अब तुलसी और ज्यादा असरदार: मंदसौर में तैयार हुई नई किस्म ‘राज विजय बेसिल-16’, किसानों को देगा मुनाफे का नया रास्ता
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ने तुलसी की एक नई किस्म 'राज विजय बेसिल-16' विकसित की है। इसमें पारंपरिक तुलसी की तुलना में चार गुना अधिक औषधीय गुण और तेल की मात्रा है। यह कीट प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिलेगा। यह मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सोयाबीन का एक अच्छा विकल्प बन सकती है और चार राज्यों की जलवायु के अनुकूल है।

अब तुलसी और ज्यादा असरदार (फोटो सोर्स- जेएनएन)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में धार्मिक और औषधीय महत्व रखने वाली तुलसी अब और अधिक प्रभावशाली रूप में सामने आई है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध उद्यानिकी महाविद्यालय, मंदसौर के विज्ञानियों ने अखिल भारतीय औषधि एवं सगंध परियोजना के तहत तुलसी की एक नई किस्म तैयार की है ‘राज विजय बेसिल-16’।
यह किस्म तुलसी के ओसीमम बेसिलिकम वर्ग से विकसित की गई है। विज्ञानियों का दावा है कि इसमें चार गुना ज्यादा औषधीय गुण और तेल की मात्रा अधिक है, जो इसे औषधीय उपयोग के लिहाज से बेहद खास बनाता है।
मंदसौर अनुसंधान केंद्र के विज्ञानी डा.आरएस चूड़ावत, डॉ. बीके कचौली और डा. बीके पाटीदार द्वारा चार साल के परिश्रम के बाद विकसित की ग तुलसी की यह नई किस्म 115 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी बीज उपज 22.41 किलो प्रति हेक्टेयर और तेल की मात्रा 67.49 किलो प्रति हेक्टेयर है।
यह कीट प्रतिरोधी होने के कारण इसमें कीटनाशकों की लागत नहीं आती, जिससे किसानों को ज्यादा लाभ होता है। इस किस्म के बीज में ओमेगा-तीन और फैटी एसिड का समृद्ध स्त्रोत है। यह शरीर की गर्मी को कम करती है और रक्त शर्करा को नियंत्रित करती है। इसके साथ ही कृषि विज्ञानी ने बताया कि इसके अर्क से आइसक्रीम भी बनाई जा सकेगी।
सोयाबीन की जगह ले सकती है ये तुलसी
मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में व्यावसायिक तौर पर पैदा की जाने वाली तुलसी पारंपरिक सोयाबीन की फसल का अच्छा विकल्प बन सकती है। कृषि विज्ञानियों का मानना है कि यह किस्म न केवल औषधीय दृष्टिकोण से बल्कि व्यावसायिक खेती के लिहाज से भी फायदेमंद है। इसकी उत्पादकता सोयाबीन जैसी पारंपरिक फसलों से अधिक है।
चार राज्यों की जलवायु में पूरी तरह अनुकूल
इस तुलसी की खेती मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तरप्रदेश में की जा सकती है। क्योंकि शोध में यह किस्म इन राज्यों की जलवायु के अनुकुल पाई गई है।
फैक्ट फाइल
- औषधीय गुण: तुलसी की अन्य किस्सों से 4 गुना ज्यादा
- तेल : 67.49 किलो प्रति हेक्टेयर
- बीज उत्पादन: 22.41 किलो प्रति हेक्टेयर
- फसल अवधि: 115–120 दिन
- कीट प्रतिरोधी, कम लागत
- सोयाबीन जैसी फसलों का विकल्प
- देश की पहली आयल तुलसी वैरायटी
पारंपरिक तुलसी की तुलना में बेहतर उपज और कीटों से भी सुरक्षा
तुलसी की एक नई उन्नत किस्म "राज विजय बेसिल-16 पारंपरिक तुलसी की तुलना में उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिहाज से काफी बेहतर मानी जा रही है। पारंपरिक तुलसी औसतन पांच किलो प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। इसके पकने की अवधि 110–115 दिन है। साथ ही सामान्य तुलसी में कीट लगने की संभावना अधिक होती है, जबकि राज विजय बेसिल-16 में प्रतिरोधक क्षमता बेहतर पाई गई है।
वजन घटाने से लेकर हाई कैलोरी फूड तक, कई फायदे एक साथ
तुलसी की नई किस्म ‘राज विजय बेसिल-16’ सिर्फ खेती के नजरिए से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और आहार के क्षेत्र में भी बेहद उपयोगी साबित होगी। इस किस्म का उपयोग अब हाई कैलोरी फूड में भी किया जा सकेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक इसे भीगो कर खाने से भूख नहीं लगती, जिससे यह वजन नियंत्रित करने में सहायक है। इसके अलावा यह शरीर में कोलेस्ट्राल को कम करने में भी मदद करती है। यही वजह है कि इसे अब फालूदा जैसे हेल्दी ड्रिंक्स में भी मिलाया जा सकेगा। नई किस्म न सिर्फ किसानों को अधिक उत्पादन देगी, बल्कि फूड इंडस्ट्री के लिए भी एक नई संभावना बनकर उभरेगी।
विश्वविद्यालय के मंदसौर महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों द्वारा तैयार की गई तुलसी की किस्म में तुलसी की अन्य किस्मों के मुकाबले कई गुना ज्यादा औषधीय गुण हैं। इसकी वजह से यह वैराइटी खास मानी जा रही है। इसे तैयार करने में तीन से चार साल लगे हैं। जल्द ही यह किसानों के लिए उपलब्ध होगी।
प्रो.अरविंद कुमार शुक्ला, कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर
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