कृषि स्नातक में दाखिले को लेकर सबसे बड़ी समस्या का निकला समाधान, एक देश-एक कृषि-एक टीम
केंद्र सरकार ने कृषि स्नातक में दाखिले की समस्या का समाधान कर दिया है। कृषि विश्वविद्यालयों की 20 प्रतिशत सीटें अब सीयूईटी-आईसीएआर के जरिए भरी जाएंगी जिससे प्रवेश प्रक्रिया पारदर्शी होगी। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि 12वीं में कृषि बायोलाजी केमिस्ट्री फिजिक्स या मैथ्स पढ़ने वाले छात्र बीएससी (कृषि) कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि स्नातक में दाखिले को लेकर लंबे समय से चल रही विद्यार्थियों की सबसे बड़ी समस्या का समाधान केंद्र सरकार ने कर दिया है। कृषि की पढ़ाई के इच्छुक विद्यार्थियों की शिकायत रही है कि राज्यों के अलग-अलग नियमों और पात्रता की शर्तों के कारण योग्य अभ्यर्थी बीएससी (एग्रीकल्चर) में दाखिले से वंचित रह जाते थे।
अब इस जटिलता को दूर करते हुए कृषि विश्वविद्यालयों की 20 प्रतिशत सीटें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा (सीयूईटी-आईसीएआर) के जरिए भरी जाएंगी। इससे पूरे देश में कृषि शिक्षा में प्रवेश प्रक्रिया एकरूप और पारदर्शी हो जाएगी। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से ही इस बदलाव का सीधा फायदा तीन हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को मिलेगा।
शिवराज सिंह चौहान ने क्या बताया?
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब 12वीं में कृषि, बायोलाजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स या मैथ्स पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं समान पात्रता के साथ बीएससी. (कृषि) कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे। पहले तक अलग-अलग राज्यों में विषय संयोजन और बोर्ड के नियमों के कारण छात्रों को भटकना पड़ता था। कई बार योग्य विद्यार्थी सिर्फ इसलिए पिछड़ जाते थे, क्योंकि उनके विषय समूह को किसी विश्वविद्यालय या राज्य में मान्यता नहीं मिलती थी। नई व्यवस्था से ऐसी असमानता अब दूर हो जाएगी।
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार कृषि शिक्षा की गुणवत्ता और लोकप्रियता को बढ़ाएगा। अब देशभर के विद्यार्थियों के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के दरवाजे बराबर खुलेंगे। कृषि शिक्षा में यह कदम न सिर्फ समान अवसर सुनिश्चित करेगा, बल्कि युवाओं को खेती-बाड़ी और एग्रीकल्चर साइंस से जुड़े करियर में आगे बढ़ने का नया भरोसा भी देगा।
नई व्यवस्था में आइसीएआर कोटे के अंतर्गत उपलब्ध 3121 सीटों में से लगभग 2700 सीटें उन छात्रों के लिए होंगी, जिन्होंने 12वीं में कृषि विषय पढ़ा है। शेष सीटों पर विज्ञान विषय समूह वाले विद्यार्थियों को भी बराबर का मौका मिलेगा। इसका मतलब यह हुआ कि अब कृषि पढ़ने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों को न केवल समान अवसर मिलेगा, बल्कि उन्हें राज्यवार भिन्न पात्रता नियमों की बाधा भी नहीं झेलनी पड़ेगी।
विशेष बात यह है कि देश के 50 कृषि विश्वविद्यालयों में से 42 ने एबीसी (एग्रीकल्चर, बायोलाजी, केमिस्ट्री) विषय संयोजन को पात्रता के रूप में स्वीकार कर लिया है। तीन विश्वविद्यालयों ने पीसीए (फिजिक्स, केमिस्ट्री, एग्रीकल्चर) समूह को भी मान्यता दी है। जबकि पांच विश्वविद्यालयों ने अभी अपने बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की मंजूरी बाकी बताई है, लेकिन उन्होंने भरोसा दिलाया है कि अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2026-27 से वे भी कृषि विषय को पात्रता में शामिल करेंगे।
शिवराज सिंह ने बताया समाधान
शिवराज सिंह चौहान ने इस फैसले को विद्यार्थियों और अभिभावकों की लंबे समय से चली आ रही मांगों का समाधान बताया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल दाखिला प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी, बल्कि कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक देश-एक कृषि-एक टीम की भावना भी साकार होगी। उन्होंने इसे लागू करने में आईसीएआर और कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग को सराहा।
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