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    अंसल बंधुओं के 60 करोड़ से तैयार ट्रामा सेंटरों का दौरा करे 'उपहारकांड पीड़ित संघ', सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 24 Sep 2025 02:50 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने उपहार त्रासदी पीड़ितों के संघ (एवीयूटी) से कहा कि वे 1997 के अग्निकांड पीड़ितों की याद में अंसल बंधुओं की दी गई 60 करोड़ रुपये की रकम से तैयार ट्रामा सेंटरों का दौरा करें। पीठ ने कहा कि बार-बार उपहार कांड के पीड़ितों के जख्म हरे करना उचित नहीं है और इस विवाद को अब सम्मानजनक तरीके से बंद कर देना चाहिए।

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    अंसल बंधुओं के 60 करोड़ से तैयार ट्रामा सेंटरों का दौरा करे 'उपहारकांड पीड़ित संघ', सुप्रीम कोर्ट

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उपहार त्रासदी पीड़ितों के संघ (एवीयूटी) से कहा कि वे 1997 के अग्निकांड पीड़ितों की याद में अंसल बंधुओं की दी गई 60 करोड़ रुपये की रकम से तैयार ट्रामा सेंटरों का दौरा करें।

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    न्यायमूर्ति सूर्य कांत, उज्ज्वल भूइयां और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एवीयूटी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील जयंत मेहता से कहा कि संघ के किसी सदस्य से कहें कि दिल्ली सरकार के दावे की पुष्टि के लिए इन ट्रामा सेंटरों का दौरा करे।

    पीठ ने कहा- पीड़ितों के जख्म हरे करना उचित नहीं

    पीठ ने कहा कि बार-बार उपहार कांड के पीड़ितों के जख्म हरे करना उचित नहीं है और इस विवाद को अब सम्मानजनक तरीके से बंद कर देना चाहिए। शीर्ष अदालत की कार्रवाई पर अमल से असंतुष्ट एवीयूटी ने शिकायत की थी कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं किया गया और दरअसल, आरोपितों को बगैर अंजाम भुगते बख्श दिया गया।

    मेहता ने कहा कि ऐसा लगता है कि दोषियों (गोपाल अंसल और सुशील अंसल) ने अदालत की छूट का नाजायज फायदा उठाया है और 60 करोड़ रुपये ब्लैकहोल में चले गए। अदालत ने दिल्ली विद्युत बोर्ड को ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

    पीठ ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे से पूछा कि अंसल भाइयों ने 60 करोड़ रुपये दिए या नहीं। इस पर दवे ने हां में जवाब दिया और कहा कि इस पैसे को संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल- मंगोलपुरी, सत्यवादी राजा हरिशचंद्र अस्पताल- नरेला और सिरसापुर अस्पताल में इस्तेमाल किया गया।

    मेहता ने कहा कि वह दिल्ली सरकार द्वारा इन अस्पतालों और ट्रामा सेंटरों के निर्माण का खंडन नहीं कर रहे हैं और अपने लोगों के लिए ऐसी सुविधाओं का निर्माण करना राज्य का कर्तव्य है, लेकिन सवाल 60 करोड़ रुपये से अधिक का है।

    इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि दिल्ली में अस्पताल बनाने और उसके संचालन के लिए 60 करोड़ रुपये बेहद कम हैं और कहा कि दिल्ली सरकार ने इस पैसे में और फंड जोड़कर तीन अस्पतालों में ट्रामा सेंटर फैसिलिटी विकसित कराई है।

    जब मेहता ने कोर्ट के 2015 के फैसले का जिक्र करना चाहा तो पीठ ने कहा कि वह केवल ट्रामा सेंटर के निर्माण पर केंद्रित है। पीठ ने मेहता से कहा कि वे इस बात की पुष्टि करें कि क्या ट्रामा सेंटरों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवाओं और एम्बुलेंस के अलावा अपेक्षित समुचित सुविधाएं उपलब्ध हैं।