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    Success Story: उम्मुल खेर ने झुग्गी-झोपड़ी में रहकर की यूपीएससी की तैयारी, पहले प्रयास में हासिल की 420 रैंक

    By Shashank MishraEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Wed, 26 Apr 2023 06:02 PM (IST)

    उम्मुल खेर को हड्डियों की गंभीर बीमारी हो गई थी जिसकी वजह से उन्हें कई बार सर्जरी से गुजरना पड़ा। वहीं उन्होंने खुद स्लम में रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चलाया। NET JRF की परीक्षा पास की और साथ ही सिविल सेवाओं की तैयारी की।

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    सिविल सेवाओं की तैयारी की और 420 रैंक लाकर सफलता प्राप्त की।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा परीक्षा, एक ऐसी परीक्षा है, जिसकी तैयारी के लिए युवा कई सालों तक तैयारी करते हैं। हालांकि, इसके बाद भी सफलता सुनिश्चित नहीं होती है। ऐसे में इस लंबी यात्रा में कई बार असफलता देखने के बाद कई युवाओं का हौसला टूट जाता है। इस बीच कई युवा अपनी असफलताओं से सीखकर सफलता के शिखर तक पहुंचने का रास्ता तय करते हैं।

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    आज हम आपको राजस्थान की रहने वाली उम्मुल खेर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने दिल्ली के त्रिलोकपुरी में स्लम में रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया, खुद हड्डियों की बीमारी से पीड़ित रहीं, लेकिन हार नहीं मानी। अंततः सिविल सेवाओं की तैयारी की और 420 रैंक लाकर सफलता प्राप्त की।

    उल्लुम खेर का परिचय

    उल्लुम खेर मूलरूप से राजस्थान के पाली की रहनी वाली हैं। जब वह पांच वर्ष की थी, तब उनके पिता उन्हें दिल्ली लेकर आ गए। वह अपने परिवार के साथ दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में रहने लगी। यहां उन्होंने स्कूली शिक्षा को पूरा किया। उनके पिता निजामुद्दीन में स्लम एरिया में रहकर कपड़े बेचा करते थे।

    हड्डियों की बीमारी से हो गई थी पीड़ित

    उम्मुल को हड्डियों की बीमारी Fragile Bone Disorder हो गई थी, जिसमें उनकी हड्डियां कमजोर हो गई थी। अपनी इस बीमारी की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक की उन्हें कई बार सर्जरी से भी गुजरना पड़ा।

    पढ़ने के लिए छोड़ा घर

    उम्मुल ने NGO की मदद से अपनी आठवी तक पढ़ाई पूरी कर ली थी। इसके बाद उन्होंने आगे पढ़ने की इच्छा जताई, तो परिवार ने पढ़ाने के लिए मना कर दिया। हालांकि, उन्होंने अपने फैसले को नहीं बदला। उम्मुल ने अपने आगे की पढ़ाई के लिए घर को छोड़ दिया और त्रिलोकपुरी स्लम में अकेले जाकर रहने लगी।

    बच्चों को पढ़ाया ट्यूशन

    उम्मुल ने त्रिलोकपुरी स्लम क्षेत्र में अकेले रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, जिससे उनका खर्चा चल जाया करता था। वहीं, उन्होंने वहां रहते हुए 12वीं कक्षा 91 फीसदी अंकों से पास की।

    गार्गी कॉलेज से पूरा किया स्नातक

    उम्मुल ने 12वीं के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेज गार्गी कॉलेज से अपना स्नातक पूरा किया।

    JNU से किया मास्टर

    उम्मुल ने डीयू के बाद JNU के लिए प्रवेश परीक्षा को पास कर मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की। यहां से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर की डिग्री हासिल की। वहीं, उन्होंने JRF की परीक्षा भी पास कर ली थी, जिसके बाद उन्हें 25,000 रूपये की स्कॉलरशिप मिलने लगी। इससे उनका आर्थिक संकट कम हुआ।

    साल 2012 में हो गया एक्सीडेंट

    उम्मुल को हड्डियों की बीमारी थी, जिससे उनके हड्डियां कमजोर थी। ऐसे में साल 2012 में एक एक्सीडेंट हुआ और वह पूरे एक साल तक बेड रेस्ट पर रही। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और सिविल सेवाओं की तैयारी करने का निर्णय लिया।

    पहले प्रयास में हासिल की 420वीं रैंक

    उम्मुल ने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू की। इस दौरान उन्होंने अपने वरिष्ठों से मार्गदर्शन लिया और पढ़ती रही। उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही 420 रैंक हासिल कर सिविल सेवा को क्रैक कर दिया।