Amit Shah ने की वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम पर कार्यशाला की शुरुआत, कहा- सीमाओं की सुरक्षा के लिए इसकी सफलता अहम
अमित शाह ने कार्यशाला में मौजूद जिला कलेक्टर को तीन महीने में उनके जिले के अंतर्गत आने वाले हर वाइब्रेंट विलेज के लिए उसकी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए एक विशेष प्रोग्राम बनाकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने की जिम्मेदारी दी।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मोदी सरकार वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमावर्ती गांवों का विकास सुनिश्चित करने में जुट गई है। इसके लिए संबंधित अधिकारियों की कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की सफलता काफी अहम है।
पहले चरण में 19 जिलों के 662 गांवों का चयन
प्रोग्राम के पहले चरण में 19 जिलों के 662 गांवों का चयन किया गया है। कार्यशाला में इन जिलों के जिला कलेक्टर और जिला विकास अधिकारी मौजूद थे। देश की सीमाओं की सुरक्षा को मोदी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए अमित शाह ने साफ किया कि सीमावर्ती गांवों की सुरक्षा के बिना सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है। लेकिन, सीमाओं की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग होने के कारण इन गांवों के विकास का एक प्रारूप नहीं हो सकता। उन्होंने जिला कलेक्टरों से कहा कि जिला कलेक्टर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जिला कलेक्टर को दी ये जिम्मेदारी
शाह ने कार्यशाला में मौजूद जिला कलेक्टर को तीन महीने में उनके जिले के अंतर्गत आने वाले हर वाइब्रेंट विलेज के लिए उसकी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए एक विशेष प्रोग्राम बनाकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने की जिम्मेदारी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को हमें 3000 गांवों तक लेकर जाना है। इस काम में राज्य के मुख्य सचिव और प्रभारी सचिव जिला कलेक्टर का मार्गदर्शन करेंगे। शाह ने जिला कलेक्टरों से इन गांवों में कैंप लगाकर तीन महीने के भीतर सभी लोगों तक पक्का घर, बिजली कनेक्शन, गैस कनेक्शन,आयुष्मान भारत योजना कार्ड, मुद्रा, स्वनिधि जैसी सारी योजनाओं का पहुंचाने को कहा।
अधिकारी हर महीने गांवों में बिताएं एक रात: शाह
अमित शाह ने सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए केंद्र की जनकल्याणकारी योजनाओं का 100 फीसदी क्रियान्वयन, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा और देश के बाकी हिस्सों के साथ गांवों के डिजिटल और भावनात्मक संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव और प्रभारी सचिव को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की सतत समीक्षा करनी चाहिए। साथ ही, राज्य स्तर के क्लास वन अधिकारियों को हर महीने इन गांवों में एक रात बितानी चाहिए, ताकि वे विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की दिक्कतों को खुद देख सकें और उन्हें दूर करने के लिए जरूरी कदम उठा सकें।
कार्यशाला में जिला कलेक्टरों और जिला विकास अधिकारियों के साथ-साथ आईटीबीपी और केंद्रीय गृहमंत्रालय व अन्य मंत्रालयों के संबंधित अधिकारी भी मौजूद थे।
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