अंतिम छमाही में सात फीसद को पार सकती है विकास द,र अमेरिकी फेड रेट और जीएसटी रेट कटौती का दिखेगा असर
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती की है जिससे भारत की आर्थिक विकास दर में तेजी आने की संभावना है। जीएसटी रेट में कटौती की अधिसूचना जारी होने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि फेडरल रिजर्व की कटौती से बुलियन बाजार और वित्तीय बाजार पर सकारात्मक असर पड़ेगा। यह कटौती विदेशी निवेश को आकर्षित करेगी और रुपये को मजबूत करेगी।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 17 सितंबर 2025 को अपनी प्रमुख ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की है। इसके कुछ ही दिनों बाद भारत सरकार की तरफ से जीएसटी रेट घटाने को लेकर अधिसूचना जारी होने वाली है। यह दोनों घटनाएं चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार को सात फीसद से ज्यादा पहुंचा सकती हैं।
अमेरिकी फेड रेट में कमी का दुनिया भर पर सकारात्मक असर होने की बात विशेषज्ञ मान रहे हैं जिसका भारत पर परोक्ष लाभ होगा। साथ ही जीएसटी रेट घटाने से देश की घरेलू मांग में तेजी आने की संभावना है। ऐसे में आरबीआई पर भी नजर है जो अक्टूबर और दिसंबर, 2025 में मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है।
क्या कहना है जानकारों का?
कुछ जानकार मान रहे हैं कि दिसंबर माह में आरबीआई की तरफ से भी रेट रेट में 0.25 फीसद की कटौती संभव है। यह भी विकास दर को तेज बनाने में मदद करेगा। साथ ही फेडरल रिजर्व की कटौती का असर भारत के बुलियन बाजार और वित्तीय बाजार पर सकारात्मक असर पड़ने की संभावना भी विशेषज्ञ जता रहे हैं।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों को घटाने का दबाव राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काफी बढ़ा दिया था। ट्रंप ने अपनी शुल्क नीति की वजह से पूरी दुनिया में अस्थिरता फैला दी है और अब उन्हें लगता है कि अमेरिका में ब्याज दरें घटाई जाएंगी तो इससे उस अस्थिरता की भरपाई हो सकती है। फेड आगे भी ब्याज दरों को घटाता है तो यह भारत समेत सभी विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर अच्छा असर डालेगा।
सालाना विकास दर 7 फीसद से ज्यादा रहने की संभावना
उक्त अधिकारी के मुताबिक भारत की इकोनॉमी को आने वाले महीनों में जीएसटी कटौती लागू होने का भी फायदा होगा। ऐसे में अमेरिकी फेड रेट की कटौती का असर ज्यादा व्यापक होगा। इससे वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में सालाना विकास दर के सात फीसद से ज्यादा होने की संभावना बनी है।
सनद रहे कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 7.8 फीसद रही है। हालांकि ज्यादातर एजेंसियों ने कहा है कि पूरे वित्त वर्ष में विकास दर 6.5-6.7 फीसद रहेगी।
फेड रेट कटौती का विदेशी निवेश पर पड़ेगा प्रभाव
विशेषज्ञों के मुताबिक टैरिफ (शुल्क) को लेकर विवाद होने के बावूजद अमेरिका भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारतीय बाजार में अमेरिकी कंपनियों का निवेश लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में फेड रेट में कटौती का सबसे बड़ा प्रभाव विदेशी निवेश पर पड़ेगा। अमेरिकी दरों में कमी से डॉलर कमजोर होगा, जिससे निवेशक उच्च रिटर्न वाले बाजारों की ओर रुख करेंगे। भारत में अभी भी ब्याज दरें अपेक्षाकृत ऊंची हैं, इसलिए विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय शेयरों और बॉन्ड्स में अधिक पूंजी लगा सकते हैं। यह सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी बनाये रखने में मदद करेगा।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के एनकित मंडोलिया कहते हैं, “कम अमेरिकी यील्ड्स से उभरते बाजारों में प्रवाह बढ़ेगा, जो भारत के लिए फायदेमंद है।''
कामा ज्वेलरी के एमडी कोलिन शाह का कहना है कि अमेरिका निर्यात के लिए एक बड़ा बाजार होने के कारण, “टैरिफ लागू होने के बाद फेड की यह कटौती भारतीय कारोबारियों को राहत देगा, निर्यात तेज होगा।''
डॉलर के कमजोर होने से रुपया होगा मजबूत
हाल के महीनों में एफआईआई ने भारत से पूंजी बाहर निकाला है जो स्थिति अब पलट सकती है। दूसरा सकारात्मक असर रुपये पर होने की संभावना है। डॉलर की कमजोरी से रुपया मजबूत हो सकता है, जिससे आयात सस्ता पड़ेगा। तेल और अन्य कमोडिटी के आयात की लागत कम होने से भारत का कारोबारी घाटा कम होगा। हालांकि आईटी और टेक्सटाइल जैसे निर्यात आधारित क्षेत्र पर उल्टा असर होगा क्योंकि भारतीय सामान विदेशों में महंगा हो जाएगा।
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