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    Delhi 2020 Riots Case: उमर खालिद-शरजील इमाम की जमानत पर 31 अक्टूबर को होगी सुनवाई, SC से दिल्ली पुलिस को झटका

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 03:20 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने से मना कर दिया है। ये सभी 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े UAPA मामले में आरोपी हैं। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर को करेगा। हाई कोर्ट ने पहले इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

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    उमर खालिद-शरजील इमाम की जमानत पर 31 अक्टूबर को होगी सुनवाई (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्तों का समय देने से इनकार कर दिया है। ये सभी लोग 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े UAPA मामले में आरोपी हैं।

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    जैसे ही सुनवाई शुरू हुई दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से समय मांगा। लेकिन जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजनिया की बेंच ने कहा, "हमने पहले ही काफी समय दे दिया है। पिछली बार साफ कहा गया था कि 27 अक्टूबर को सुनवाई होग और मामला निपटाया जाएगा। बेल मामलों में जवाब दाखिल करने का सवाल ही नहीं उठता है।"

    सिब्बल और सिंघवी की दलील

    वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो उमर खालिद की ओर से पेश हुए उन्होंने कोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता पांच साल से जेल में बंद हैं। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ट्रायल में काफी देरी हो चुकी है इसलिए अब और देर नहीं होनी चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 22 सितंबर को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था। अब अदालत 31 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगी। बता दें, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर समेत 9 लोगों की जमानत याचिका खारिज की थी।

    दिल्ली HC ने क्या कहा?

    हाईकोर्ट ने कहा था कि साजिश के तहत हिंसा को विरोध प्रदर्शन के नाम पर बढ़ावा देना स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि संविधान शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहकर विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन यह अधिकार पूर्ण नहीं है और वाजिब प्रतिबंधों के अधीन है। हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि बिना सीमा के विरोध की अनुमति दी जाए तो यह संवैधानिक ढांचे और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।

    बता दें खालिद, इमाम और अन्य आरोपियों पर UAPA और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज है। पुलिस का आरोप है कि ये सभी फरवरी 2020 में भड़के दंगों के मास्टरमाइंड थे, जिसमें 53 लोगों की मौत और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

    किस बात का हो रहा था विरोध?

    यह हिंसा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी। हालांकि, आरोपियों ने सभी आरोपों से इनकार किया है और निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

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