Turkey Earthquake: काम के सिलसिले में तुर्किए गए भारतीय की विनाशकारी भूकंप में मौत, जानें कौन हैं विजय कुमार?
Turkiye Earthquake तुर्किए में आए विनाशकारी भूकंप में उत्तराखंड के रहने वाले विजय कुमार की मौत हो गई। वे 6 फरवरी को आए भूकंप के बाद से ही लापता थे। भारतीय दूतावास ने ट्वीट कर उनके शव के मिलने की जानकारी दी।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Who is Vijay Kumar: तुर्किये और सीरिया में 6 फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप में करीब 26 हजार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग बेघर हो गए। राहत और बचाव कार्य जारी है। समय बीतने के साथ मलबे में जिंदा लोगों के मिलने की संभावना कम होती जा रही है। ध्वस्त हुए भवनों के मलबे से बड़ी संख्या में शवों का मिलना जारी है। इस दौरान लापता भारतीय नागरिक का भी पता चल गया है। मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले विजय कुमार का शव तुर्किये के मलात्या शहर के होटल के मलबे से मिला है। विजय कारोबार के सिलसिले में तुर्किये गए थे। यह जानकारी तुर्किये में स्थित भारतीय दूतावास ने ट्वीट के जरिये दी है।
होटल के मलबे में दबा मिला शव
भारतीय दूतावास ने बताया है कि विजय कुमार छह फरवरी को भूकंप आने के बाद से लापता थे। उनकी तलाश के प्रयास चल रहे थे। अब उनके शव को गृह स्थान भेजने का प्रबंध किया जा रहा है। इससे पहले, आठ फरवरी को भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने बताया था कि तुर्किये के भूकंप प्रभावित क्षेत्र में मौजूद 11 भारतीयों में से दस से संपर्क स्थापित हो चुका था, जबकि एक लापता था।
Our deepest condolences to his family and loved ones. We are making arrangements for the earliest possible transportation of his mortal remains to his family.@PMOIndia @DrSJaishankar @MEAIndia
2/2
— India in Türkiye (@IndianEmbassyTR) February 11, 2023
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शोक में डूबा परिवार
उत्तराखंड के कोटद्वार स्थित आवास पर विजय कुमार के निधन पर परिवार शोक में डूबा हुआ है। उनके परिवार में मां, पत्नी और 6 साल का बेटा है। उनके रिश्तेदार गौरव काला ने बताया, ''हमें दोपहर में दूतावास से फोन आया। वे पहचान के लिए पुष्टि चाहते थे, इसलिए हमने उन्हें बाएं हाथ पर एक निशान के बारे में बताया। वह बेंगलुरु में एक कंपनी में काम करता था और 22 जनवरी को यहां से चला गया। वह 20 फरवरी को लौटने वाला था।
पिछले साल पिता की हुई थी मौत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विजय बेंगलुरु में एक गैस प्लांट कंपनी आक्सीप्लांट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में तकनीशियन के रूप में काम करते थे। वे 25 जनवरी को तुर्किए गए थे और मलत्या में एक हॉस्टल में रह रहे थे। विजय की पत्नी का नाम पिंकी गौर है। विजय के पिता का रमेश चंद्र गौर का पिछले साल दिसंबर में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था।
1939 के बाद सबसे विनाशकारी दैवीय आपदा
रायटर के अनुसार, तुर्किये में जान-माल के नुकसान के जो आंकड़े आ रहे हैं, उनसे लग रहा है कि यह भूकंप देश में 1939 में आए भूकंप के बाद सबसे विनाशकारी दैवीय आपदा है। केवल तुर्किये में अभी तक करीब 22 हजार लोगों के मरने की जानकारी सामने आ चुकी है। पड़ोसी देश सीरिया में भी 3,500 से ज्यादा लोग मरे हैं।
भीषण ठंड में लोगों का बुरा हाल
भीषण ठंड में लाखों बेघर लोगों का बुरा हाल है। वे खाने-पीने का सामान, गर्म कपड़े और छत की छाया पाने के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। जगह-जगह लोग आग जलाकर ठंड से बचाव करते हुए देखे जा सकते हैं। भूकंप के पांच दिन बाद भी तुर्किये और सीरिया में मलबे के बड़े-बड़े ढेर लगे हुए हैं।
नाकाफी साबित हो रहे बचाव और राहत कार्य
तमाम देशों की मदद के बावजूद बचाव और राहत कार्य नाकाफी साबित हो रहे हैं। अब मलबे से किसी के जिंदा निकलने का चमत्कार होने की संभावना क्षीण है। हां, मलबे में बड़ी संख्या में शवों के दबे होने की आशंका बलवती है। इसी के चलते आने वाले दिनों में तुर्किये में मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है। ऐसे में राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की भूमिका और तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार से लोग पूछ रहे सवाल
लोग पूछ रहे हैं कि भूकंप की आशंका के बावजूद दैवीय आपदा से निपटने के लिए सरकार ने पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं रखे। वर्षों से बरती जा रही लापरवाही का नतीजा था कि भवन भूकंप की आशंका को ध्यान में रखकर नहीं बनाए गए और प्रशासन ने भूकंप आने की स्थिति से निपटने के लिए कोई अग्रिम तैयारियां नहीं की थीं।

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