Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Trumps Tariff on India: अगर भारत टैरिफ के दबाव में रूस से तेल खरीदना बंद कर दे तो देश पर क्‍या होगा असर?

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 06:26 PM (IST)

    Trumps Tariff on India अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया। उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में मदद करने का आरोप लगाया है। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल आ रहा है कि अगर टैरिफ के दबाव में आकर भारत रूस के मामले में झुकता है तो क्‍या असर होगा? इस सवाल का जवाब यहां पढ़ें..

    Hero Image
    Trumps Tariff on India: ट्रंप की धमकी के बाद क्या रूस से तेल खरीदना बंद करेगा भारत

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारत और अमेरिका के बीच जब व्यापार समझौते (India America Business Trade) पर बात नहीं बनी तो अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते इंडिया पर 50 प्रतिशत टैरिफ (Trumps Tariff on India ) लगा दिया। डोनाल्‍ड ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन में जंग जारी रखने में पुतिन की मदद कर रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रूस से तेल खरीदार देशों में बेशक चीन पहले नंबर पर है, लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप ने सबसे ज्यादा टैरिफ भारत पर लगाया है। हालांकि, यह 27 अगस्त से लागू होना है। अगर यह बढ़ा हुआ टैरिफ लागू हो जाता है तो अमेरिका को निर्यात करने वाले भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का टैरिफ देना होगा।

    अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने धमकी दी है कि भारत पर आगे भी कई तरह के प्रतिबंध देखने के लिए मिल सकते हैं, ऐसे में एक सवाल लोगों के मन में आ रहा है कि अगर डोनाल्‍ड ट्रंप के लगाए गए टैरिफ के दबाव में आकर भारत रूस के मामले में झुकता है तो क्‍या असर होगा? इस सवाल का जवाब यहां पढ़ें..

    भारत रूस से कितना तेल आयात करता है?

    सेंटर फॉर रिसर्च एनर्जी एंड क्‍लीन एयर के डेटा पर नजर डाले तो देखेंगे कि जून, 2025 तक रूसी तेल के तीन सबसे खरीदार- भारत, चीन और तुर्किये हैं, जिनमें भारत दूसरे सबसे बड़ा तेल आयातक है।

         देश              रूसी तेल आयात में हिस्सेदारी    

    • चीन                     47%
    • भारत                   38%
    • तुर्किये                  6%
    • इयू                      6%

    बता दें कि अगर दुनिया की बात करें तो भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्‍चा तेल आयातक देश है। देश की करीब 85 प्रतिशत तेल की जरूरत आयात से ही पूरी होती है।  

    रूस-यूक्रेन के बाद बदली रणनीति?

    रूस-यूक्रेन जंग से पहले तक भारत अपनी जरूरत के लिए तेल आयात के लिए मिडिल ईस्‍ट देशों पर निर्भर था। साल 2018 की बात करें तो कुल आयात होने वाले तेल में रूसी तेल की हिस्‍सेदारी महज 1.3 फीसदी थी, लेकिन फरवरी, 2022 में  रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ।

    अमेरिका,  ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय संघ ने 5 दिसंबर 2022 को रूस के कच्‍चे तेल की खरीद पर पाबंदी लगा दी। ये प्रतिबंध समुद्री मार्ग से रूसी तेल ले जाने और तेल आपूर्ति करने में परिवहन सहायक सेवाएं जैसे-  वित्तीय सेवाएं, बीमा और रूसी तेल की ब्रोकरेज आदि पर लगे थे।

    समुद्री रास्‍ते से रूस के तेल व्यापार पर लगा यह प्रतिबंध उतना सफल नहीं रहा है, जितना कि अनुमान लगाया गया था। यूरोपीय संघ के कई देश अभी भी पाइपलाइन के जरिये रूस से तेल आयात कर रहे हैं। हालांकि, इन देशों के रूस से तेल खरीदारी में करीब 80 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई।

    भारत ने स्पष्ट कर दिया कि उसकी पश्चिमी और यूरोपीय देशों के प्रतिबंध में शामिल होने की कोई योजना नहीं है और अगर वह ऐसा करता है तो तेल की कीमतें बहुत ज्‍यादा बढ़ सकती हैं।

    दूसरी ओर मिडिल ईस्‍ट देशों में कुछ न कुछ अशांति चलती रहती है, ऐसे में भारत अपने हित को ध्‍यान में रखकर ही फैसला लेगा। प्रतिबंध के बाद रूसी कच्चे तेल की कीमत गिरने लगीं तो भारत ने आयात बढ़ा दिया। साल 2024-2025 में भारत के कच्चे तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी बढ़कर 35 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गई।

    ICRA  के अनुमानों की मानें तो रियायती तेल खरीद से भारत ने  इंपोर्ट बिल में वित्त वर्ष 2022-23 में  5.1 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 अरब डॉलर की बचत की। इसके चलते भारत के क्रूड बास्केट के रेट मार्च 2022 में 112.87 डॉलर प्रति बैरल थे, जोकि मई 2025 में घटकर 64 डॉलर प्रति बैरल रह गई है।

    अगर रूस से तेल खरीदना बंद किया तो क्या असर होगा?

    अगर भारत ट्रंप के दबाव में तेल खरीदना बंद करता है तो आर्थिक, ऊर्जा सुरक्षा, कूटनीति और घरेलू महंगाई तक कई स्तरों पर असर पड़ेगा। अंतरराष्‍ट्रीय मामलों पर शोध कर रही मोनिका वर्मा के मुताबिक, भारत अगर रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो ... 

    • ऊर्जा लागत और महंगाई बढ़ेगी: भारत 2022 से रूस से भारी रियायत दर पर तेल खरीद रहा है। अगर रूस से तेल खरीदना बंद किया तो मिडिल ईस्‍ट - सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात या अफ्रीका से तेल आयात करना होगा जोकि महंगा पड़ेगा। इससे पेट्रोल-डीजल, ट्रांसपोर्ट और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
    • विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार घाटा : महंगा तेल खरीदने से आयात बिल (Import bill) बढ़ेगा, जिससे चालू खाते घाटा (CAD) बढ़ेगा, रुपया कमजोर होगा। RBI को डॉलर बेचकर रुपये को सपोर्ट करना पड़ेगा, जिससे देश के पास जो विदेशी मुद्रा भंडार (डॉलर की बचत) है, वह घटेगा।
    • रिफाइनरी ऑपरेशंस और मुनाफा : देश की कई रिफाइनरी जैसे- रिलींस, IOC और HPCL ने रूसी ग्रेड के मुताबिक प्रोसेसिंग एडजस्ट कर ली है। तेल आयात करने का स्रोत बदलने से रिफाइनिंग मार्जिन में कटौती होगी और प्रोसेसिंग लागत बढ़ जाएगी। यानी भारत अभी तक रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात कर उसे प्रोसेस करता और फिर पेट्रोल/डीजल एक्सपोर्ट करता है, जिससे जो लाभ होता था, वो भी घट जाएगा।
    • कूटनीतिक मात: रूस से तेल खरीदने को भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है। अगर रूस से तेल खरीदना बंद करता है तो दुनिया संदेश जाएगा कि भारत दबाव में झुक गया। दूसरी रूस के साथ  रक्षा और ऊर्जा साझेदारी पर असर पड़ेगा। चीन और रूस और करीब आ सकते हैं, जिससे भारत के लिए भू-राजनीतिक खतरा बढ़ा सकता है।
    • ऊर्जा सुरक्षा घटेगी: भारत अब मिडिल ईस्ट के देशों के साथ-साथ रूस से भी तेल खरीदता है, जिससे  मिडिल ईस्ट पर निर्भरता कम हुई थी। मिडिल ईस्ट में किसी तरह का तनाव या सुरक्षा संकट के समय में भारत में तेल के दामों पर बहुत असर नहीं पड़ता है। रूस से तेल खरीदना बंद किया तो भारत पर तेल की आपूर्ति के लिए फिर मिडिल ईस्ट पर निर्भर हो जाएगा, जिससे ऊर्जा सुरक्षा का जोखिम बढ़ेगा।  

    क्या महंगाई बढ़ जाएगी?

    अगर भारत अमेरिका के दबाव में रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है तो उसका ईंधन खर्च काफी बढ़ सकता है।

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा था-

    तेल आयात का सोर्स बदलता है तो देश में कीमत पर असर कितना पड़ेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत क्या है दूसरे हालात कैसे हैं।

    यह भी है कि कच्चे तेल की दाम ऊपर जाएंगे या घटेंगे, इस बात पर भी निर्भर होंगे कि सरकार  एक्साइज ड्यूटी और दूसरे टैक्स कितने कम कर सकती है, यानी कि खुद पर कितना भार लेती है।

    इसलिए तेल आयात का स्रोत बदलने की वजह से महंगाई पर कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा है। हां, अगर कोई झटका लगता है तो केंद्र सरकार आर्थिक मोर्चे पर उचित फैसला लेगी।

    यह भी पढ़ें- 'ट्रंप से निपटने के लिए पीएम मोदी को...', नेतन्याहू का बड़ा बयान; बोले- Modi मेरे अच्छे दोस्त

    क्‍या भारत के साथ ही अमेरिका पर भी पड़ेगा असर?

    इंडिपेंडेंट एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट के चेयरमैन नरेंद्र तनेजा ने रूस से तेल खरीदने को लेकर बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि भारत का रूस से तेल खरीदना बंद करने का मतलब है कि अचानक ग्लोबल सप्लाई सिस्टम का गायब होना। कोई भी बाजार इस मांग को पूरा नहीं कर पाएगा।

    उन्‍होंने कहा कि इससे अचानक तेल की कीमतें बढ़ने की आशंका है, जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा। इस असर दुनिया भर के उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, यहां तक अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहेगा। हालांकि कीमत कितनी बढ़ेगी, यह अभी बताना मुश्किल है।

    ट्रंप के फैसले पर भारत ने क्‍या रिएक्‍शन दिया?

    डोनाल्‍ड ट्रंप ने 6 अगस्‍त को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्‍त टैरिफ लगाया। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले को गैर-जरूरी, अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि रूस से तेल खरीदना देश की एक अरब 40 करोड़ लोगों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है और यह मार्केट फैक्‍टर पर निर्भर करता है। ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप का यह कदम पूरी तरह गैर-जरूरी, अनुचित और अन्यायपूर्ण है।

    यह भी पढ़ें- अगर तेल नहीं है टैरिफ की असली वजह तो भारत से क्‍या चाहता है अमेरिका? रूसी मीडिया ने बताई सच्‍चाई

    Source

    • सेंटर फॉर रिसर्च एनर्जी एंड क्‍लीन एयर की आधिकारिक वेबसाइट - energyandcleanair.org
    • द नेशनल ब्‍यूरो ऑफ एशियन रिसर्च पर पब्लिश लेख - www.nbr.org
    • ICRA के अनुमान का डेटा
    • आरबीआई गर्वनर संजय मल्‍होत्रा का बयान
    • इंडिपेंडेंट एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट के चेयरमैन नरेंद्र तनेजा का साक्षात्‍कार