिये होती है। इनमें विशेषकर पाकिस्तान में इस्तेमाल होने वाले हथियार होते हैं। ...और पढ़ें

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    VIDEO: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से बरामद हुई अमेरिकी रायफल, पाकिस्तानी सेना करती है इस्तेमाल

    कांकेर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के ताड़ोकी थाना क्षेत्र स्थित मुरनार व मालापारा के बीच जंगल में गुरुवार रात हुई मुठभेड़ में पुलिस ने दो नक्सलियों को मार गिराया। इनमें एक पांच लाख का व दूसरा एक लाख का इनामी है। पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से एक जी-03 राइफल बरामद की गई है। अमेरिका में बनी इस रायफल का उपयोग पाकिस्तान व बांग्लादेश करते हैं। इससे पहले बस्तर के सुकमा जिले से भी मुठभेड़ के दौरान इस तरह की रायफल बरामद की जा चुकी है।

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    पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जॉइंट ऑपरेशन पेंसी-84 के तहत 12 जून की रात थाना ताड़ोकी, अंतागढ़, रावघाट व फॉल्कन 01 की संयुक्त टीम थाना अंतागढ़ से ग्राम छोटेमुरनार, मालापारा, मानकोट, माहुरपाट की ओर सर्चिंग के लिए रवाना हुई थी।

    गुरुवार रात करीब नौ बजे छोटेमुरनार व मालापारा के बीच जंगल में घात लगाए नक्सलियों ने इन पर फायरिंग शुरू कर दी। दोनों तरफ से करीब पौन घंटे की फायरिंग के बाद नक्सली जंगल व पहाड़ी का फायदा उठाकर भाग निकले। घटनास्थल की सर्चिंग करने पर दो वर्दीधारी नक्सलियों के शव बरामद हुए हैं।

    इनकी शिनाख्त आमाबेड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम खड़का निवासी किसकोड़ो एरिया कमेटी अंतर्गत कोरर-बुधियारमारी एलजीएस कमांडर दीपक(21) उर्फ पीलाराम पुत्र अंजोरीराम कवाची और मानकोट निवासी किसकोड़ो एलजीएस सदस्य रतिराम उपेंडी के रूप में की गई है। दीपक पर पांच लाख व रतिराम पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित है। मुठभेड़ में कुछ नक्सलियों के मारे जाने अथवा घायल होने की आशंका भी फोर्स ने जताई है। मौके से अमेरिकी रायफल के अलावा दो और रायफल व एक बंदूक बरामद की गई है।

    तस्करी के जरिये पहुंचते हैं घातक हथियार
    सूत्रों के मुताबिक नक्सलियों के पास अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति तस्करी के जरिये होती है। इनमें विशेषकर पाकिस्तान में इस्तेमाल होने वाले हथियार होते हैं। आंध्र प्रदेश के नक्सली लीडरों के जरिये बस्तर के नक्सलियों तक ये हथियार पहुंचते हैं। मुठभेड़ के बाद फोर्स का हथियार लूटकर भी नक्सली अपनी ताकत बढ़ाते रहे हैं।

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