देश के इस राज्य में अब GBS से 1 महिला की मौत, दो लोगों की गई जान; सामने आए 17 मामले
गुलियन-बेरी सिंड्रोम (GBS) वायरस अब आंध्र प्रदेश तक पहुंच गया है। यहां एक 45 साल की महिला की GBS के कारण मौत हो गई। कुल मिलाकर अब तक आंध्र प्रदेश में GBS से दो लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा अभी जीबीएस के 17 मामले हैं। आंध्र प्रदेश के सभी जिलों में GBS के मामले सामने आए हैं।

पीटीआई, अमरावती। देश के कुछ राज्यों में गुलियन-बेरी सिंड्रोम (GBS) मामलों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। फिलहाल ताजा मामला आंध्र प्रदेश का है, यहां एक 45 साल की महिला की GBS के कारण मौत हो गई।
इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव ने सोमवार को बताया कि पिछले 10 दिनों में आंध्र प्रदेश में एक 45 साल की महिला और एक नाबालिग लड़के की ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल विकार, गुलियन-बेरी सिंड्रोम (जीबीएस) के कारण मौत हो गई है। कुल मिलाकर अब तक आंध्र प्रदेश में GBS से दो लोगों की मौत हो गई है।
10 दिन पहले हुई थी पहली मौत
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कमलाम्मा की मौत गुंटूर के सरकारी जनरल अस्पताल (जीजीएच) में हुई है, जबकि 10 साल के लड़के की मौत 10 दिन पहले श्रीकाकुलम के एक निजी मेडिकल कॉलेज में हुई थी।
'अभी जीबीएस के 17 मामले हैं'
इसके बाद सत्य कुमार यादव ने कहा,
'अभी जीबीएस के 17 मामले हैं। यह एक नॉन कम्यूनिकेबल बीमारी है, जिसकी घटना दर प्रति एक लाख आबादी पर दो तक है। यह मामलों में अचानक उछाल नहीं है, यह सामान्य है।'
यादव के अनुसार, 2024 में इस बीमारी के कुल 267 मामले सामने आए, जिनमें से 141 मामले साल की पहले 6 महीने में और 126 मामले बाकि के 6 महीने में सामने आए।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा-इलाज से किया जा सकता ठीक
यह देखते हुए कि औसतन हर महीने 25 मामले सामने आते हैं, मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनमें से अधिकतर को इलाज से ठीक किया जा सकता है, जबकि कुछ गंभीर मामलों में इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन और आईसीयू में भर्ती की आवश्यकता होगी।
जीबीएस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और झुनझुनाहट होती है।
महाराष्ट्र के पुणे में मिले थे पांच केस
वहीं कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के पुणे से नर्व डिस-ऑर्डर के पांच और रोगियों का पता चला था। इसके साथ ही पुणे क्षेत्र में गुइलेन-बेरी सिंड्रोम (जीबीएस) के संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों की संख्या 197 तक पहुंच गई है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने इसको लेकर बताया कि यहां पांच मरीजों में दो ताजा मामले और तीन पिछले दिनों के मामले शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, 197 मामलों में से 172 में GBS से जुड़ा इलाज किया गया है।
क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम (𝐆𝐁𝐒) वायरस किन लोगों को है इससे ज्यादा खतरा?
शारदा केयर हेल्थसिटी के डिपॉर्टमेंट ऑफ न्यूरोसर्जरी के सीनियर कंसलटेंट डा. विशाल जैन कहते हैं कि गुलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। यह कमजोरी, सुन्नता और झुनझुनी जैसे लक्षणों का कारण बनता है, जो आमतौर पर पैरों से शुरू होकर हाथों और चेहरे तक फैलते हैं। गंभीर मामलों में, जीबीएस लकवा और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है, जिससे यह जानलेवा हो सकता है।
जीबीएस किसी को भी हो सकता है, लेकिन वयस्कों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले वृद्ध लोगों में यह अधिक आम है। 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में जीबीएस होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
जीबीएस के ज्यादातर मामले वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होते हैं। कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया जीबीएस का सबसे आम कारण है। जीबीएस फ्लू, साइटोमेगालोवायरस, एपस्टीन-बार वायरस जैसे वायरल संक्रमणों के बाद भी हो सकता है। कुछ मामलों में, जीबीएस कोविड-19 के बाद भी विकसित हुआ है।
जीबीएस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को प्रबंधित करने और जटिलताओं को रोकने के लिए उपचार उपलब्ध हैं। इनमें इम्यून ग्लोब्युलिन थेरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज शामिल हैं।
यदि आप जीबीएस के किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है। By
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