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    'आतंकी पन्नू मामले में भारत की जांच पर आशावादी है अमेरिका', अमेरिकी उप विदेश मंत्री ने जताई उम्मीद

    Updated: Tue, 20 Feb 2024 11:28 PM (IST)

    अमेरिका के उप विदेश मंत्री (प्रबंधन और संसाधन) रिचर्ड वर्मा ने कहा कि अमेरिका खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की विफल साजिश के मुद्दे पर भारत सरकार के साथ लगातार अपना संपर्क में है। वह भारत की ओर से गठित उच्चस्तरीय जांच समिति की पड़ताल को लेकर आशांवित हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस मामले की जांच को बहुत गंभीरता से लिया है।

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    विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा। (फोटो- एएनआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिका के उप विदेश मंत्री (प्रबंधन और संसाधन) रिचर्ड वर्मा ने कहा कि अमेरिका खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की विफल साजिश के मुद्दे पर भारत सरकार के साथ लगातार अपना संपर्क में है। वह भारत की ओर से गठित उच्चस्तरीय जांच समिति की पड़ताल को लेकर आशांवित हैं।

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    रिचर्ड वर्मा ने भारत दौरे के दौरान खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में कहा कि उन्होंने भारत सरकार के समक्ष इस विषय पर अपनी चिंताएं जताई हैं। भारत सरकार ने इस मामले की जांच को बहुत गंभीरता से लिया है। इसके लिए हम उनके आभारी हैं।

    क्या है पूरा मामला?

    विगत नवंबर में अमेरिकी न्याय विभाग ने दावा किया था कि भारत के एक सरकारी कर्मचारी (नाम: सीसी-1) ने निखिल गुप्ता नाम के एक व्यक्ति को पन्नू की हत्या कराने के लिए नियुक्त किया था। लेकिन इस साजिश को अंजाम तक पहुंचने से पहले ही अमेरिकी प्रशासन ने विफल कर दिया। भारत के सरकारी कर्मचारी की पहचान अभी तक पता नहीं होने के कारण मैनहट्टन की संघीय अदालत को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। जबकि हत्या की साजिश के आरोप में निखिल गुप्ता फिलहाल चेक रिपब्लिक की हिरासत में है। इसका दोष साबित होने पर दस साल कैद की सजा होती है।

    भारतीय नौसेना की भूमिका बढ़ी

    भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत वर्मा ने आबर्जवर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) की आयोजित परिचर्चा में एक सवाल के जवाब में कहा कि लाल सागर में भारत और उसकी नौसेना जो कुछ भी कर रही है, वह सराहनी है। भू-राजनीतिक चुनौतियों और रणनीतिक जल क्षेत्र में विभिन्न वाणिज्यिक जहाजों पर हाउती आतंकियों के हमले से रक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका बहुत बढ़ गई है।

    पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय नौसेना ने अरब सागर में कई जहाजों को बचाया है। जबकि लाल सागर में अमेरिका समेत किसी भी सैन्य समूह में भारत शामिल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के खतरे असली हैं। लेकिन मिलजुलकर अपनी पूरी क्षमताओं के साथ और जानकारियां साझा करके और नौसैनिक जागरूकता को बढ़ाकर हम इसमें सफलता हासिल कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत का हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे परे भी सुरक्षा देना सुनिश्चित करेंगे।

    कैनेडी ने कहा था- एशिया का भाग्य भारत पर निर्भर

    अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता पर वर्मा ने कहा कि हम चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पद्र्धा में जुटे हुए हैं। कुछ क्षेत्रों में सहयोग देने के साथ ही व‌र्ल्ड आर्डर आधारित नियमों को बनाए रखने के लिए आक्रामक रवैया अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1961 में कैनेडी के राष्ट्रपति बनने से पहले बतौर सीनेटर उन्होंने कहा था कि एशिया का भाग्य भारत पर निर्भर करता है। 1962 में चीनी हमले के दौरान राष्ट्रपति कैनेडी ने भारत को हजारों टन असलहों और खुफिया जानकारियां दी थीं। वह भारत की सफलता और उसकी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध थे।