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    गैरकानूनी फतवों पर दारुल उलूम देवबंद पोर्टल की जांच करे यूपी सरकार, बाल अधिकार संरक्षण आयोग का निर्देश

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Mon, 17 Jan 2022 07:01 AM (IST)

    शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 13(1)(जे) के तहत संज्ञान लेते हुए शिकायत और वेबसाइट की जांच करने के बाद यह पता चला है कि लोगों द्वारा उठाए गए मसलों के जवाब में दिए गए स्पष्टीकरण और उत्तर देश के कानूनों और अधिनियमों के अनुरूप नहीं हैं।

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    जब तक सामग्री हटा नहीं ली जाती तब तक पहुंच को प्रतिबंधित किया जाए: एनसीपीसीआर

    नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कथित रूप से गैरकानूनी और भ्रमित करने वाले फतवों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट की जांच करने के लिए कहा है। बच्चों के अधिकारों से संबंधित शीर्ष निकाय ने शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव से यह भी कहा कि जब तक इस तरह की सामग्री हटा नहीं ली जाती तब तक इसकी पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया जाए।

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    आयोग ने कहा कि एक शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि वेबसाइट पर फतवों की सूची है जो देश के कानून के तहत प्रविधानों के खिलाफ हैं।

    यूपी के कानूनों और अधिनियमों के अनुरूप नहीं है जवाब में दिए गए स्पष्टीकरण

    मुख्य सचिव को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है, 'शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 13(1)(जे) के तहत संज्ञान लेते हुए, शिकायत और वेबसाइट की जांच करने के बाद, यह पता चला है कि लोगों द्वारा उठाए गए मसलों के जवाब में दिए गए स्पष्टीकरण और उत्तर प्रदेश के कानूनों और अधिनियमों के अनुरूप नहीं हैं।'

    उत्तर प्रदेश सरकार को 10 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट देने का निर्देश

    इसमें कहा गया है कि इस तरह के बयान बच्चों के अधिकारों के विपरीत हैं और वेबसाइट तक खुली पहुंच उनके लिए हानिकारक है। आयोग ने राज्य सरकार से देश के संविधान, भारतीय दंड संहिता, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रविधानों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए संस्था के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। एनसीपीसीआर ने उत्तर प्रदेश सरकार को 10 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

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