टाइप-1 डायबिटीज है तो इम्यूनोथेरेपी लें, पढ़ें क्या है इम्यूनोथेरेपी
इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे अध्ययन के अनुसार इम्यूनोथेरेपी उन लोगों में टाइप-1 डायबिटीज की वृद्धि को धीमा करने में प्रभावी पाई गई।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। यदि आपको डायबिटीज है तो आप इम्यूनोथेरेपी लेकर उससे टाइप-1 डायबिटीज को दो साल के लिए टाल सकते हैं। इम्यूनोथेरेपी वह प्रक्रिया है जिसमें इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) को सक्रिय या बाधित कर किसी बीमारी का इलाज किया जाता है।
इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे अध्ययन के अनुसार, इम्यूनोथेरेपी उन लोगों में टाइप-1 डायबिटीज की वृद्धि को धीमा करने में प्रभावी पाई गई जिनमें इस बीमारी का सबसे ज्यादा जोखिम पाया गया। अंतरराष्ट्रीय संगठन टाइप-1 डायबिटीज ट्रायलनेट ने अपने अध्ययन में एंटी-सीडी3 मोनोक्लोनल एंटीबाडी (टेपलिजुमाब) नामक दवा को लेकर परीक्षण किया था।
दरअसल इन दिनों एक समय के बाद अधिकतर लोग डायबिटीज जैसे रोग के शिकार हो जाते हैं, खान पान और दौड़ भाग भरी जिंदगी में आज के समय में डायबिटीज की बीमारी होना आम बात हो गई है, तमाम सावधानियों के बाद भी लोग इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इंग्लैंड के वैज्ञानिक लगातार इस दिशा में खोज कर रहे थे, खोज के बाद अब उन्होंने इम्यूनोथेरेपी प्रक्रिया इजाद की है, इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए वो टाइप-1 डायबिटीज को दो साल के लिए टाल सकते हैं।
उधर एक दूसरी खोज में वैज्ञानिकों ने एक नया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) सिस्टम विकसित किया है। यह सिस्टम रोगियों की तस्वीरों के साथ ही उनके आनुवांशिक डाटा के उपयोग से प्रभावी और विश्वसनीय तरीके से दुर्लभ बीमारियों का पता लगा सकता है। पूरी दुनिया में हर साल करीब पांच लाख बच्चे किसी आनुवांशिक बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इसकी पहचान करना कठिन और समय खपाने वाला हो सकता है।
जर्मनी की बॉन यूनिवर्सिटी और चैरिट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि एआइ तकनीक के उपयोग से इस तरह की बीमारियों की पहचान हो सकती है। यह निष्कर्ष मेबरी सिंड्रोम और म्यूकोपॉलीसेक्करिडोसिस (एमपीएस) समेत 105 दुर्लभ रोगों से पीड़ित 679 रोगियों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।
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