सितंबर में भी मानसून का कहर, पूर्वी-पश्चिमी हवाओं की टक्कर से आफत की बारिश जारी
बंगाल की खाड़ी और पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तर भारत में भारी बारिश हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार सितंबर में भी मानसून का प्रभाव असामान्य रूप से तीव्र है। दो सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। आईएमडी के अनुसार महासागरीय परिस्थितियों के कारण मानसून में बदलाव आ रहे हैं।

अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। बंगाल की खाड़ी से उठ रही नमी युक्त हवा और पश्चिमी विक्षोभ की ठंडी हवा जब उत्तर भारत में टकरा रही हैं तो उसका नतीजा आफत बनकर सामने आ रहा है। भारी बारिश का यह सिलसिला सामान्य मानसून चक्र से अलग है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार ऐसी परिस्थितियां अधिक बार बन रही हैं, जिससे सितंबर की शुरुआत में भी मानसून का असर असामान्य रूप से तीव्र दिख रहा है। वर्तमान में दो सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ, हरियाणा में चक्रवाती परिसंचरण और बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र ने स्थिति और गंभीर कर दी है।
मैदानों में लगातार हो रही बारिश
मैदानों में लगातार बारिश इसी का परिणाम है। निजी एजेंसी स्काइमेट के उपाध्यक्ष महेश पलावत के अनुसार पहाड़ों पर बुधवार से कुछ राहत संभव है, लेकिन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अभी और इंतजार करना होगा।
मानसून की वापसी में देरी आमतौर पर मानसून जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है और मध्य सितंबर से इसकी वापसी शुरू हो जाती है। मगर इस बार बंगाल की खाड़ी में बार-बार निम्न दबाव क्षेत्र बनने से इसकी विदाई में देरी तय मानी जा रही है।
केरल में समय से पहले आ गया था मानसून
केरल में मानसून इस वर्ष सामान्य तिथि से तीन दिन पहले आ गया था, लेकिन वापसी का समय खिंचता नजर आ रहा है। महासागरीय परिस्थितियों का असर भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि मौजूदा बदलाव महासागरीय परिस्थितियों से जुड़े हैं।
प्रशांत महासागर में एलनीनो कमजोर पड़ चुका है और ला-नीना के आसार बन रहे हैं। यह स्थिति भारतीय मानसून को सामान्य से अधिक सक्रिय करती है। इसी कारण सितंबर में भी लगातार तेज बारिश देखी जा रही है। सितंबर में बढ़ता रुझान आइएमडी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार दशकों में सितंबर में वर्षा का रुझान बढ़ा है। भले ही 1986, 1991, 2001, 2010, 2015 और 2019 जैसे कुछ सालों में सितंबर शुष्क रहा हो, लेकिन ये अपवाद रहे हैं।
अगस्त का मौसम रहा असामान्य
इस बार अगस्त भी असामान्य रहा। उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त में 265 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद सबसे अधिक है। आइएमडी का अनुमान है कि सितंबर में औसत से 109 प्रतिशत तक वर्षा हो सकती है। असामान्य मानसून के संकेत स्पष्ट है कि भारतीय मानसून की प्रकृति तेजी से बदल रही है। कभी सूखे जैसी स्थिति और कभी रिकार्ड तोड़ बारिश का सामना आम होता जा रहा है।
विशेषज्ञ सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को इसका कारण नहीं मानते, लेकिन महासागरीय परिस्थितियां और क्षेत्रीय दबाव तंत्र मिलकर मानसून को अप्रत्याशित बना रहे हैं। आगे का हाल आइएमडी के अनुसार सितंबर के पहले पखवाड़े में बंगाल की खाड़ी में लगातार चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय रहेंगे।
गुजरात और राजस्थान में भारी बारिश की चेतावनी
इनके उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने से ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात में भारी वर्षा की संभावना है। दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अगले दो-तीन दिनों में थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन उसके बाद बारिश का जोर फिर बढ़ेगा। गुजरात और राजस्थान में 4 से 7 सितंबर के बीच भारी बारिश की चेतावनी है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हालांकि इस बार मानसून अपेक्षाकृत कमजोर रहेगा।
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