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    'शेयर मार्केट में पैसे लगाने से पहले...', Tariff War से भारत पर कितना पड़ेगा असर? एक्सपर्ट्स ने दिया सटीक जवाब

    Updated: Wed, 16 Apr 2025 08:48 PM (IST)

    एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के एमडी और सीईओ धीरज रेली ने अनुमान लगाया कि अगले एक दशक या उससे भी ज्यादा समय भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल रहेगा। भारत कम से कम 6.5 फीसद की सालाना आर्थिक विकास दर के आसपास रहेगा। अगर तीन-साढ़े तीन फीसद की महंगाई दर को जोड़ लिया जाए तो नोमिनल विकास की दर 10 या 10.5 फीसद बनी रहेगी।

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    ट्रंप की टैरिफ से भारत को डरने की जरूरत नहीं: एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के एमडी और सीईओ धीरज रेली।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध रोज एक नया रूप ले रहा है। इससे दुनिया भर के प्रमुख शेयर बाजारों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। भारत के शेयर बाजार पर भी इसका असर है।

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    इस साल अपनी स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रही देश की प्रमुख शेयर ब्रोकिंग कंपनी एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के एमडी और सीईओ धीरज रेली का कहना है कि वैश्विक अनिश्चतता का सबसे कम असर भारत पर होगा।

    आइटी, फार्मा व कुछ निर्यात संबंधी उद्योग सेक्टरों के अलावा अन्य सेक्टर की कंपनियों की स्थिति बेहतर रहेगी। वह यहां तक मानते हैं कि वर्ष 2025-26 में निवेशकों को बेहतरीन शेयरों में निवेश का बढ़िया मौका मिलेगा। हालांकि, वह निवेशकों को भी सलाह देते हैं कि उन्हें सही तरीके से शोध करके बाजार में प्रवेश करना चाहिए।

    तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल रहेगा भारत

    दैनिक जागरण के साथ एक विशेष बातचीत में रेली ने अनुमान लगाया कि अगले एक दशक या उससे भी ज्यादा समय भारत सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था में शामिल रहेगा। भारत कम से कम 6.5 फीसद की सालाना आर्थिक विकास दर के आसपास रहेगा। अगर तीन-साढ़े तीन फीसद की महंगाई दर को जोड़ लिया जाए तो नोमिनल विकास की दर 10 या 10.5 फीसद बनी रहेगी।

    साथ ही अर्थव्यवस्था के दूसरे आधारभूत तत्व भी भी मजबूत बने हुए हैं। उन्होंने कहा,''हमारे पास एक स्थिर सरकार है, जीडीपी की वृद्धि दर लगातार अच्छी बनी हुई है, प्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि भी उत्साहजनक है। भारत की जनसंख्या अभी जिस स्तर पर है, उसका भी पूरा लाभ मिलेगा। हमारे पास विकास की ऊंचाई छूने के लिए लंबी रेनवे है। यह भी याद रखिए कि भारत की इकोनमी अमूमन घरेलू मांग पर निर्भर है यानी वैश्विक स्तर पर जो उथल-पुथल अभी हम देख रहे हैं, उसका भारत पर कम असर होगा।"

    भारतीय कंपनियों के राजस्व में औसतन 22 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई

    'यह पूछे जाने पर कि टैरिफ वार के आगे बढ़ने के साथ भारतीय शेयर बाजार किस तरह से बदलाव देख सकते हैं, एचडीएफसी सिक्यूरिटीज के एमडी व सीईओ ने कहा कि वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के दौरान भारतीय कंपनियों के राजस्व में औसतन 22 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है, पिछले साल ग्रोथ कम हुई है। अभी की स्थिति में कुछ कम बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के शेयर भाव अभी भी ज्यादा प्रतीत होते हैं लेकिन अधिकांश बड़ी पूंजीकरण वाली कंपनियां के शेयर भाव सही हैं।

    सेक्टर वार देखे जो सीमेंट, रीयल स्टेट, घरेलू उपकरण बनाने वाली कंपनियां ठीक कर रही हैं, लेकिन फार्मा, सूचना प्रौद्योगिक या इस तरह से निर्यात आधारित कंपनियों के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। खास तौर पर आइटी सेक्टर अमेरिका व दूसरे पश्चिमी देशों में मंदी से प्रभावित होने का ज्यादा खतरा है। बैंकिंग, वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियां बेहतर स्थिति में है।

    इंफ्रास्ट्रक्चर व बिल्डिंग उत्पाद बनाने वाली कंपनियां बेहतर करेंगी।रेली ने कहा कि निवेशकों को अपना शोध सही तरीके से करना चाहिए। किसी सोशल मीडिया इंफ्यूलेंसर के टिप्स पर ही नहीं जाना चाहिए। साथ ही हर निवेशक को अपनी जोखिम लेने की क्षमता के बारे में पता होना चाहिए। उसका सही आकलन करके निवेश फैसला करना चाहिए।

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