ट्रंप ने भारत पर टैरिफ शायद अहंकार में लगाया है, भारतीय विशेषज्ञ बोले- चीन अमेरिका को लगातार दे रहा चुनौती
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चीनी मामलों के विशेषज्ञ श्रीकांत कोंडापल्ली ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संभवत अपने अहंकार के चलते भारतीय आयात पर टैरिफ लगाया है जबकि मुख्य मुद्दा हमेशा से चीन द्वारा अमेरिका के वैश्विक आधिपत्य को चुनौती देना रहा है। यदि ट्रंप का गुस्सा ट्रेड सरप्लस को लेकर है तो यह वास्तव में चीन पर होना चाहिए न कि भारत पर।

एएनआई, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चीनी मामलों के विशेषज्ञ श्रीकांत कोंडापल्ली ने शनिवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संभवत: अपने अहंकार के चलते भारतीय आयात पर टैरिफ लगाया है, जबकि मुख्य मुद्दा हमेशा से चीन द्वारा अमेरिका के वैश्विक आधिपत्य को चुनौती देना रहा है।
यदि ट्रंप का गुस्सा ट्रेड सरप्लस को लेकर है, तो यह वास्तव में चीन पर होना चाहिए, न कि भारत पर। भारत इस मुद्दे पर परिदृश्य में ही नहीं है। यह मामला शायद व्यक्तिगत अहंकार के कारण सामने आया, जैसे नोबेल पुरस्कार या संघर्ष विराम।
अमेरिका-चीन संबंधों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बुनियादी समस्या यह है कि चीन अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती दे रहा है। भले ही दोनों देश व्यापार समझौते पर पहुंच जाएं, लेकिन अमेरिका में चीन को ''रणनीतिक प्रतिस्पर्धी'' के रूप में देखने पर दोनों दलों की आम सहमति है।
चीन पर भरोसा करने से पहले जांच-पड़ताल करने की जरूरत
कोंडापल्ली ने कहा कि भारत को चीन की जांच-पड़ताल करने और इसके बाद उस पर भरोसा करने की जरूरत है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अभी तक सैन्य वापसी नहीं हुई है, सीमा पार आतंकवाद को लेकर बीजिंग का दोहरा मापदंड रहा है, उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को जानकारी दी और भारत की चिंताओं के बावजूद ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से में दुनिया की सबसे बड़ी बांध परियोजना की घोषणा की।
कहा कि जब 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ था, तो एक आतंकवादी के पास चीनी सेटेलाइट कनेक्शन वाला हुआवे फोन था।
शरणार्थियों की संख्या कम करने की योजना बना रहा ट्रंप प्रशासन
ट्रंप प्रशासन शरणार्थियों की संख्या कम करने की योजना बना रहा है। दस्तावेज के अनुसार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शरणार्थियों के प्रवेश की अधिकतम सीमा को घटाकर 7,500 कर सकते हैं। यह संख्या पिछले साल बाइडन प्रशासन द्वारा निर्धारित 125,000 की सीमा से काफी कम है।
शरणार्थियों के प्रवेश की नई सीमा, ट्रंप द्वारा 2020 में पद छोड़ने से पहले निर्धारित की गई पिछली न्यूनतम सीमा 15,000 की आधी होगी। नई सीमा से विश्वभर में शिविरों में प्रतीक्षा कर रहे हजारों परिवारों के लिए दरवाजे बंद हो जाएंगे।
प्रवेश की सीमा तभी तय होगी
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि प्रवेश की सीमा तभी तय होगी जब प्रशासन कांग्रेस के साथ परामर्श करेगा। अधिकारी ने कहा कि सरकारी कामकाज ठप होने के कारण यह परामर्श नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि एक अक्टूबर से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में किसी भी शरणार्थी को देश में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जब तक कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सरकार को फंडिंग करने के लिए समझौता नहीं कर लेते।
शरणार्थी अधर में लटके हुए हैं
मैरीलैंड के प्रतिनिधि जेमी रस्किन और वाशिंगटन की प्रमिला जयपाल तथा इलिनोइस के सीनेटर डिक डर्बिन और कैलिफोर्निया के एलेक्स पैडीला ने बयान में कहा, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन समिति के कर्मचारियों द्वारा बार-बार संपर्क करने के बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने अपने कानूनी दायित्व को पूरी तरह से त्याग दिया है, जिससे कांग्रेस अंधेरे में और शरणार्थी अधर में लटके हुए हैं।
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