'24 घंटे में भारत पर भारी टैरिफ', ट्रंप की धमकी से नहीं टूटेगी इंडिया-रूस की दोस्ती; क्या है सरकार का प्लान?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को खराब कारोबारी साझेदार बताते हुए शुल्क दरों में वृद्धि की धमकी दी है। उन्होंने भारतीय आयात पर 25% टैक्स लगाने की बात कही है। भारत ने इसे अन्यायपूर्ण बताया है और कारोबारी समझौते में झुकने से इनकार कर दिया है। ट्रंप ने रूस से भारत की ऊर्जा खरीद पर भी सवाल उठाए हैं।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका की टैरिफ शुल्क पर भारत के कड़े प्रतिकार के बावजूद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। वह उसी अंदाज में भारत को धमकी देना जारी रखे हुए हैं।
अब ट्रंप ने भारत को एक खराब कारोबारी साझेदार देश बताते हुए अगले 24 घंटे में शुल्क की दरों में और वृद्धि करने की बात कही है। ठिक पांच दिन पहले यानी एक अगस्त, 2025 को ट्रंप ने भारतीय आयात पर 25 फीसद टैक्स लगाने के अध्यादेश पर हस्ताक्षर किया था और अब कहा है कि वह शुल्क की दर को काफी ज्यादा बढ़ाने जा रहे हैं।
भारत की तरफ से इस पर खबर लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। एक दिन पहले जब ट्रंप ने भारतीय आयात पर शुल्क की दर को बढ़ाने की घोषणा की थी तब भारत ने इसे अन्यायपूर्ण व अकारण करार दिया था। भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि वह कारोबारी समझौते में अपने रूख पर नहीं झुकने वाला।
भारत के बारे में ट्रंप का बयान
एक अमेरिकी मीडिया चैनल को दिए गए साक्षात्कार में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि, "भारत के बारे में यह नहीं कहना चाहता लेकिन वह सबसे ज्यादा शुल्क लगाने वाला देश है। हम भारत के साथ बहुत ही कम कारोबार करते हैं क्योंकि वह काफी ज्यादा शुल्क लगाता है। भारत एक अच्छा कारोबारी साझेदार देश नहीं है। वह हमारे साथ बहुत कारोबार करता है। लेकिन हम उसके साथ कारोबार नहीं करते। इसलिए ही हमने उन पर 25 फीसद टैक्स लगाया है लेकिन मैं समझता हूं कि अगले 24 घंटें में भारत पर शुल्क की दरों में काफी वृद्धि करने जा रहे हैं।"
इसके बाद ट्रंप ने रूस से भारत की तरफ से ऊर्जा खरीद का मुद्दा भी उठा दिया और कहा कि, “भारत रूस की युद्ध मशीनरी को ईंधन दे रहा है। मैं इससे खुश नहीं हूं।''कुछ इसी तरह की बात ट्रंप ने एक दिन पहले सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर भी कही थी।
इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा था कि, “अमेरिका अभी भी रूस से यूरेनियम की खरीद कर रहा है। अपनी इलेक्टि्रक वाहन उद्योग के लिए रूस से पैलेडियम खरीद रहा है। ऐसी पृष्टभूमि में भारत को निशाना बनाना अन्यायपूर्ण व अनुचित है। अन्य देशों की तरह भारत भी अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के हिसाब से कदम उठाएगा।''
भारत ने दिखाया आईना
इस स्थिति से साफ है कि भारत और अमेरिका के कूटनीतिक संबंधों में खाई चौड़ी होने लगी है। दो महीनों तक अमेरिकी राष्ट्रपति के आपत्तिजनक बयानों पर चुप्पी साधने के बाद भारत सरकार ने सधी कूटनीतिक भाषा में आईना दिखा दिया है।
कुछ जानकार दोनों देशों की मौजूदा स्थिति की तुलना पूर्व में वर्ष 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद या वर्ष 2013 में भारत की महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े पर वीजा फ्राड का आरोप लगने के बाद दोनों देशों के बीच उपजे तनाव से किया जा रहा है।
अमेरिका के सामने झुकने से भारत का इनकार
इन दोनों मौकों पर भारत ने अमेरिकी दबाव के सामने झुकने से साफ इनकार कर दिया था। वर्ष 2013 में जिस तरह से व्यवहार भारतीय राजनयिकों से अमेरिका में किया गया, अमेरिकी राजनयिकों के साथ वैसा ही व्यवहार भारत ने किया।रूस के साथ कारोबार करने के अमेरिकी दबाव पर भी भारत झुकने नहीं जा रहा है।
इस साल के अंत तक रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के भारत आने की तैयारी की जा रही है। हर साल भारत और रूस के बीच शिखर वार्ता होती है। वर्ष 2024 में पीएम मोदी इसके लिए मास्को गये थे।
नई दिल्ली आएंगे पुतिन
अब पुतिन को नई दिल्ली आना है। इसकी तैयारी के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इसी हफ्ते रूस जाने वाले हैं। जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इसके बाद रूस की यात्रा पर जाएंगे।
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