Move to Jagran APP

26 December History: 16 साल बाद भी आंखों के सामने है सुनामी की त्रासदी का मंजर, नहीं भूले हैं लोग

आज से 16 साल पहले हिंद महासागर में अचानक चट्टानों सी ऊंची लहरें उठने लगी और दुनिया के कितने ही इलाकों को मलबे में तब्‍दील कर दिया। कहते हैं कि महासागर में आए भूकंप के कारण लहरों में उफान आया था जो एक प्रलय से कम नहीं था।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 10:33 AM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 11:53 AM (IST)
26 December History: 16 साल बाद भी आंखों के सामने है सुनामी की त्रासदी का मंजर, नहीं भूले हैं लोग
आज भी डराता है सुनामी का कहर, हिंद महासागर में आया था तेज भूकंप

नई दिल्‍ली, एजेंसी। पिछले साल के अंत से शुरू हुए कोविड-19 महामारी के कारण पूरी दुनिया अभी दहशत में है। ठीक 16 साल पहले 26 दिसंबर 2004 को सुनामी (Tsunami) ने कहर बरपाया था जिसके कारण पूरी दुनिया में प्रलय के हालात थे। भारत समेत श्रीलंका, इंडोनेशिया समेत कई देशों के तटीय क्षेत्रों के पास बसे अनेक शहर मलबे में तब्‍दील हो गए थे। इस आपदा की वजह वैसे तो हिंद महासागर में 9.15 की तीव्रता वाले भूकंप को माना जाता है, जिसकी वजह से सुनामी की लहरें उठीं और जान-माल सबका नुकसान हुआ।

loksabha election banner

26 दिसंबर 2004 की सुबह थी भयावह

उस साल 26 दिसंबर की भयानक सुबह 7:58 बजे ही अचानक हिंद महासागर की लहरें चट्टान की ऊंचाईयों से होड़ लगाने लगी और जब थमी तब तक न जाने कितने शहरों और लोगों को खुद में समेट लिया। इसका प्रकोप सबसे अधिक दक्षिण भारत, श्रीलंका और इंडोनेशिया पर हुआ। इन देशों के अलावा सुनामी ने थाइलैंड, मेडागास्कर, मालदीव, मलेशिया, म्यांमार, सेशेल्स, सोमालिया, तंजानिया, केन्या, बांग्लादेश पर भी अपना कहर छोड़ा था।

नहीं भूलता त्रासदी का मंजर

इस सुनामी नामक प्राकृतिक आपदा ने ढाई लाख से अधिक लोगों लोगों की जान ले ली थी। भारत स्‍थति पोर्ट ब्लेयर से करीब एक हजार कि.मी. आए भूकंप से पूर्वी भारत में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है। भूकंप और उससे पैदा हुई सुनामी की लहरों ने अंडमान द्वीप समूह, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पांडिचेरी में भारी तबाही मचाई। इसके कारण 13 प्रभावित देशों में 7 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए थे। वहीं आपदा से निपटने के  लिए सरकारी सहायता और निजी दान के रूप में 13.6 अरब डॉलर खर्च किए गए थे। अकेले तमिलनाडु के नागापट्टिनम में सुनामी के कारण 6000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह इलाका सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से एक माना जाता है। यहां के मछुआरा समुदाय जिस तरह इस आपदा के शिकार हुए वो आज एक दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी उस त्रासदी की भयावहता को नहीं भूल पाते और अपनो को याद करने लगते हैं।

पूरी तरह बर्बाद हो गया था सुमात्रा का उत्‍तरी तट

इस सुनामी में भारत में जहां 16,279 लोगों की मौत हुई थी वहीं थाईलैंड में 5,300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बर्मा के तटों पर भी इसका असर दिखा था और भारत का अंडमान निकोबार भी इसकी चपेट में आ चुका था। उधर, इंडोनेशिया के सुमात्रा में समुद्र के नीचे दो प्लेटों में आई दरारें खिसकने से उत्तर से दक्षिण की ओर पानी की लगभग 1000 किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी हुई थी जिसका रुख पूर्व से पश्चिम की ओर था। इस जल प्रलय में इतनी ताकत थी कि सुमात्रा का उत्तरी तट तो पूरी तरह बर्बाद हो गया था। इसके साथ आचेह प्रांत का तटीय इलाका भी पूरी तरह से समुद्री पानी में डूब गया था।

तूफानी लहर को जापानी भाषा में कहते हैं 'सुनामी' 

समुद्री तूफान का नाम 'सुनामी' नाम जापानी भाषा की देन है। इसका अर्थ है 'बंदरगाह के निकट की लहर।' इस तूफान में उठी लहरों की लंबाई और चौड़ाई काफी अधिक यानी सैकड़ों किलोमीटर की होती है। कुल मिलाकर लहरों के निचले हिस्सों के बीच का फासला सैकड़ों किलोमीटर का होता है। ये लहरें तट के पास आती हैं तब निचला हिस्सा जमीन के संपर्क में आता है और इनकी स्‍पीड कम हो जाती है व ऊंचाई बढ़ जाती है। इसके बाद तट से टक्कर मारती हैं तो तबाही होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.