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    ट्रंप के 'टैरिफ बम' से प्रभावित होगा व्यापार, अमेरिका में महंगे हो जाएंगे सामान; भारत बोला- राष्ट्रहित से समझौता नहीं

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 09:23 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के लिए 25% शुल्क लगाने की घोषणा की है जिससे भारतीय वस्तुओं की कीमत बढ़ सकती है। भारत सालाना 440 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार करता है जिसमें 90 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका में होता है। शुल्क वृद्धि से टेक्सटाइल लेदर और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ेगा।

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    टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, जेम्स व ज्वैलरी का होता है निर्यात (फोटो: रॉयटर्स)

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत की उम्मीद के विपरीत 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की सोशल मीडिया पर घोषणा कर दी। ट्रंप के पूर्व के रवैये को देखते हुए 25 प्रतिशत का शुल्क कायम रहने की संभावना कम दिख रही है, लेकिन अगर यह शुल्क जारी रहा तो यह भारतीय वस्तु निर्यात के लिए निश्चित रूप से झटका है।

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    भारत सालाना 440 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार करता है और इनमें 90 अरब डॉलर का निर्यात अकेले अमेरिका के बाजार में होता है। टेक्सटाइल, लेदर, फुटवियर, जेम्स व ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग गुड्स जैसे रोजगारपरक सेक्टर का 22 प्रतिशत निर्यात अमेरिका में होता है।

    भारतीय वस्तुएं हो जाएंगी महंगी

    अब 25 प्रतिशत के शुल्क लगने के बाद भारतीय वस्तुएं अमेरिका के बाजार में वियतनाम, इंडोनेशिया, यूरोपीय यूनियन, जापान जैसे देशों की वस्तुओं के मुकाबले अधिक महंगी हो जाएंगी और उनकी बिक्री प्रभावित होगी। क्योंकि इन देशों पर अमेरिका ने भारत के मुकाबले कम शुल्क लगाया है। चीन पर अमेरिका ने फिलहाल 30 प्रतिशत का शुल्क लगा रखा है, इस हिसाब से चीन और भारत के बीच शुल्क का अंतर काफी कम रह जाएगा।

    चीन काफी बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है, इसलिए चीन की लागत भारत के मुकाबले कम होती है। ऐसे में भारत अमेरिका के बाजार में चीन से भी मुकाबला नहीं कर पाएगा। सिर्फ बांग्लादेश के मुकाबले भारत पर कम टैक्स लगा है, लेकिन बांग्लादेश के साथ सिर्फ टेक्सटाइल और फुटवियर में भारत का मुकाबला है। यूरोपीय यूनियन और जापान पर ट्रंप ने 15-15 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 19 प्रतिशत, वियतनाम पर 20 प्रतिशत तो बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत का शुल्क लगाया है।

    अभी लगता है 10 फीसदी टैरिफ

    • मैक्सिको और कनाडा पर भी अमेरिका ने 35-35 प्रतिशत का शुल्क लगाने की धमकी दी है। अमेरिका सबसे अधिक आयात कनाडा, मैक्सिको और चीन से ही करता है। दो अप्रैल को अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जिसे गत आठ अप्रैल को 90 दिनों के लिए टाल दिया गया था, फिर उसकी एक अवधि एक अगस्त तक के लिए टाल दी गई।
    • तब भारत पर सिर्फ 10 प्रतिशत का शुल्क लगाया गया जो फिलहाल जारी है। ऐसे में, गारमेंट, लेदर गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, जेम्स व ज्वैलरी, फार्मा जैसे आइटम का चीन को मिलने वाला ऑर्डर भारत की ओर शिफ्ट हो रहा था। तभी इस साल अप्रैल से लेकर जून तक में भारत से अमेरिका होने वाले निर्यात में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 20 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ। अब यह प्रभावित होगा।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के निर्यात में वियतनाम भी भारत को कड़ी टक्कर देता है और वियतनाम पर अमेरिका ने 20 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। काउंसिल ऑफ लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन आर.के. जालान ने बताया कि वह अमेरिका में सबसे अधिक निर्यात करते हैं और 25 प्रतिशत के शुल्क की घोषणा निश्चित रूप से भारत के लिए झटका है। इससे हमारा निर्यात आज की तारीख में प्रभावित होता दिख रहा है। लेकिन हमें उम्मीद है कि सरकार कोई न कोई रास्ता निकाल लेगी।

    एप्पल जैसी कंपनियां होंगी प्रभावित

    25 प्रतिशत का शुल्क लगने से एप्पल जैसी कंपनियां प्रभावित होंगी क्योंकि एप्पल इन दिनों से भारत से ही सबसे अधिक स्मार्टफोन का निर्यात अमेरिका में कर रही है। चीन पर अधिक शुल्क लगने के बाद यह निर्यात काफी तेजी से बढ़ा है। अब एप्पल जैसी कंपनियां भारत में उत्पादन विस्तार को लेकर पुनर्विचार करेंगी। भारत में निवेश कर यहां से वैश्विक रूप से निर्यात का मन बना रही अमेरिकी कंपनियां अपना फैसला पलट सकती है।

    ट्रंप ने हाल ही में यूरोपीय यूनियन औ जापान पर पहले 30 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की, लेकिन दोनों देशों की तरफ से इस शुल्क पर आपत्ति जाहिर करने के बाद फिर से वार्ता हुई और उसे शुल्क को घटा कर 15 प्रतिशत कर दिया गया। वैसे ही वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ किया गया। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि भारतीय नेतृत्व की पहल पर इसका कोई न कोई हल निकल आएगा।

    बीटीए से भारत को काफी उम्मीद

    गत अप्रैल से ही भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) को लेकर वार्ता चल रही है और इस दिशा में कई राउंड की वार्ता हो चुकी है। माना जा रहा है कि सितंबर में बीटीए के पहले चरण को पूरा कर लिया जाएगा और तब कई सारी वस्तुओं पर शुल्क समाप्त होने या काफी कम हो जाने की उम्मीद है।

    ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने सिर्फ भारत से बीटीए करने की घोषणा की थी। आगामी 25 अगस्त को बीटीए पर वार्ता के लिए अमेरिका के वार्ताकार भारत आ रहे हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष अजय सहाय कहते हैं कि बीटीए के बाद 25 प्रतिशत के इस शुल्क का कोई मायने नहीं रह जाएगा और कई वस्तुओं पर काफी कम शुल्क हो जाएगी।

    क्या होगा सरकार का अगला कदम?

    अमेरिका का बाजार भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है जिसे किसी भी हाल में भारत खोना नहीं चाहेगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार की पूरी कोशिश होगी कि 25 प्रतिशत के शुल्क को कम करवाया जाए या फिर भारत अमेरिका से आश्वस्त होगा कि बीटीए के तहत भारतीय वस्तुओं पर शुल्क में राहत के लिए अमेरिका तैयार हो जाएगा। सितंबर में बीटीए होता है तो सिर्फ एक माह के लिए भारतीय निर्यात प्रभावित होगा और तबतक के लिए भारतीय निर्यात अपने निर्यात ऑर्डर को होल्ड पर कर सकते हैं।

    वाणिज्य मंत्रालय ने ट्रंप के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत किसान, एमएसएमई, उद्यमी और राष्ट्रहित के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता है और भारत अपने इस रुख पर कायम है। मंत्रालय ने कहा कि बीटीए पर अमेरिका के साथ वार्ता जारी है और भारत अमेरिका के साथ एक संतुलित व्यापार समझौता करना चाहेगा। हम इस उद्देश्य को पाने के लिए प्रतिबद्ध है।