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    अब डीजे पर थिरकेंगे UP वाले, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में पाबंदी के आदेश पर लगाई रोक

    By Ayushi TyagiEdited By:
    Updated: Thu, 21 Nov 2019 12:05 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा डीजे पर लगाई गई पाबंदी पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश में शादी विवाह और जन्म दिन के कार्यक्रमों में डीजे बजाने की अनुमति दे दी गई है।

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    अब डीजे पर थिरकेंगे UP वाले, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में पाबंदी के आदेश पर लगाई रोक

    नई दिल्ली, पीटीआइ। उत्तर प्रदेश में शादी विवाह और जन्म दिन के कार्यक्रमों में संगीत बजाकर अपनी जीविका कमाने वाले डिस्क जॉकी (डीजे) को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा डीजे पर लगाई गई पाबंदी पर रोक लगा दी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को की जाएगी।

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    शादी विवाह के मौसम से पहले प्राधिकारियों को निर्देश

    जस्टिस उदय यू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने शादी-विवाह का मौसम शुरू होने से ठीक पहले प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि कानून के अनुसार डीजे आपरेटरों को इसकी अनुमति दी जाए। हाई कोर्ट ने 20 अगस्त के अपने आदेश में डीजे पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इसकी सेवाओं से निकलने वाली तेज आवाज अप्रिय और मान्य स्तर से ऊंची होती है।

    गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ विकास तोमर और किसी अन्य ने याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद से राज्य सरकार उनकी साइड से शादियों में डीजे बजाने की इजाजत मांगने के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

     

    वकील ने पेश की ये दलील 

    शीर्ष अदालत में बुंदेलखंड साउंड एंड डीजे एसोसिएशन के 13 सदस्यों की ओर से पेश वकील दुष्यंत पाराशर ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश की वजह से राज्य में डिस्क जॉकी बेरोजगार हो रहे हैं और उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है।उन्होंने कहा कि शादी-विवाह, जन्म दिन और इसी तरह के अन्य आयोजनों के दौरान संगीत बजाने के दौरान मिलने वाली राशि ही इन डीजे की आजीविका का साधन था लेकिन इस पर पूरी तरह प्रतिबंध की वजह से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

    शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए डीजे पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। पीठ ने इस पर गौर करते हुए आदेश में कहा कि मामले के विचाराधीन रहने तक उन्हीं शर्तो पर रोक बढ़ाई जाती है।