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    ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट की रोक जारी, छह संशोधनों के बाद ही मिल सकती है मंजूरी

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 08:44 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर 24 जुलाई तक रोक बढ़ा दी है। केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए छह संशोधनों को लागू करना अनिवार्य होगा। फिल्म निर्माताओं का कहना है कि फिल्म काल्पनिक है जिसका उद्देश्य सच्चाई को उजागर करना है न कि किसी समुदाय को निशाना बनाना। अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी जिसमें फिल्म की रिलीज पर फैसला होगा।

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    ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट की रोक जारी।

    जेएनएन, उदयपुर। Udaipur Files: सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर गुरुवार 24 जुलाई तक रोक बढ़ा दी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा सुझाए गए छह संशोधनों को लागू करना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही फिल्म की संभावित रिलीज़ पर विचार किया जा सकेगा।

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    केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि बताए गए छह संशोधन लागू किए जाते हैं तो कोई अतिरिक्त बदलाव जरूरी नहीं है और फिल्म निर्माताओं की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए। जबकि याचिकाकर्ता मौलाना अरशद मदनी की ओर से कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि यह फिल्म मुस्लिम समुदाय पर सीधा हमला है और इससे सांप्रदायिक वैमनस्य फैल सकता है।

    'किसी समुदाय को निशाना बनाना उद्देश्य नहीं'

    फिल्म निर्माता (जानी फायरफॉक्स मीडिया) का पक्ष था कि फिल्म काल्पनिक कथा है, और पहले ही CBFC ने 55 कट्स लगाने के बाद प्रमाणन दिया है। उनका दावा है कि फिल्म का उद्देश्य सच्चाई को उजागर करना है, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाना।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई थी। इसके बाद निर्माता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आदेश पर ध्यान देते हुए फिल्म की समीक्षा करवाई। CBFC ने पहले ही 55 कट्स के साथ फिल्म को प्रमाणित कर दिया था, लेकिन केंद्र की नई समीक्षा में अतिरिक्त 6 बदलाव सुझाए गए हैं।

    कन्हैयालाल हत्याकांड की कहानी पर आधारित है ‘उदयपुर फाइल्स’

    यह फिल्म जून 2022 में उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या पर आधारित है। हत्या का वीडियो वायरल हुआ था, और आरोपी वर्तमान में एनआईए की विशेष अदालत में मुकदमा झेल रहे हैं। फिल्म को लेकर जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया रही है – कुछ इसे सच्चाई का दर्पण मानते हैं, जबकि कुछ इसे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाला करार दे रहे हैं।

    अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ता केंद्र के आदेश को चुनौती नहीं देते, तब तक केंद्र के छह संशोधनों का आदेश बाध्यकारी रहेगा। अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि फिल्म को संशोधित रूप में रिलीज़ करने की अनुमति दी जाए या नहीं।

    केंद्र के छह बदलाव: बिना संशोधन नहीं रिलीज

    सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की समीक्षा के बाद जिन छह बदलावों की सिफारिश की गई, वे इस प्रकार हैं:

    • स्पष्ट अस्वीकरण जोड़ा जाए: फिल्म की शुरुआत में वॉइस ओवर के साथ एक अस्वीकरण जोड़ा जाए कि यह पूरी तरह एक काल्पनिक रचना है और इसका उद्देश्य किसी भी समुदाय को आहत करना नहीं है।
    • एआई जनित दृश्य में बदलाव: “सऊदी अरब शैली” में दर्शाई गई फांसी जैसे दृश्य को संशोधित करने का निर्देश दिया गया है।
    • 'नूतन शर्मा' नाम हटाया जाए: फिल्म के एक पात्र का नाम 'नूतन शर्मा' बदलकर कुछ और रखा जाए, और इस नाम को सभी प्रचार सामग्री से भी हटाया जाए।
    • धार्मिक संदर्भ वाले संवाद हटें: उक्त पात्र से संबंधित ऐसे संवाद जो धार्मिक ग्रंथों के संदर्भ में हैं, उन्हें फिल्म से हटाना होगा।
    • बलूच समुदाय से जुड़े संवाद हटें: फिल्म में बलूच समुदाय की रूढ़ छवि प्रस्तुत करने वाले संवादों को हटाने का निर्देश दिया गया है।
    • विशेष धन्यवाद क्रेडिट हटाया जाए: फिल्म में व्यक्तियों को दिया गया कोई भी व्यक्तिगत धन्यवाद क्रेडिट हटाने के निर्देश दिए गए हैं।