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कश्मीर व सीमा पार आतंक पर तुर्की से दो टूक

इर्डोगन ने भारत आने से पहले ही कश्मीर में मध्यस्थता करने की मंशा जता कर यह बता दिया था कि वह अहम मुद्दे पर पाकिस्तान के एजेंडे को ही आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 01 May 2017 10:40 PM (IST)Updated: Mon, 01 May 2017 10:40 PM (IST)
कश्मीर व सीमा पार आतंक पर तुर्की से दो टूक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कश्मीर से लेकर एनएसजी तक जैसे अहम मामलों में अपने मित्र देश पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तयीप इर्डोगन को कूटनीतिक संदेश देने में पीएम नरेंद्र मोदी ने कोई कोताही नहीं की।

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इर्डोगन ने भारत आने से पहले ही कश्मीर में मध्यस्थता करने की मंशा जता कर यह बता दिया था कि वह अहम मुद्दे पर पाकिस्तान के एजेंडे को ही आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। लेकिन आज मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता में उनके सामने दो टूक कह दिया कि कश्मीर पर भारत को कतई भी मध्यस्थता मंजूर नहीं है। यही नहीं पीएम ने कश्मीर समस्या को सीधे तौर पर सीमा पार आतंक से जुड़ी समस्या बता कर यह स्पष्ट किया कि भारत को वैश्विक मंचों पर तुर्की की मदद तो चाहिए लेकिन कश्मीर की शर्त पर नहीं।

राष्ट्रपति इर्डोगन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच आतंक से लेकर सांस्कृतिक संबंधों और द्विपक्षीय व्यापार जैसे हर अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। आतंक के मुद्दे पर भी इर्डोगन ने भारत के साथ हमेशा खड़े होने की बात कही लेकिन अपने शब्दों का सोच समझ कर इस्तेमाल किया। मसलन उन्होंने सुकमा हमले को आतंकी घटना करार देते हुए इसकी जम कर भ‌र्त्सना की और कहा 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में तुर्की भारत के साथ हमेशा खड़ा रहेगा..आतंकी जो खून बहा रहे हैं वे उसी में डूब मरेंगे।'

इर्डोगन के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में मोदी ने भी अपनी कूटनीतिक के हिसाब से शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि, ''किसी भी वजह से आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता। दुनिया के तमाम देशों को मिल कर आतंकवादियों के नेटवर्क को खत्म करना होगा और सीमा पार से चलाये जा रहे आतंकी गतिविधियों को रोकना होगा।'' कहने की जरुरत नहीं कि मोदी तुर्की के अभिन्न मित्र पाकिस्तान का जिक्र कर रहे थे।

बाद में मोदी-इर्डोगन बैठक के बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल वागले ने भी कहा कि, ''हमने तुर्की पक्ष को बताया है कि कश्मीर सिर्फ सीमा पार आतंक से जुड़ा मुद्दा है। साथ ही हम पाकिस्तान के साथ कश्मीर सहित हर मुद्दे का समाधान बातचीत से करना चाहते हैं। हमारी बात तुर्की ने बहुत ध्यान से सुनी है।''

लेकिन आतंकवाद पर विचारों की भिन्नता यहीं खत्म नहीं होती। इर्डोगेन ने अपने देश के प्रतिबंधित आतंकी संगठन फेतुल्लाह गुलेन टेरोरिस्ट आर्गेनाइजेश (फेटो) के मुद्दे को उठाया। तुर्की का मानना है कि अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम धर्मगुरु गुलेन दुनिया भर में इर्डोगेन के खिलाफ साजिश रच रहा है। इर्डोगेन ने कहा कि दुनिया में 170 देशों में फेटो किसी ने किसी रूप में सक्रिय है और भारत को भी गुलेन के ढांचे को खत्म करने में मदद करनी चाहिए। तुर्की पहले भी भारत से इस बारे में आग्रह कर चुका है। जबकि भारत इस आरोप को खारिज कर चुका है कि गुलेन का कोई भी संगठन भारत में तुर्की सरकार के खिलाफ आतंकी कार्रवाई या किसी तरह की गतिविधि में लिप्त है। वागले ने भी कहा कि, कोई भी संगठन भारत में यहां के कानून के दायरे में रह कर ही काम कर सकता है।

वैसे दोनों देशों के बीच परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की दावेदारी पर भी चर्चा हुई है। तुर्की ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया है लेकिन वह भारत के साथ पाकिस्तान को भी इसका सदस्य बनते देखना चाहता है। संयुक्त राष्ट्र के स्थाई परिषद के सदस्य के तौर पर भारत की दावेदारी का भी तुर्की ने समर्थन किया है लेकिन इर्डोगेन ने यह भी कहा कि, दुनिया में 1.7 अरब मुस्लिम हैं जिनका यूएन में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

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