अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति रिपोर्ट जारी... 4 बार हुआ भारत का जिक्र, पाक का सिर्फ एक बार; चीन पर क्या कहा?
अमेरिका ने नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत का चार बार और पाकिस्तान का एक बार उल्लेख है। रिपोर्ट में भारत को महत्वपूर्ण भागीद ...और पढ़ें

भारत, हिंद-प्रशांत में स्थिरता का स्तंभ
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका ने अपनी नवीनतम नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी (एनएसएस) रिपोर्ट जारी कर दी है। इस 48 पेज की रिपोर्ट में चीन को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी और सबसे गंभीर चुनौती बताया गया है।
रिपोर्ट में चीन पर पूरा एक अध्याय समर्पित है, जिसमें उसके सैन्य आधुनिकीकरण, आर्थिक दबाव, तकनीकी चोरी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक विस्तारवाद पर विस्तार से चर्चा की गई है।
चीन, अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती
दूसरी तरफ, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से उभरती महाशक्ति भारत का इस रिपोर्ट में सिर्फ चार बार उल्लेख है और स्वीकारा है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में जिस तरह की चुनौतियां पैदा हो रही हैं उससे निपटने के लिए भारत जैसे देशों के साथ मजबूत सहयोग की जरूरत होगी। रिपोर्ट में भारत को 'एक प्रमुख रक्षा साझेदार' और 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता का महत्वपूर्ण स्तंभ' कहा गया है।
अमेरिका स्पष्ट रूप से कहता है कि वह चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग को और गहरा करना चाहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'हम भारत के साथ अपनी प्रमुख रक्षा साझेदारी को मजबूत करना जारी रखेंगे ताकि एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सके।'
भारत, हिंद-प्रशांत में स्थिरता का स्तंभ
यह वाक्य क्वाड संगठन की निरंतरता को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक संतुलन के रूप में देखता है, न कि किसी समान स्तर के वैश्विक साझेदार के रूप में। सनद रहे कि क्वाड की सालाना शिखर बैठक इस साल भारत में होने वाली थी लेकिन नहीं हो सकी। बताया जाता है कि राष्ट्रपति ट्रंप की शुल्क नीति की वजह से भारत व अमेरिका के बीच चल रहे तनाव की वजह से ऐसा नहीं हो सका।
ट्रंप की नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी में पाकिस्तान का उल्लेख केवल एक बार ही किया गया है, वह भी मई 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान ट्रंप द्वारा दावा किए गए युद्धविराम के संदर्भ में। रिपोर्ट के बाकी हिस्से में इसका कहीं जिक्र नहीं है।
यह उपेक्षा तब और आश्चर्यजनक लगती है जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप को भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में उनकी कथित भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। पाकिस्तान के वास्तविक नेता जनरल असीम मुनीर ने वाशिंगटन डीसी की यात्रा कई बार की। फिर भी अमेरिकी रणनीति में पाकिस्तान को कोई रणनीतिक महत्व न दिए जाने से इस्लामाबाद की कूटनीतिक कोशिशें हवा में उड़ती नजर आ रही हैं।
अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग पर जोर
रिपोर्ट में चीन को 'एकमात्र ऐसा प्रतिद्वंद्वी' बताया गया है जो अमेरिका की वैश्विक शक्ति को चुनौती देने की मंशा और क्षमता दोनों रखता है। चीन पर पूरा अध्याय होने से यह साफ है कि ट्रंप प्रशासन की पूरी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति अब “चीन को रोकने'' के इर्द-गिर्द घूमती है। अमेरिका की नजर में भारत एक उपयोगी और महत्वपूर्ण साझेदार जरूर है, लेकिन वह साझेदार जिसकी जरूरत मुख्य रूप से चीन को काउंटर करने के लिए है।
रिपोर्ट में भारत का सीमित उल्लेख इस बात का प्रमाण है कि अमेरिकी नीति-निर्माता अभी भी भारत को एक स्वतंत्र महाशक्ति की बजाय हिंद-प्रशांत में चीन-विरोधी गठबंधन का हिस्सा मानकर चल रहे हैं।यह असंतुलन भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश है।

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