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    एक्सकैलिबर गोले और जावेलिन मिसाइल से दुश्मन के दांत होंगे खट्टे, अमेरिका ने भारत को 825 करोड़ रुपये के हथियारों की बिक्री को दी मंजूरी

    By JAIPRAKASH RANJANEdited By: Deepak Gupta
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    अमेरिका ने भारत को 825 करोड़ रुपये के एक्सकैलिबर गोले और जावेलिन मिसाइलें बेचने की मंजूरी दी है। यह सौदा भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को दर्शाता है और भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा। एक्सकैलिबर गोले सटीक निशाने के लिए जाने जाते हैं, जबकि जावेलिन मिसाइलें टैंक-रोधी हथियार हैं। इन हथियारों से भारतीय सेना और शक्तिशाली होगी।

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    जावेलिन एंटी-टैंक मिसाइल । (रॉयटर्स)

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कारोबारी क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच भले ही तनाव का माहौल चल रहा है, लेकिन रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध लगातार मजबूत होते दिख रहे हैं। इस क्रम में बुधवार को अमेरिका ने भारत को 216 एक्सकैलिबर प्रिसिजन-गाइडेड आर्टिलरी गोले (एम982ए1) और 100 एफजीएम-148 जावेलिन एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम की बिक्री को औपचारिक मंजूरी दे दी है। कुल सौदे की अनुमानित कीमत करीब 9.30 करोड़ डालर (लगभग 825 करोड़ रुपये) है।

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    अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने बुधवार को इसकी अधिसूचना कांग्रेस को भेज दी है। एक्सकैलिबर आर्टिलरी जहां लद्दाख व अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में भारतीय सेना को दुश्मन के बंकर या अन्य ठिकानों पर घातक निशाना लगाने की क्षमता देगा, वहीं जावेलिन एंटी टैंक मिसाइल रेगिस्तान व हिमालय के इलाकों में दुश्मनों के टैंक दस्तों को नेस्ताबूद करने में मददगार साबित होगी।

    भारत की तरफ से उक्त घोषणा पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने कहा है कि भारत के आग्रह पर यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। भारतीय आयात पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से टैरिफ लगाने के बाद यह दोनों देशों के बीच पहला बड़ा रक्षा खरीद समझौता है।

    अमेरिका की तरफ से भारत पर ज्यादा हथियारों और ईंधन खरीदने के लिए दबाव डालने की बात भी सामने आ रही है। दो दिन पहले ही भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से पहली बार एलपीजी की खरीद करने का समझौता किया है। माना जा रहा है कि इन समझौतों से कारोबारी समझौते की जमीन तैयार की जा रही है।

    एक्सकैलिबर के दो-चार गोलों से बंकर होगा ध्वस्त

    अमेरिकी प्रस्ताव में 4.71 करोड़ डालर के एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल है, जिसमें 155 मिमी जीपीएस-गाइडेड गोले शामिल हैं। -ये जीपीएस-गाइडेड गोले 40 किलोमीटर से अधिक दूरी पर तीन मीटर के दायरे में सटीक निशाना लगा सकते हैं। -एक बंकर को नष्ट करने के लिए सैकड़ों टैंक गोले की जरूरत होती है, वहीं एक्सकैलिबर के दो-चार गोलों की जरूरत होगी।

    मिसाइल छोड़ने के बाद लक्ष्य देखने की जरूरत नहीं

    अमेरिका ने भारत को 4.57 करोड़ डालर की लागत वाली जावेलिन मिसाइल सिस्टम का भी प्रस्ताव दिया है। इसमें 100 लाइव राउंड, 25 लाइटवेट कमांड लांच यूनिट और एक फ्लाई-टू-बाय मिसाइल शामिल होगा। जावेलिन मिसाइल छोड़ने के बाद आपरेटर को इसके लक्ष्य की ओर देखने की जरूरत नहीं रहती है।

    इसे फायर एंड फॉरगेट मिसाइल टॉप-अटैक मोड भी कहा जाता है, जो दुश्मन के टैंक के कमजोर हिस्से पर वार करता है। सैनिक इसे अपने कंधे से भी दाग सकता है। मिसाइल जब तक अपना काम करेगी सैनिक को छिपने का मौका मिल जाता है। जावेलिन की 2.5 किलोमीटर रेंज भारतीय सेना को चीन के टाइप-99ए और पाकिस्तान के अल-खालिद टैंकों पर बढ़त देगी।