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सरकार का हलफनामा- नए कृषि कानूनों को वापस लेना उचित नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को किसानों के मुद्दे पर सुनवाई पूरी हो गई। सुनवाई के दौरान सर्वोच्‍च अदालत ने बड़ी तल्‍ख टिप्‍पणियां की। वहीं सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि नए कृषि कानूनों को देशभर में स्‍वीकार किया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 10:30 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 06:58 AM (IST)
सरकार का हलफनामा- नए कृषि कानूनों को वापस लेना उचित नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है फैसला
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को किसानों के मुद्दे पर सुनवाई पूरी हो गई।

नई दिल्‍ली, एएनआइ/जेएनएन। कृषि कानूनों पर सुनवाई के तुरंत बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि कानून जल्दबाजी में नहीं लाए गए हैं। कृषि कानून दो दशक से चल रही चर्चाओं का नतीजा हैं और इन्हें वापस लिया जाना न न्यायसंगत है और न ही स्वीकार्य। कृषि एवं किसान कल्याण सचिव की ओर से दिए गए हलफनामे में कहा गया कि किसानों के मन की हर शंका को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है। इन कानूनों को देशभर से समर्थन मिल रहा है। 

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कानून रद करने की शर्त स्वीकार्य नहीं 

हलफनामे में सरकार ने कहा है कि कुछ किसानों ने कानूनों को वापस लेने की शर्त रख दी है जो स्वीकार्य नहीं है। सरकार का कहना है कि कानूनों को लाने में पर्याप्त विमर्श हुआ है। मौजूदा विकल्पों से इतर अतिरिक्त विकल्प पाकर देश के किसान खुश हैं। इनमें कोई अधिकार छीने नहीं गए हैं।

ट्रैक्टर रैली के खिलाफ भी याचिका

इस बीच, केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के खिलाफ भी याचिका दायर की है। दिल्ली पुलिस के मार्फत दायर याचिका में केंद्र ने कहा, 'सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि प्रदर्शनकारियों का छोटा समूह गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली की योजना बना रहे हैं। गणतंत्र दिवस के आयोजन को प्रभावित करने के लिए यह योजना बनाई जा रही है। इससे कानून एवं व्यवस्था को संभालने की चुनौती पैदा होगी।' 

गणतंत्र दिवस के आयोजन में बाधा ठीक नहीं 

सरकार ने कहा कि गणतंत्र दिवस के आयोजन में किसी भी तरह का व्यवधान कानून की नहीं जनहित के भी खिलाफ होगा। इससे देश को शर्मिदगी का सामना करना पड़ेगा। याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि ऐसी किसी भी रैली को प्रतिबंधित किया जाए।

कानून का अमल रोकने की इतनी जल्दी क्यों

वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा और हरीश साल्वे कानून का समर्थन करने वाले कुछ हस्तक्षेप अर्जीकर्ताओं की ओर से पेश हुए। उन्होंने सरकार का समर्थन करते हुए कोर्ट से कुछ समय देने की बात कही। अटार्नी जनरल ने भी कहा कि कोर्ट को कानून का अमल रोकने की इतनी जल्दी क्यों है। इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि उन्हें धैर्य रखने की सीख न दी जाए। वे सरकार को बहुत समय दे चुके हैं।

अमल रुकने के बाद भी प्रदर्शन की इजाजत

कोर्ट ने किसानों के वकीलों से कहा कि कानून का अमल रोकने के बाद आप प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई कहे कि प्रदर्शन दबाया गया। मुद्दा यह है कि प्रदर्शन कहां जारी रहे। किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि किसान रामलीला मैदान जाना चाहते हैं, उन्हें क्यों रोका जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि इतनी संख्या में लोग दिल्ली में आएंगे। अगर कुछ गड़बड़ हुई या हिंसा हुई तो कौन जिम्मेदारी लेगा। 

26 जनवरी को नहीं दी जाए रैली की इजाजत 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 26 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन है। उस दिन किसी रैली की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। यह सही नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि आप अर्जी दाखिल करिए। कोर्ट विचार करेगा। उधर दवे ने कहा कि किसान 26 जनवरी को कोई गड़बड़ नहीं करेंगे।

हमने आपको लंबा वक्‍त दिया 

सोमवार को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर सरकार व किसानों के वकीलों की लंबी बहस सुनी और सीधे-सीधे केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। कोर्ट ने कहा, 'हमने आपको बहुत लंबा वक्त दिया लेकिन आप कोई हल नहीं निकाल पाए। हम समझौता वार्ता पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे लेकिन जो प्रक्रिया है, वह बहुत निराशाजनक है। सरकार बराबर कह रही है कि वार्ता चल रही है लेकिन किस तरह बात कर रहे हैं? क्या कर रहे हैं?' 

हम नहीं कर रहे कि कानून रद कर दें लेकिन समस्‍या सुलझाएं 

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि कानून से पहले विशेषज्ञ समिति बनी। कई लोगों से चर्चा हुई। पहले की सरकारें भी इस दिशा में प्रयास कर रहीं थी। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकारों ने इसे शुरू किया था। पीठ ने कहा, 'हम यह नहीं कह रहे कि आप कानून को रद कर दें। हम कानून की मेरिट पर बात नहीं कर रहे। लेकिन कोर्ट का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि समस्या का हल निकले।'

कानून का क्रियान्वयन क्यों नहीं रोकते

प्रधान न्यायाधीश ने सरकार से पूछा कि आप कानून का क्रियान्वयन क्यों नहीं रोक देते। अटार्नी जनरल ने कहा कि किसानों के साथ सरकार की बातचीत चल रही है और दोनों पक्ष 15 जनवरी को फिर बातचीत करने पर सहमत हुए हैं। पीठ ने कहा कि उन्होंने पिछली बार सरकार से पूछा था कि क्या वह बातचीत चलने तक कानूनों का क्रियान्वयन रोक सकती है। सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया और समय मांग लिया। 

बड़ी संख्या में किसान कानूनों को फायदेमंद मानते हैं 

पीठ ने सरकार से कहा, 'कुछ जिम्मेदारी समझें, फिलहाल कानूनों का क्रियान्वयन रोक दें। उसके बाद कोर्ट कमेटी गठित करेगा, जिसमें आइसीएआर के सदस्य भी होंगे जो कि मामले पर विचार करेंगे। कोर्ट चाहता है कि आपसी सहमति से हल निकले।' इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में किसान कानूनों को फायदेमंद मानते हैं। 

बताएं कानून का अमल रोकेंगे या नहीं 

जस्टिस बोबडे ने कहा, 'हमारे पास तो ऐसी कोई याचिका नहीं है जिसमें कानूनों को फायदेमंद माना गया हो। अगर लोग मानते हैं कि कानून फायदेमंद हैं, तो वे कमेटी को बताएंगे। सरकार सिर्फ यह बताए कि वह कानून का अमल रोकेगी कि नहीं।' वेणुगोपाल ने कहा कि कानून पर रोक तभी लगाई जाती है जबकि उससे मौलिक अधिकारों या संविधान के प्रावधानों का हनन होता हो। अथवा सरकार उस कानून को बनाने के लिए सक्षम न हो। किसी भी याचिका में ऐसा आरोप नहीं लगाया गया है। 

हम कानूनों को रोकने के पक्ष में नहीं 

पीठ ने कहा कि वह सामान्यत: कानून पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं, लेकिन यहां इसलिए ऐसा करना चाहते हैं क्योंकि सरकार समस्या हल करने में नाकाम रही है। सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी। कानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है और सरकार को उसे हल करना होगा। कोर्ट कानून पर रोक इसलिए लगाना चाहता है, क्योंकि सरकार और किसानों के बीच बातचीत टूट रही है। 

किसानों के वकील बोले- अदालत पर पूरा भरोसा 

किसानों की ओर से पेश वकील एपी सिंह ने कहा कि उनका कोर्ट पर पूरा भरोसा है। जस्टिस बोबडे ने कहा हम सुप्रीम कोर्ट हैं। हम अपना काम कर रहे हैं। आपको भरोसा है या नहीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपना काम करेगा। कोर्ट ने पक्षकारों को कमेटी की अध्यक्षता के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा सहित कुछ और पूर्व प्रधान न्यायाधीशों के नाम सुझाने को कहा और मामले पर मंगलवार को आदेश सुनाने की बात कही।

सर्वोच्‍च आदालत आज दे सकती है फैसला 

मालूम हो कि केंद्र सरकार और संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है जिसमें कानूनों में संशोधन का भरोसा दिया गया है। फिर भी जारी गतिरोध जारी है। नाराज किसानों से निपटने के सरकार के तरीके पर निराशा जताते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि सरकार कानून के अमल पर रोक लगाएगी या फिर हम लगाएं। फि‍लहाल अदालत का फैसला तो मंगलवार को आएगा लेकिन कोर्ट ने यह जरूर कहा कि इस मामले में कमेटी बनेगी। संभवत: पूर्व सीजेआइ आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी बन सकती है।

यह भी देखें: कृषि कानून की याचिकाओं पर आज Supreme Court सुनाएगा फैसला


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