यूएनजीए अध्यक्ष ने सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का किया परोक्ष समर्थन
यूएनजीए अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि भारत दुनिया की बड़ी आबादी वाला देश है और सुरक्षा परिषद में वर्तमान विश्व व्यवस्था और भू-राजनीतिक वास्तविकता प्रतिबिंबित होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष ने कोरोना के दौरान निभाई गई भारत की भूमिका की सराहना की।
नई दिल्ली, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) अध्यक्ष और मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का परोक्ष समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की बड़ी आबादी वाला देश है और सुरक्षा परिषद में वर्तमान विश्व व्यवस्था और भू-राजनीतिक वास्तविकता प्रतिबिंबित होनी चाहिए। दो दिन की भारत यात्रा पर आए शाहिद ने सोमवार को एएनआइ के साथ विशेष बातचीत में कहा कि सुरक्षा परिषद के विस्तार को लेकर पिछले 14 साल से बातचीत चल रही है। यूएनजीए के अध्यक्ष के रूप में अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया को तेज किया है। अगर सुरक्षा परिषद में जल्द सुधार नहीं किया जाता है तो उसकी विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी।
भारत की दावेदारी पर कही यह बात
यह पूछे जाने पर किय क्या वह सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन करते हैं, अब्दुल्ला ने कहा, 'यूएनजीए अध्यक्ष के रूप में, मैं व्यक्तिगत सदस्य देश की पात्रता पर निर्णय लेने के लिए नहीं हूं, मुझे इस प्रक्रिया का नेतृत्व करना है और मुझे खुशी है कि इस वर्ष मैं अच्छी प्रगति करने में सक्षम हूं।' उन्होंने आगे कहा, 'वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को सुरक्षा परिषद में प्रतिबिंबित करना होगा, जैसा कि आपने ठीक ही कहा कि भारत में अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।'
गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में इस समय पांच स्थायी सदस्य हैं, जिन्हें वीटो का अधिकार है। इनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन शामिल हैं। चीन को छोड़कर बाकी के चार सदस्यों ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका को सराहा
समाचार एजेंसी प्रेट्र के अनुसार अब्दुल्ला ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। बातचीत के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत की 'पड़ोसी पहले' और मालदीव की 'भारत पहले' नीतियां एक दूसरे की पूरक हैं। जयशंकर ने मालदीव के संसद के स्पीकर व पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद से भी मुलाकात की जो भारत की यात्रा पर आए हैं। वहीं, अब्दुल्ला उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मिले।
भारत शांति प्रिय देशों के लिए 'गर्व का स्त्रोत'
कोरोना काल के दौरान भारत द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि भारत दुनिया की फार्मेसी साबित हुआ है। इसने न सिर्फ पड़ोसी देशों बल्कि सुदूर के देशों को भी सहायता पहुंचाई। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के साथ ही शांति प्रिय देशों के लिए भारत 'गर्व का स्त्रोत' है। यूएनजीए अध्यक्ष के रूप में अब्दुल्ला का कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है। आतंकदवाद सबसे बड़ी बुराई उन्होंने कहा कि आतंकवाद सबसे बड़ी बुराई है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है। सभी देशों को एक साथ मिलकर आतंकवाद से मुकाबला करना चाहिए।