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    UGC ने कुलपति की नियुक्ति के बदले नियम, अब नहीं पूरी करनी होगी ये शर्त

    Updated: Wed, 08 Jan 2025 11:48 PM (IST)

    विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश भर के विश्वविद्यालयों में कुलपति कि नियुक्ति को लेकर भी नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के अनुसार अब कुलपति के लिए अब दस साल का शिक्षण अनुभव अनिवार्य नहीं होगा। माना जा रहा है कि इससे काफी लोगों को सहूलियत मिलेगी। इस बदलाव के लागू होने के बाद देश भर के विश्वविद्यालयों को अब दूरदर्शी और लीडरशिप क्षमता वाले कुलपति मिल सकेंगे।

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    UGC ने कुलपति की नियुक्ति के बदले नियम (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्वविद्यालयों सहित देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर जैसे पदों पर भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव के साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति से जुड़े नियमों में भी बड़ा बदलाव किया है।

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    नए नियमों के अनुसार कुलपति के लिए अब दस साल का शिक्षण अनुभव अनिवार्य नहीं होगा। बल्कि इसे लचीला बनाते हुए इसके लिए अब शिक्षण कार्य के साथ शोध, शैक्षणिक संस्थान, उद्योग व लोक प्रशासक आदि क्षेत्रों में भी दस साल का अनुभव रखने वाले इसके पात्र होंगे। अब तक कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए दस साल का शिक्षण अनुभव जरूरी था।

    जानिए क्या है नया नियम?

    यूजीसी के मुताबिक, इस बदलाव के लागू होने के बाद देश भर के विश्वविद्यालयों को अब दूरदर्शी और लीडरशिप क्षमता वाले कुलपति मिल सकेंगे। फिलहाल यूजीसी ने इन बदलावों से जुड़ा मसौदा जारी कर विश्वविद्यालयों और देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों से राय मांगी है। आयोग ने इसके साथ ही कुलपति के चयन से जुड़ी सर्च कमेटी में बदलाव की सिफारिश की है। इसमें यूजीसी के प्रतिनिधि भी अब अनिवार्य रूप से शामिल होगा।

    उम्र को लेकर भी बदला नियम

    वहीं, कुलपति को एक संस्थान में अधिकतम दो कार्यकाल ही मिलेगा। जो पांच-पांच साल का होगा। हालांकि इस पद पर उन्हें सिर्फ सत्तर साल की उम्र तक ही तैनाती दी जाएगी। इस दौरान जो पहले समाप्त हो जाएगा, वह जुड़ेगा। यूजीसी ने मसौदे में प्रस्ताव किया है यदि नए नियमों के तहत किसी भी संस्थान में कुलपति की तैनाती नहीं दी जाएगी, तो उसे शून्य घोषित माना जाएगा।

    यूजीसी ने इसके साथ ही विश्वविद्यालय सहित उच्च शिक्षण संस्थानों में बगैर पीएचडी व नेट के सिर्फ मास्टर डिग्री करने वालों को भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति देने की सिफारिश की है। इनमें एमई, एमटेक जैसे डिग्री हासिल करने वाले शामिल होंगे। यूजीसी ने छह जनवरी को जारी भर्ती नियमों से जुड़े इस मसौदे को लेकर लोगों से पांच फरवरी तक सुझाव देने को कहा है।

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