Makar Sankranti 2019: जानें- इस दिन क्या है राज्यों का पारंपरिक व्यंजन और खिचड़ी के प्रकार
खिचड़ी के हैं चार यार, दही पापड़ घी और आचार। खिचड़ी के यार बढ़ाए भी जा सकते हैं, क्योंकि वह बुरा नहीं मानती। अलग-अलग राज्यों में ये विभिन्न नाम और प्रकार में प्रसिद्ध है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। मकर संक्रांति का पर्व कृषि प्रधान पर्व है, जिसे पूरे देश में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। ये पर्व माघ महीने में मनाया जाता है, जो भारत का सबसे ठंडा समय माना जाता है। ऐसे में शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए तिल, चावल, उड़द की दाल और गुड़ खाया जाता है। मकर संक्रांति में इन खाद्य पदार्थों के सेवन का यह वैज्ञानिक आधार है। इसके धार्मिक आधार भी है। शास्त्रों के अनुसार माघ महीने में प्रतिदिन तिल से विष्णु भगवान की पूजा करने वाले या तिल का सेवन करने वाले के कई जन्मों के पाप कट जाते हैं। जो तिल से पूजा नहीं कर सकता या खा नहीं सकता, वह तिल-तिल का जाप करके भी ये पुण्य प्राप्त कर सकता है।
मकर संक्रांति पर तिल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर के स्वामी शनि देव हैं, जो सूर्य के पुत्र होने के बावजूद उनसे शत्रु भाव रखते हैं। ऐसे में शनि देव के घर में सूर्य की उपस्थिति के दौरान शनि देव कष्ट न दें, इसलिए मकर संक्रांति पर तिल का दान और सेवन करना शुभ माना जाता है।
इस दिन चावल, गुड़ और उड़द खाने का सामाजिक आधार ये है कि इसी वक्त ये फसलें तैयार होती हैं। लिहाजा इन फसलों को घर लाने पर सबसे पहले सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है। इसके बाद प्रसाद स्वरूप इसे परिवार के अन्य सदस्य ग्रहण करते हैं। मकर संक्रांति, सर्दी के मौसम में मनाई जाती है, इसलिए इस मौके पर देवताओं को तिल, गजक और गुड़ से बने लड्डू का प्रसाद चढ़ाया जाता है। साथ ही इस दौरान लगभग पूरे भारत में दही-चूड़ा खाने की भी परंपरा है।
तिला संक्रांति भी कहते हैं
मकर संक्रांति पर तिल खाने की परंपरा की वजह से बिहार के मिथिलांचल में इसे तिला संक्रांति भी कहते हैं। मिथिलांचल में इस अवसर पर खिचड़ी खाने की परंपरा है, जिसे जीमने (ज्योनार) भी कहते हैं। मिथिलांचल के लेखक व शिक्षाविद डॉ विश्वजीत झा बताते हैं कि यूं तो सर्दियों में खीर को उत्तम भोजन माना जाता है, लेकिन गरीबों के लिए दूध का बंदोबश्त कर खीर बनाना संभव नहीं होता है। इसलिए पानी में आसानी से पकने वाली खिचड़ी की परंपरा शुरू हुई। अमीर-गरीब के भेदभाव के बिना मिथिला में इस पर्व पर ज्योनार (खिचड़ी) बनाने की परंपरा है।
बिहार और उत्तर प्रदेश का खानपान
मकर संक्रांति पर बिहार और उत्तर प्रदेश का खानपान लगभग एक जैसा होता है। दोनों राज्यों में इस समय अगहनी धान से प्राप्त चावल और उड़द की दाल से बनी खिचड़ी खाने की परंपरा है। पहले कुल देवता को इसका भोग लगाते हैं, फिर प्रसाद स्वरूप खिचड़ी, अन्य व्यंजन, तिल व गजक आदि वितरित करने की परंपरा रही है। बिहार और उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। दोनों राज्यों में इस दिन खिचड़ी, दही-चूड़ा, गुड़, काले-सफेद तिल, बाजरा, मक्के का लावा (पॉपकॉर्न) और लाई (मुरमुरे) के लड्डू आदि खाते हैं।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का खानपान
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी मकस संक्रांति पर बिहार और उत्तर प्रदेश की तरह खिचड़ी खाने की परंपरा है। खिचड़ी के साथ ही यहां के लोग इस दिन गुजिया भी खाते हैं।
पंजाब व हरियाणा का खानपान
पंजाब और हरियाणा में इस पर्व पर उड़द दाल की खिचड़ी बनती है। विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के साथ मक्के की रोटी और सरसों का साग भी विशेष तौर पर बनता है। यहां भी तिलकूट, रेवड़ी, गजक आदि खाने की परंपरा है। इसके अलावा मक्के का लावा (पॉपकॉर्न), मूंगफली और मिठाईयां भी खाई जाती हैं।
जम्मू-कश्मीर - यहां इसे मोंग खेचिर कहा जाता है।
राजस्थान - यहां बाजरा खिचड़ी खाई जाती है।
उत्तर व मध्य भारत - यहां तूर दाल, मूंग दाल और उड़द की दाल वाली खिचड़ी प्रचलित है। साबू दाने की खिचड़ी भी यहां प्रसिद्ध है।
गुजरात - यहां पर कढ़ी के साथ खिचड़ी खाई जाती है।
बंगाल - यहां इसे खिचुरी कहा जाता है। इसे मछली, आलू की सब्जी, बैंगन व अंडों के साथ परोसा जाता है। यह धार्मिक अनुष्ठानों का अहम भोजन है।
पूर्वोत्तर राज्य - यहां इसे जा दोई, मणिपुरी खिचड़ी, काली दाल खिचड़ी कहते हैं।
दक्षिण भारत - कर्नाटक में खिचड़ी को बीसी बेले भात कहते हैं। आंध्र प्रदेश में पुलागम, केरल में माथन खिचड़ी खाई जाती है।
तमिलनाडु - यहां खिचड़ी को वेन पोंगल, खारा पोंगल, मिलागु पोंगल और गुड़ मिलाकर बनाया गया सक्कराई पोंगल कहते हैं।
ऐसे बनी खिचड़ी
संस्कृत के शब्द खिच्चा का मतलब है चावल और दाल से बना व्यंजन। इसी शब्द से खिचड़ी शब्द का उद्गम हुआ। हालांकि विभिन्न भाषाओं में इसे अलग-अलग तरह से बोला और लिखा जाता है। खिचड़ी के साथ खिचरी भी प्रचलित है। देश का ऐसा कोई भाग नहीं है जहां किसी न किसी प्रकार की खिचड़ी न खाई जाती हो। अलग-अलग राज्यों में इसे बनाने की विधियां और नाम बदल जाता है।
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