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    भारत-अमेरिका साझेदारी पर अमेरिकी सांसदों ने पेश किया प्रस्ताव, ट्रंप प्रशासन पर बढ़ा दबाव

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    अमेरिकी सांसदों ने भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने के लिए समर्थन दिया है, जिससे ट्रंप प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों दलों के सांसदों ने इस रिश्ते को महत्वपूर्ण बताया है। उनका मानना है कि मजबूत संबंध आर्थिक और रणनीतिक रूप से दोनों देशों के लिए फायदेमंद हैं।

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    अमेरिकी सांसदों का भारत को समर्थन

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस के साथ संबंधों को लेकर भारत पर नये दबाव बनाने की कोशिश में हैं वहीं दो दर्जन अमेरिकी सांसदों ने भारत-अमेरिका के बीच करीबी रणनीतिक साझेदारी को आधिकारिक मान्यता देने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।

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    यह प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस के सबसे पुराने भारतीय मूल के सदस्य अमित बेरा ने पेश किया है। इसके समर्थन में दोनों राजनीतिक दलों रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के दो दर्जन सदस्यों ने समर्थन दिया है। यह प्रस्ताव क्वाड संगठन के सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की बात करता है।

    माना जा रहा है कि यह जिस तरह से दो दर्जन अमेरिकी सांसदों ने इसका समर्थन किया है उससे ट्रंप प्रशासन पर दबाव बनेगा कि वह दो दशकों से भारत के साथ मजबूत हो रहे संबंधों को क्षति नहीं पहुंचाये।

    रणनीतिक साझेदारी को मान्यता का प्रस्ताव

    प्रस्ताव में दो प्रमुख बातें हैं। पहला, दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच रक्षा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, आंतकवाद विरोधी और शिक्षा क्षेत्र में लगातार मजबूत हो रहे संबंधों को रेखांकित करता है। दूसरा, क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक प्रगति और एक स्वतंत्र व खुले ¨हद प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करकता है।

    प्रस्ताव में कहा गया है, “तीन दशकों से भी ज्यादा समय से राष्ट्रपति ¨क्लटन, बुश, ओबामा, ट्रंप और बाइडेन के प्रशासन के तहत भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को म•ाबूत करना अमेरिका की नीति रही है। क्षेत्रीय स्थिरता, लोकतांत्रिक शासन, आर्थिक विकास और साझा क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के लिए भारत के महत्व को मान्यता दी गई है।''

    ट्रंप प्रशासन पर बढ़ता दबाव

    इसमें आगे कहा गया है कि, “यह प्रस्ताव 21वीं सदी की चुनौतियों, आतंकवाद की रोक-थाम और साइबर खतरों से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक का सामना करने के लिए अमेरिका और भारत के बीच निरंतर सहयोग का आह्वान करता है। यह दोनों देशों की जनता के बीच संबंधों को मान्यता देता है।