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    कैशलैस की राह में आड़े आ रहा 'डिजिटल इंडिया' का अधूरा ख्वाब

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Wed, 30 Nov 2016 02:11 AM (IST)

    नोटबंदी से पहले अगर डिजिटल इंडिया का सपना पूरा हो जाता तो अर्थव्यस्था में नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देना आसान होता।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कैशलैस अर्थव्यवस्था की राह में डिजिटल इंडिया का अधूरा ख्वाब आड़े आ रहा है। बैंकों तथा वालेट कंपनियों का सर्वर व्यस्त रहने और मोबाइल नेटवर्क समय पर न आने के चलते लोगों को कैशलैस लेन-देन करने में दिक्कत आ रही है।

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    एचडीएफसी बैंक के वालेट 'चिल्लर' को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से 'चिल्लर' का मोबाइल एप्लीकेशन काम नहीं कर रहा है। उन्होंने जब इस संबंध में एक हफ्ता पहले 'चिल्लर' से शिकायत की तो कहा गया कि नए सिक्योरिटी फीचर्स डालने के कारण यह एप्लीकेशन काम नहीं कर रहा है। थोड़े समय में ठीक हो जाएगा। एक हफ्ते बाद भी यह एप्लीकेशन काम नहीं कर रहा है और 'चिल्लर' का वही पुराना बहाना बरकरार है।

    कैशलैस ट्रांजेक्शन में दूसरी बड़ी बाधा मोबाइल नेटवर्क आ रहा है। दूरसंचार मंत्रालय की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह दुरुस्त नहीं हुआ है।

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    सरकार के सूत्रों ने स्वीकार भी किया कि नोटबंदी से पहले अगर डिजिटल इंडिया का सपना पूरा हो जाता तो अर्थव्यस्था में नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देना आसान होता। सूत्रों ने कहा कि आज जिस तरह प्रधानमंत्री कार्यालय तथा विभिन्न मंत्रालयों को अपने कर्मचारियों को डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से वित्तीय लेन-देन करने की पहल करनी पड़ी है, इससे डिजिटल इंडिया की जमीनी हकीकत सामने आ गयी है। अगर यह हाल राजधानी दिल्ली में लुटियन जोन में बैठे लोगों का है तो दूरदराज के इलाकों में डिजिटल साक्षरता के स्तर का खुद पता लगाया जा सकता है।

    सूत्रों ने कहा कि अगर डिजिटल साक्षरता का काम समय पर पूरा किया जाता तो आज लोगों को कैशलैस ट्रांजैक्शन पूरा करने में असुविधा नहीं होती। देश में स्मार्ट फोन में तो वृद्धि हुई है लेकिन डिजिटल साक्षरता खासकर वित्तीय लेन-देन में डिजिटल प्लेटफार्म के उपयोग को लेकर आबादी का बड़ा हिस्सा जागरुक नहीं है।

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