उज्जैन में सरपट दौड़ेगी पाड टैक्सी, 1900 करोड़ से बदलेगा शहर का ट्रैफिक सिस्टम
उज्जैन को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 1900 करोड़ की पाड टैक्सी योजना प्रस्तावित है। 25.46 किमी के दो रूटों पर 13 स्टेशन होंगे। सिंहस्थ 2028 से पहले, यह स्वचालित, चालक-रहित इलेक्ट्रिक वाहन प्रणाली उज्जैन को मेट्रो जैसी सुविधा देगी। पर्यटन और धार्मिक यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, ट्रैफिक कम होगा। उज्जैन देश का पहला धार्मिक शहर होगा जहाँ पाड टैक्सी चलेगी।

उज्जैन में सरपट दौड़ेगी पाड टैक्सी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के गृहनगर उज्जैन को आधुनिक और स्मार्ट सिटी के रूप में स्थापित करने की दिशा में सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग ने शहर में पाड टैक्सी चलाने को 1900 करोड़ रुपये की हाईटेक योजना तैयार कर राज्य सरकार को भेजी है। यह परियोजना उज्जैन को देश के चुनिंदा आधुनिक परिवहन वाले शहरों में शामिल करेगी।
1900 करोड़ की पाड टैक्सी परियोजना
योजना के तहत 25.46 किलोमीटर लंबे दो रूट पर कुल 13 स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। पाड टैक्सी को सिंहस्थ कार्यों से जुड़ी संभाग स्तरीय समिति की अनुशंसा के बाद अब राज्य स्तरीय पर्यवेक्षण समिति की बैठक में स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। यह प्रोजेक्ट स्वीकृत होने पर उज्जैन देश का ऐसा पहला धार्मिक और तीर्थ नगर होगा जहां मेट्रो जैसी सुविधा पाड टैक्सी के रूप में उपलब्ध होगी। बताया कि पाड टैक्सी एक स्वचालित, चालक-रहित और इलेक्ट्रिक वाहन प्रणाली है जो ऊंचे स्टील ट्रैक पर चलती है। इसमें ड्राइवर नहीं होता, बल्कि कंप्यूटर और सेंसर के ज़रिए इसका संचालन होता है।
उज्जैन में मेट्रो जैसी सुविधा
कॉम्पैक्ट कार जैसी दिखने वाली यह टैक्सी एक बार में 4 से 6 यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचा सकती है। ट्रैफिक जाम से मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल यह व्यवस्था शहरी परिवहन को आधुनिक और व्यवस्थित बनाने में मददगार साबित होगी। उज्जैन में इसे लागू करने से पर्यटन, धार्मिक आवागमन और शहरी गतिशीलता में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। परियोजना को सिंहस्थ 2028 की तैयारियों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि पाड टैक्सी न केवल शहर की छवि को आधुनिक बनाएगी, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुविधाजनक यात्रा अनुभव भी प्रदान करेगी।
ट्रैफिक सिस्टम पर दबाव होगा कम
इससे उज्जैन में ट्रैफिक का दबाव कम होगा और पर्यटन को नई रफ्तार मिलेगी। बाक्स ये फायदे ट्रैफिक से मुक्ति: ऊंचे ट्रैक पर चलने के कारण सामान्य सड़क यातायात में कोई बाधा नहीं। तेज़ और कुशल: बिना रुके सीधे गंतव्य स्टेशन तक पहुंचाने की सुविधा। कनेक्टिविटी: अंतिम मील तक पहुंचने में मदद और अन्य सार्वजनिक परिवहन से बेहतर लिंक। पर्यावरण संरक्षण: बिजली से चलने के कारण कार्बन उत्सर्जन में कमी। बाक्स दो रूट प्रस्तावित पहला रूट : देवासगेट बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन से टावर चौक, तीन बत्ती चौराहा, शास्त्री नगर, संत नगर, मलखंभ स्टैच्यू, ऋषि नगर, विश्वविद्यालय, इस्कान मंदिर, नानाखेड़ा बस स्टैंड, महामृत्युंजय द्वार। दूसरा रूट : महाकाल महालोक से जंतर-मंतर, जीवनखेड़ी, त्रिवेणी हिल्स, तपोभूमि।
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