जरा सा बदलाव आपके जीवन का कर सकता है कायाकल्प, जानें आखिर कैसे होगा ये संंभव
साइकिल उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है, लेकिन हमारी सोच ने इसे गरीबों की सवारी बना दिया है। वहीं कई देश साइकिलिंग से मुफ्त में तरह-तरह के लाभ उठा रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। स्वास्थ और पर्यावरण को लेकर पूरी दुनिया परेशान है। दुनिया भर के देश और लोग इस पर लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं। ये विडंबना ही है कि लोग खूब सारे पैसे खर्च कर, सुबह-शाम जिम में पसीना बहाते हैं और फिर कार में बैठकर ऑफिस जाते हैं। अगर हम इन आदतों को छोड़ दें, तो मुफ्त में न केवल खुद स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी साफ रखा जा सकता है। बस जरूरत है अपनी सोच बदलने की। भारत में लोग साइकिल को गरीबों की सवारी मानते हैं, जबकि दुनिया के अन्य देशों में ये स्वस्थ और समझदार लोगों की सवारी मानी जाती है। जानें साइकिलिंग को लेखर भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में क्या है स्थिति और क्या-क्या हैं इसके फायदे?
भारत में साइकिलिंग के फायदे
एन इकोनॉमिक, एनवायरमेंटल एंड सोशल असेसमेंट नामक टेरी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि यदि भारत में लोग नियमित रूप से 120 दिनों तक करीब 3.5 किमी साइकिल चलाएं तो समय से पूर्व होने वाली 4756 मौतों को रोका जा सकता है। साथ ही 10 लाख टन कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था को 1.8 लाख करोड़ रुपये का लाभ भी पहुंचाया जा सकता है, जो हमारी जीडीपी के 1.6 फीसद हिस्से के बराबर है। इसलिए राष्ट्र, समाज और खुद के हित में साइकिल चलाना बेहद उपयोगी है।
ये है बड़ी चुनौती
रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि साइकिलिंग के लाभों को लेने के लिए अभी हमारे शहर तैयार नहीं है। सभी शहरों में साइकिलिंग से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं के साथ बाइक शेयरिंग स्कीम को अपनाए जाने की जरूरत है। साइकिल की सवारी के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। इस सोच को खारिज किए जाने की जरूरत है कि साइकिल गरीब लोगों के यातायात का साधन है।
लाभ ही लाभ: प्रत्यक्ष (सालाना राष्ट्रीय स्तर पर)
अगर देश में रोजाना आठ किमी का सफर करने वाले सभी दोपहिया और कार सवारों के पचास फीसद को यह मान लिया जाए कि वे साइकिल का इस्तेमाल शुरू करेंगे तो...
कहां खड़े हैं हम
दुनिया के दूसरे बड़े साइकिल उत्पादक का तमगा भले ही हमें (भारत को) हासिल हो, लेकिन हमारी तमन्ना होती है कि वह भी बिना पैडल मारे चले। 40 फीसद भारतीय परिवारों के पास साइकिल होने के बावजूद आज वही साइकिल से चलते हैं, जिनके पास कोई विकल्प नहीं है। इनकी मजबूरी, लाचारी और बेबसी ही साइकिल पर चलने को मजबूर करती है। साइकिल से चलना हमें शान के खिलाफ लगता है।
साइकिलिंग के फायदे
इसके आकार प्रकार के चलते व्यस्ततम ट्रैफिक जाम बाधा नहीं बनते। बिना आवाज किए, ध्वनि प्रदूषण को रोकने में मदद करती है। बिना किसी उत्सर्जन के साइकिल ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में मदद करती है। छोटे-मोटे घरेलू सामानों को ढोने के लिए बगैर ईंधन के और कम रखरखाव वाली साइकिल जेब ढीली होने से बचाती है। पैदल से तेज गति और आसान पैडल मारने से पैर की मांशपेशियां सुगठित और हड्डियां मजबूत होती हैं। क्षमता बढ़ाने के साथ, श्वसन तंत्र में सुधार आता है। नियमित साइकिल चलाने वाले में डायबिटीज, दिल के दौरे और आघात की संभावना कम हो जाती है।
मिले प्रोत्साहन
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में साइकिल की बिक्री को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इसके लिए पांच हजार से कम की साइकिलों पर GST दर वर्तमान में 12 से पांच फीसद किए जाने की दरकार है। जिससे कि ज्यादा से ज्यादा गरीब लोग इसे अपनी सवारी बना सकें।
पश्चिम से मिला विचार
- केवल साइकिलिंग से नीदरलैंड्स में समय से पूर्व होने वाली 6500 मौतों को रोका जा सका है। स्वास्थ्य के मद में 19 अरब यूरो की आर्थिक बचत हुई है।
- बार्सीलोना में साइकिल से ऑफिस आने जाने में 72.5 फीसद वृद्धि से सालाना 47 लाख यूरो की बचत संभव हुई।
- मेक्सिको में कार और टैक्सी के विकल्प के रूप में साइकिल को अपनाने के प्रयोग से सालाना 2.6 लाख डॉलर का आर्थिक लाभ हुआ।
दुनिया में साइकिल संस्कृति
एम्सटर्डम: साइकिल की सवारी करने में नीदरलैंड्स का यह शहर शीर्ष पर है। शहर के सभी नियमित आने जाने वालों में 40 फीसद साइकिल के पैडल मार कर ही मंजिल तय करते हैं। शहर में किराए पर साइकिलें दी जाती हैं।
बासेल: स्विटजरलैंड के इस बेहद खूबसूरत शहर में साइकिलों के चलने के लिए अलग से लेन तैयार की गई है।
बार्सीलोना: स्पेन के इस शहर में साइकिलों के लिए ग्रीन रिंग तैयार की गई है। सौ अलग अलग बाइक स्टेशनों में कहीं से साइकिल किराए पर लेकर कहीं भी जमा कराई जा सकती है।
बीजिंग: वाहनों के धीमे यातायात में साइकिल की सवारी कहीं ज्यादा बेहतर साबित हो रही है। बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते भी साइकिल की सवारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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