Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांव से ज्यादा बीमार हैं शहर के निवासी

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Tue, 12 Apr 2016 02:35 AM (IST)

    महानगरों की तड़क-भड़क भरी जिन्दगी भले ही ग्रामीण लोगों के आकर्षण का केंद्र हो लेकिन हकीकत यह है कि गांवों की अपेक्षा शहरों के निवासियों के बीमार पड़ने की आशंका अधिक होती है।

    हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली । महानगरों की तड़क-भड़क भरी जिन्दगी भले ही ग्रामीण लोगों के आकर्षण का केंद्र हो लेकिन हकीकत यह है कि गांवों की अपेक्षा शहरों के निवासियों के बीमार पड़ने की आशंका अधिक होती है। सरकारी संस्था नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की सोमवार को जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार गांवों में केवल 8.9 प्रतिशत लोग बीमार हैं वहीं शहरों में बीमारों का प्रतिशत 12 है। इतना ही नहीं, बीमार पड़ने वालों में सबसे ज्यादा तादाद बुजुर्गों और बच्चों की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में कुल बीमार लोगों में से 28 प्रतिशत बुजुर्ग व 10 फीसद बच्चे होते हैं। वहीं शहरों में बीमार लोगों में 36 फीसद बुजुर्ग और 11 प्रतिशत बच्चे हैं।

    रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि आधी से अधिक आबादी पैसे की तंगी के चलते चिकित्सक से परामर्श के बिना इलाज शुरु कर देती है। वित्तीय कठिनाई के चलते गांव में 57 प्रतिशत और शहर में 68 प्रतिशत लोग चिकित्सक की सलाह के बिना खुद से इलाज करते हैं।

    सर्वे के अनुसार एक बार बीमार पड़ने पर अस्पताल में भर्ती हुए बगैर ही शहर में एक व्यक्ति को 639 रुपये तथा गांव में 509 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। गांव में इलाज पर कुल व्यय की 72 प्रतिशत तथा शहर में 68 प्रतिशत धनराशि दवा खरीदने पर खर्च होती है। हालांकि अस्पताल में भर्ती होने पर इलाज का खर्च कई गुना बढ़ जाता है।

    सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर जहां औसतन 5636 रुपये खर्च होते हैं वहीं निजी अस्पताल में औसत खर्च 21,726 रुपये होता है। गांव की 86 तथा शहर की 82 प्रतिशत आबादी का स्वास्थ्य खर्च किसी भी तरह की योजना में कवर नहीं है। यही वजह है कि गांव में लोग अपने इलाज के खर्च का 25 प्रतिशत तक उधार लेकर चुकाते हैं वहीं शहर के लोग इलाज खर्च की 18 प्रतिशत राशि उधार से चुकाते हैं।

    रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि शहरों में 20 वर्ष से कम आयु वर्ग में गर्भपात की दर सर्वाधिक 14 प्रतिशत है। हालांकि सभी आयु वर्ग के लिए गर्भपात की दर गांव में केवल दो और शहर में सिर्फ तीन प्रतिशत है। एनएसएसओ ने यह सर्वे जनवरी से जून, 2014 के बीच किया।