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423 साल बाद बन रहा विशेष संयोग, महाकाल के साथ दिवाली मनाएंगी उज्जयिनी

423 साल बाद पड़ रहे विशेष संयोग से शिवभक्त काफी उत्साहित हैं। मंदिर में दीपोत्सव की खास तैयारी चल रही है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 26 Oct 2019 09:56 AM (IST)Updated: Sat, 26 Oct 2019 09:56 AM (IST)
423 साल बाद बन रहा विशेष संयोग, महाकाल के साथ दिवाली मनाएंगी उज्जयिनी
423 साल बाद बन रहा विशेष संयोग, महाकाल के साथ दिवाली मनाएंगी उज्जयिनी

राजेश वर्मा, उज्जैन। महाकाल मंदिर में एक दिन पहले यानी चतुर्दशी को दिवाली मनाई जाती है, लेकिन 23 साल बाद यह विशेष संयोग आया है, जब चतुर्दशी और अमावस्या एक ही दिन हैं। शिवभक्तों में इसे लेकर खासा उत्साह है और उज्जैन के साथ-साथ ज्योतिर्लिग महाकाल मंदिर में तैयारियां जोरों पर हैं।पंडित महेश पुजारी ने बताया, परंपरानुसार राजाधिराज बाबा महाकाल के आंगन में कार्तिक अमावस्या से एक दिन पूर्व दीपपर्व मनाया जाता है।

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किंतु इस बार रूप चतुर्दशी और अमावस्या एक ही दिन होने से विशेष संयोग बन रहा है। ज्योतिलिर्ंग में इस बार 27 अक्टूबर को दिवली मनाई जाएगी। 23 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब शिवनगरी की प्रजा अपने महाराजा महाकाल के साथ दीपपर्व मनाएगी। मंदिर में इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। 

पंडित महेश ने बताया, परंपरानुसार महाकाल मंदिर में चतुर्दशी के दिन तड़के भस्मारती में दिवाली मनाई जाती है। इस बार 27 को यानी दिवाली वाले दिन तड़के चार बजे यह विशेष पूजा होगी। भगवान को गर्म जल से स्नान कराने के बाद सबसे पहले पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर, चंदन से निर्मित उबटन लगाएंगी। इसके बाद भगवान को सुगंधित द्रव्यों से स्नान कराया जाएगा। सोने-चांदी के आभूषण धारण कराने के बाद नवीन वस्त्र पहनाएं जाएंगे। इसके बाद अन्नकूट लगाकर फुलझड़ी आरती होगी। महाकाल मंदिर में देव दिवाली देखने के लिए देश-विदेश से भक्त उमड़ेंगे। शाम को भी दीपावली मनेगी, संध्या आरती में भी भगवान के समक्ष दीप सज्जा कर प्रतीकस्वरूप फुलझड़ी चलाई जाएगी। 

महाकाल मंदिर में 26 अक्टूबर से दीपपर्व की शुरुआत होगी। इस बार 25 और 26 दोनों तारीख को त्रयोदशी का योग बन रहा है। श्री महाकालेश्वर पुरोहित समिति के अध्यक्ष पं. अशोक शर्मा ने बताया कि समिति द्वारा 26 अक्टूबर को सुबह 9:30 बजे धनत्रयोदशी मनाई जाएगी। भगवान महाकाल का अभिषेक-पूजन होगा। दीपावली के बाद 28 तारीख को गोवर्धन पूजा के साथ चिंतामन स्थित मंदिर की गोशाला में गायों का पूजन किया जाएगा।

ब्रह्म मुहूर्त में चतुर्दशी व प्रदोष काल में अमावस्या

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या पर ही सुबह ब्रह्म मुहूर्त में रूप चतुर्दशी भी रहेगी। दिन में सुबह 10:50 बजे के बाद अभिजीत मुहूर्त के साथ दीपावली पूजन के श्रेष्ठ मुहूर्त की शुरुआत होगी। शाम 5:48 से रात 8:21 बजे तक प्रदोष काल के समय माता लक्ष्मी की पूजा का अतिविशिष्ट समय है। एक दिन में दो पवोर्ं का संयोग पंचाग के पांच अंगों से संबंधित है।

इसके गणितीय पक्ष के अंतर्गत घटी पल का विशेष महत्व है। रविवार के दिन सुबह रूप चतुर्दशी उपरांत अमावस्या व अगले दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या का संयोग 30 साल में तीन व चार बार बनता है। इस बार 23 साल बाद ब्रह्म मुहूर्त में चतुर्दशी व प्रदोष काल में अमावस्या का संयोग बना है। यह योग स्नान व लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ है।


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