दो लाख से ज्यादा आबादी वाले सभी कस्बों में खुलेंगे सहकारी बैंक, अमित शाह ने किया 'को-ऑप कुंभ' का उद्घाटन
देश में सहकारिता प्रणाली को शहरी क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 'को-ऑप कुंभ' में घोषणा की कि दो लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सहकारी बैंक स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने पर जोर दिया और 'सहकार डिजी-पे' ऐप लॉन्च किया। अमूल और इफको की सफलता का उल्लेख करते हुए, उन्होंने युवाओं को सहकारिता आंदोलन में शामिल करने की बात कही।

हर शहर में कम से कम एक शहरी सहकारी बैंक स्थापित किया जाएगा (फोटो: एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की सहकारिता प्रणाली अब शहरी ढांचे में नई ऊर्जा के साथ विस्तार की ओर बढ़ रही है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित 'को-ऑप कुंभ' का उद्घाटन करते हुए कहा कि पांच वर्षों में दो लाख से अधिक आबादी वाले हर शहर में कम से कम एक शहरी सहकारी बैंक स्थापित किया जाएगा।
यह अभियान न केवल वित्तीय निवेश की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि रोजगार सृजन और छोटे उद्यमियों के सशक्तीकरण का माध्यम भी बनेगा। सहकारिता कोई सरकारी योजना नहीं, बल्कि समाज की आत्मा है। यह आंदोलन जितना पारदर्शी, अनुशासित और तकनीक-सक्षम बनेगा, उतना ही विकास माडल को मजबूत करेगा।
शाह बोले- डिजिटल भुगतान समय की मांग
अमित शाह ने इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 'सहकार डिजी-पे' और 'सहकार डिजी-लोन' मोबाइल ऐप की शुरुआत करते कहा कि कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते भारत में डिजिटल भुगतान समय की मांग है। शहरी सहकारी बैंकों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहना है तो डिजिटल लेन-देन अपनाना ही होगा। उन्होंने दो वर्षों में डेढ़ हजार शहरी सहकारी बैंकों के इस प्लेटफार्म से जुड़ने का लक्ष्य रखा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सहकारी संस्थाओं के तकनीकी सशक्तीकरण और वित्तीय अनुशासन को प्राथमिकता दे रही है। पिछले दो वर्षों में शहरी सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है। एनपीए 2.8 प्रतिशत से घटकर 0.6 प्रतिशत रह गई हैं। सहकारिता मंत्री ने राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण समितियों महासंघ (नेफक्यूब) से आग्रह किया कि वह क्षेत्रीय असमानता को खत्म करने और छोटे शहरों तक बैंकिंग पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित करे।
अमूल और इफको की वैश्विक उपलब्धियों का उल्लेख किया
उन्होंने कहा कि सहकारिता राज्यों का विषय है। फिर भी केंद्र ने नीतिगत मार्गदर्शन देकर एकरूपता सुनिश्चित की है। प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) के माडल अब लगभग सभी राज्यों ने स्वीकार कर ली हैं, जिससे इनके कंप्यूटरीकरण और सेवाओं के विस्तार का रास्ता खुला है।
अमित शाह ने सहकारिता की दो प्रमुख संस्थाओं अमूल और इफको की वैश्विक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहकारी संघ (आइसीए) ने अमूल को विश्व की नंबर-1 और इफको को नंबर-2 सहकारी संस्था का दर्जा दिया है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत का सहकारी माडल आज भी उतना ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है जितना दशकों पहले था।
अमूल 36 लाख किसानों की साझेदारी से रोजाना तीन करोड़ लीटर दूध एकत्र कर रही है और इसका वार्षिक टर्नओवर 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इफको ने 93 लाख टन यूरिया और डीएपी का उत्पादन करके भारत की हरित क्रांति का स्तंभ बनने के साथ-साथ अब अपने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का निर्यात ब्राजील, अमेरिका, ओमान और जार्डन समेत 40 से अधिक देशों को कर रहा है। सरकार का अगला लक्ष्य युवाओं को सहकारिता आंदोलन का भागीदार बनाना है।

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