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    फीस वापसी को लेकर यूजीसी ने नए शैक्षणिक सत्र के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश, 31 दिसंबर तक छात्र वापस ले सकेंगे जमा शुल्क

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Wed, 03 Aug 2022 10:31 PM (IST)

    यूजीसी ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 में फीस वापसी को लेकर नई गाइडलाइन जारी है। साथ ही विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थानों से इस पर सख्ती से अमल के निर्देश दिए हैं। गाइडलाइन के तहत फीस वापसी के लिए छात्र वैसे तो 31 दिसंबर 2022 तक आवेदन कर सकेंगे।

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    यूजीसी ने नए शैक्षणिक सत्र के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले की तैयारी में जुटे छात्रों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बड़ी राहत दी है। इसके तहत किसी पसंद के विश्वविद्यालय या कालेज में दाखिला मिलने पर वह पूर्व में किसी संस्थान में लिए गए अपने दाखिले को कैंसिल कर सकेगा। साथ ही संस्थान में जमा कराई गई फीस भी वापस ले सकेगा। हालांकि इसके लिए उन्हें आवेदन करना होगा। यदि यह आवेदन 31 अक्टूबर 2022 तक किया जाता है तो उसे पूरी फीस वापस मिल जाएगी। माना जा रहा है कि जल्द ही एआइसीटीई भी इस संबंध में इंजीनियरिंग कालेजों के भी निर्देश जारी करेगा।

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    यूजीसी ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 में फीस वापसी को लेकर नई गाइडलाइन जारी है। साथ ही विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थानों से इस पर सख्ती से अमल के निर्देश दिए हैं। गाइडलाइन के तहत फीस वापसी के लिए छात्र वैसे तो 31 दिसंबर 2022 तक आवेदन कर सकेंगे। हालांकि इस दौरान उनकी फीस में एक हजार रुपए प्रोसेसिंग चार्ज काट कर लौटाई जाएगी। यूजीसी का इस दौरान सबसे ज्यादा फोकस निजी विश्वविद्यलाय और उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर है। जो अक्सर छात्रों को जमा कराई गई फीस वापस करने में आनाकानी करते है या छात्रों को परेशान करते है।

    यूजीसी का कहना है कि कोरोना संकट के चलते अभिभावक पहले से ही आर्थिक रूप से परेशान है। ऐसे में उन पर किसी तरह बोझ डालना ठीक नहीं है। खासबात यह है कि कोरोना संकटकाल में भी यूजीसी ने फीस वापसी को लेकर ऐसी ही गाइडलाइन जारी की थी। यूजीसी ने इसके साथ ही छात्रों और अभिभावकों की ओर से मिली शिकायतों के बाद सभी विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है, कि पिछले साल कोरोना काल में छात्रों से वसूली गई छात्रावास और मेस फीस को वापस किया जाए या फिर उसे अगले सत्र में समायोजित किया जाए। छात्रों की शिकायत थी कि कोरोना संकट के जब छात्रावास बंद थे और वह उनमें एक भी दिन नहीं रहें है, तो फिर फीस वापस की जाए।

    गौरतलब है कि विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला पाने की आपाधापी में छात्रों को पहले जिस भी संस्थान में दाखिला मिलता है तो वह उनमें अपनी सीट आरक्षित कर लेते है। हालांकि जैसे ही उन्हें किसी दूसरे पसंद के कालेज में दाखिले का मौका मिलता है तो वह उनमें दाखिला ले लेते है। इससे उनकी फीस उन संस्थानों में फंस जाती है। जो वापस करने में दिक्कत करते है। यह समस्या निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में कुछ ज्यादा ही देखने को मिलती है।

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