राष्ट्रपति भवन में हर रोज फुंकती है दो लाख की बिजली
देश के आम नागरिकों को भले ही उसकी जरूरत के मुताबिक बिजली उपलब्ध नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति भवन में कभी बिजली की कोई कमी नहीं रहती। यहां हर रोज करीब दो लाख रुपये की बिजली फुंकती है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है। करनाल के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश्

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़ । देश के आम नागरिकों को भले ही उसकी जरूरत के मुताबिक बिजली उपलब्ध नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति भवन में कभी बिजली की कोई कमी नहीं रहती। यहां हर रोज करीब दो लाख रुपये की बिजली फुंकती है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है। करनाल के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश शर्मा द्वारा मांगी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011-12 में राष्ट्रपति भवन के बिजली के बिल के रूप में 7 करोड़ 4 लाख 94 हजार 385 रुपये का भुगतान किया गया है।
एक माह का राष्ट्रपति भवन का बिजली बिल 58 लाख 74 हजार 532 रुपये बनता है, जबकि किसी भी जिले के विद्युत उपभोक्ताओं का औसत बिल 55 करोड़ रुपये आता है। इसमें घरेलू और औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं का बिजली खर्च भी शामिल होता हैं।
राष्ट्रपति भवन का एक दिन का बिजली बिल 1 लाख 93 हजार 135 रुपये आया है। आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश शर्मा के अनुसार करनाल के विद्युत विभाग के अधीक्षक अभियंता टीके महाजन ने करनाल जिले के एक माह के 55 करोड़ रुपये के औसत बिल की पुष्टि की है। जिला यदि फरीदाबाद या गुडग़ांव अथवा सोनीपत की तरह बड़ा है तो यह खर्च बढ़ जाता है।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रपति संपदा विद्युत मंडल के कार्यपालक अभियंता सौरभ कुमार के अनुसार राष्ट्रपति भवन के बिजली के बिल में मुगल गार्डन में इस्तेमाल की जाने वाली बिजली भी शामिल है। मुगल गार्डन में बिजली राष्ट्रपति भवन के मीटर से ही सप्लाई होती है। मुगल गार्डन के लिए अलग से कोई मीटर नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया है कि वीआईपी और वीवीआईपी लोगों के लिए अलग से अतिरिक्त बिजली की सप्लाई के प्रावधान का कोई औचित्य नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रभावशाली लोगों को अतिरिक्त बिजली देना भेदभाव है। अनुच्छेद 21 के तहत बिजली प्राप्त करना सभी उपभोक्ताओं का अधिकार है।
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