खुले में शौच को लेकर क्या बोले मंत्री! क्या डायरिया से जाती है बच्चों की जान?
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान का प्रभाव यह है कि अब खुले में शौच के कारण डायरिया से पीड़ित होकर किसी बच्चे की जान नहीं जाती। दो अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के दस साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पाटिल ने कहा हर साल 60000 से 70000 बच्चों की जान बची है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा है कि स्वच्छ भारत अभियान का प्रभाव यह है कि अब खुले में शौच के कारण डायरिया से पीड़ित होकर किसी बच्चे की जान नहीं जाती। दो अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के दस साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पाटिल ने कहा कि डब्लूएचओ ने इस मिशन के पहले पांच साल बीतने के बाद अपने आकलन में कहा था कि हर साल 60000 से 70000 बच्चों की जान बची है, क्योंकि खुले में शौच की प्रवृत्ति समाप्त करने के लिए घर-घर शौचालयों के निर्माण ने तस्वीर एकदम बदल दी है।
पाटिल ने कहा कि 11 करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण अपने आप में अभूतपूर्व उपलब्धि है। जलशक्ति मंत्री ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान की दसवीं वर्षगांठ पर पीएम नरेन्द्र मोदी 9200 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। इनमें अधिकांश स्वच्छता से सीधे संबंधित हैं।
6800 करोड़ की परियोजनाएं सीवेज सिस्टम से हैं संबंधित
पाटिल के मुताबिक 6800 करोड़ की परियोजनाएं शहरी इलाकों में पानी और सीवेज सिस्टम से संबंधित हैं। इन्हें अमृत और अमृत 2.0 कार्यक्रमों के तहत पूरा किया जाएगा। 1550 करोड़ के दस प्रोजेक्ट गंगा नदी के किनारे पानी की गुणवत्ता और कचरा प्रबंधन से जुड़े हैं।
पीएम कचरे से कंप्रेस्ड बायो गैस बनाने की दस परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। इन्हें केंद्र सरकार की गोबरधन योजना के तहत 1332 करोड़ में पूरा किया गया है।
सेवा अभियान में लगभग बीस लाख कार्यक्रम आयोजित
पाटिल ने बताया कि इस कार्यक्रम में पूरे देश के स्थानीय निकाय, महिलाओं और युवाओं के समूह और सेलिब्रिटीज भी शामिल होंगे। एक पखवाड़े तक चले स्वच्छता ही सेवा अभियान में लगभग बीस लाख कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें 17 करोड़ लोगों ने भाग लिया है। लक्ष्य ढाई लाख स्थानों की समयबद्ध सफाई का था, लेकिन यह संख्या साढ़े छह लाख को पार कर चुकी है।