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कमीशन में कटौती के खिलाफ यूपी के स्टांप वेंडर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, सोमवार को होगी सुनवाई

ई-स्टांप लागू होने के बाद कमीशन में हुई कटौती के खिलाफ यूपी के स्टांप वेंडर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। आल यूपी स्टांप वेंडर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जीवन यापन की दुहाई देते हुए उनके कमीशन में हुई कटौती का मुद्दा उठाया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:24 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:24 PM (IST)
कमीशन में कटौती के खिलाफ यूपी के स्टांप वेंडर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, सोमवार को होगी सुनवाई
कमीशन में हुई कटौती के खिलाफ यूपी के स्टांप वेंडर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ई-स्टांप लागू होने के बाद कमीशन में हुई कटौती के खिलाफ यूपी के स्टांप वेंडर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। आल यूपी स्टांप वेंडर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जीवन यापन की दुहाई देते हुए उनके कमीशन में हुई कटौती का मुद्दा उठाया है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा।

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वकील गौरव यादव के जरिये दाखिल याचिका में एसोसिएशन ने कहा है कि उसने अपनी दिक्कतों के बारे में पहले सक्षम प्राधिकारी उत्तर प्रदेश के इंस्पेक्टर जनरल आफ रजिस्ट्रेशन को ज्ञापन दिया था, लेकिन सक्षम प्राधिकारी ने उनके ज्ञापन को मनमाने ढंग से निपटा दिया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने मामले पर विभक्त फैसला सुनाया। नियम के मुताबिक मामला तय करने के लिए तीसरे न्यायाधीश को भेजा गया और उन्होंने याचिका खारिज करने का फैसला सुनाया। लिहाजा एसोसिएशन ने अब सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है।

याचिका में उत्तर प्रदेश में ई-स्टांप लागू होने से पहले स्टांप पेपर बेच रहे स्टांप वेंडरों के कमीशन में कटौती और जीवन यापन की दिक्कतें बताई गई हैं। कहा गया है कि एसोसिएशन के सदस्य स्टांप वेंडर कई दशकों से उत्तर प्रदेश में न्यायिक और गैर-न्यायिक स्टांप बेच रहे हैं। इन स्टांप वेंडरों को ई-स्टांप आने से पहले एक लाख रुपये के स्टांप पेपर बेचने पर 500 रुपये कमीशन मिलता था जो कि अब घटकर 115 रुपये हो गया है। इनका बाकी का बचा पैसा सेंट्रल रिकार्ड कीपिंग एजेंसी (सीआरए) के पास चला जाता है।

सीआरए ने पहले संशोधन कानून के जरिये बहुत से अथाराइज्ड कलेक्शन सेंटर (एसीसी) नियुक्त किए थे, जिसमें पुराने स्टांप वेंडरों को शामिल नही किया गया था। अब नियमों में दूसरा संशोधन होने के बाद पुराने स्टांप वेंडरों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है और उन्हें भी अथाराइज्ड कलेक्शन सेंटर नियुक्त किया गया है लेकिन उन्हें कमीशन या छूट दिए जाने का मामला सीआरए के विवेकाधिकार पर छोड़ दिया गया है जो सीआरए और एसीसी के बीच हुए करार के हिसाब से तय होता है।

यह भी कहा गया है कि पहले बैंक कैश हैंडलिंग का कोई चार्ज नहीं लेते थे, लेकिन अब बैंकों ने कैश हैंडलिंग चार्ज लेना शुरू कर दिया है। स्टांप वेंडरों को बैंक में कैश हैंडलिंग चार्ज जमा करना पड़ता है, जिसके कारण स्टांप वेंडरों के पास जीवन यापन के लिए पर्याप्त आय नहीं बचती। ऐसा सिर्फ सरकारी नीति बदलने के कारण हुआ है। बैंक का कैश हैंडलिंग चार्ज एक लाख रुपये पर 90 रुपये से लेकर 118 रुपये तक होता है।

याचिकाकर्ता एसोसिएशन का कहना है कि सरकार अभी भी कमीशन उतना ही देती है जितना पहले फिजिकल स्टांप पेपर बेचने पर देती थी, लेकिन अब सरकार ने सीआरए नियुक्त कर दिया है और ज्यादातर हिस्सा सीआरए के पास जाता है।

सीआरए उसमें से सिर्फ 23 फीसद हिस्सा ही देती है। अब स्टांप वेंडरों को 10 रुपये का स्टांप बेचने पर सिर्फ एक पैसा कमीशन मिलता है जबकि सीआरए को 50.5 पैसा मिलता है। जबकि पहले स्टांप वेंडर को दस रुपये का स्टांप बेचने पर 10 पैसा कमीशन मिलता था।


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