UGC: छात्रों की शिकायत निवारण समिति में SC, ST, OBC और महिलाओं के प्रतिनिधियों की नियुक्ति हुई अनिवार्य
UGC News यूजीसी के निर्देश के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र शिकायत निवारण समिति का कम से कम एक सदस्य या उसकी अध्यक्ष एक महिला होगी। वहीं कम से कम एक सदस्य या अध्यक्ष अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से होगा।

नई दिल्ली, एजेंसी। UGC News विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने छात्र शिकायत निवारण समितियों के अध्यक्ष या सदस्यों के रूप में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के प्रतिनिधियों को नियुक्त करना अनिवार्य कर दिया है।
निर्देश से छात्रों को होगा फायदा
आयोग ने गुरुवार को सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को नए मानदंडों का पालन करने के लिए कहा है। यूजीसी के निर्देश से किसी भी संस्थान में पहले से नामांकित छात्रों के साथ-साथ ऐसे संस्थानों में प्रवेश पाने के इच्छुक छात्रों की शिकायतों के निवारण के अवसर मिलेंगे।
समिति का कम से कम एक सदस्य महिला होगी
संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, छात्र शिकायत निवारण समिति का कम से कम एक सदस्य या उसकी अध्यक्ष एक महिला होगी और कम से कम एक सदस्य या अध्यक्ष अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से होगा।
यूजीसी (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 पिछले 2019 के दिशानिर्देशों की जगह लेगा। इस नियम को 11 अप्रैल को अधिसूचित किया गया था और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार जारी किया गया है।
जाति-आधारित भेदभाव की शिकायतों के लिए खुला मंच
बता दें कि छात्रों की शिकायत विनियम, 2023, जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए एक अतिरिक्त खुला मंच प्रदान करता है। ये नियम यूजीसी द्वारा समय-समय पर बनाए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी छात्र के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है।
2019 के नियमों की तरह, यूजीसी ने छात्र निवारण समितियों को बरकरार रखा है जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों, विकलांग व्यक्तियों या महिलाओं से संबंधित छात्रों के कथित भेदभाव की शिकायतों पर विचार करेगी।
शिकायतों के निवारण के लिए लोकपाल की नियुक्ति
नए दिशा-निर्देशों में विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों व संस्थानों के छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए लोकपाल की नियुक्ति के प्रावधान को भी बरकरार रखा गया है। लोकपाल 10 वर्ष के अनुभव के साथ एक सेवानिवृत्त कुलपति, सेवानिवृत्त प्रोफेसर या पूर्व जिला न्यायाधीश होगा।
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