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    आज भारत दौरे पर आएंगे अमेरिकी एनएसए सुलिवन, यात्रा के दौरान चीनी बांधों पर करेंगे चर्चा

    अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैक सुलिवन पांच और छह जनवरी को भारत की यात्रा पर आएंगे। इस दौरान वह अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। बाइडन प्रशासन के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी का यह आखिरी भारत दौरा है। अमेरिकी एनएसए की भारत यात्रा के दौरान विभिन्न मसलों समेत चीनी बांधों पर भी चर्चा होगी।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 05 Jan 2025 05:30 AM (IST)
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    अमेरिकी एनएसए सुलिवन आज भारत के दो दिवसीय दौरे पर आएंगे (फोटो- एक्स)

     जेएनएन, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैक सुलिवन पांच और छह जनवरी को भारत की यात्रा पर आएंगे। इस दौरान वह अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। बाइडन प्रशासन के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी का यह आखिरी भारत दौरा है। अमेरिकी एनएसए की भारत यात्रा के दौरान विभिन्न मसलों समेत चीनी बांधों पर भी चर्चा होगी।

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    कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे सुलिवन

    व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि सुलिवन की यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है। इस दौरान अंतरिक्ष, रक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रणनीतिक प्रौद्योगिकी सहयोग से लेकर हिंद-प्रशांत और उससे आगे साझा सुरक्षा प्राथमिकताओं पर विस्तार से चर्चा होगी।

    अमेरिकी एनएसए के भारतीय समकक्ष के साथ चीनी बांधों के प्रभाव के बारे में भी चर्चा करने की उम्मीद है। अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी लंबे समय से भारत को एशिया और उससे आगे चीन के बढ़ते प्रभाव के जवाब के रूप में देखते रहे हैं।

    लवायु पर भी असर पड़ सकता है

    अमेरिकी अधिकारी ने कहा- ''हमने निश्चित रूप से इंडो-पैसिफिक में कई स्थानों पर देखा है कि मेकांग क्षेत्र सहित चीन द्वारा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बनाए गए बांधों से निचले देशों में न केवल पर्यावरण को नुकसान हो सकता है, बल्कि जलवायु पर भी असर पड़ सकता है।''

    बता दें कि पिछले दिनों ही चीन ने तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का चीनी नाम) पर विश्व के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दी थी। यह परियोजना भारतीय सीमा के निकट तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनेगी। ऐसे में भारत ने चीन को नदी के निचले इलाकों में बांध से उत्पन्न खतरों के बारे में अवगत करा दिया है। तिब्बत के बाद ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश से होते हुए भारत में प्रवेश करती है और बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले असम और बांग्लादेश से होकर गुजरती है।

    ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध को लेकर विवाद

    असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी कहा था कि तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध के निर्माण से असम में नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचेगा।यात्रा के दौरान सुलिवन आइआइटी दिल्ली में भारत-केंद्रित विदेश नीति पर भाषण भी देंगे। एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि सुलिवन भारत यात्रा के दौरान दलाई लामा से नहीं मिलेंगे।