ट्रंप के टैरिफ से भारत डरेगा नहीं, निर्यातकों की मदद के लिए सरकार ने बनाया मास्टर प्लान
अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क से वर्ष 2025 में 5.7 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। इनमें मुख्य रूप से मछली व अन्य समुद्री उत्पाद जेम्स व ज्वैलरी स्टील के सामान कार्पेट मुख्य रूप से शामिल है। भारत के लघु निर्यातक अमेरिका में पेपर पेपरबोर्ड व संबंधित आइटम टूल्स कटलेरी व किचन का सामान का निर्यात करते हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रंप सरकार के पारस्परिक शुल्क की घोषणा से निर्यात पर होने वाले असर को रोकने के लिए सरकार जल्द ही वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकती है। निर्यातकों को नए बाजार की तलाश के साथ लागत को कम करने के लिए वित्तीय मदद दी जा सकती है। हालांकि निर्यातक ब्याज दरों में छूट के साथ कई अन्य मदद की भी मांग कर रहे हैं।
आगामी बुधवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के साथ विभिन्न सेक्टर के एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की बैठक भी बुलाई है। पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद से ही सरकार के स्तर पर निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन शुरू हो चुका है।
'भारत सरकार को अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए'
निर्यातकों के मुताबिक वे चाहते हैं कि अमेरिका व भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) के पहले चरण को पूरा होने तक पारस्परिक शुल्क को टाल दिया जाए। इस संबंध में भारत सरकार को अमेरिका की सरकार से बातचीत करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो भारत को अगले दो-तीन माह में बीटीए के पहले चरण का समझौता कर लेना चाहिए। अभी दोनों देश आगामी सितंबर-अक्टूबर तक बीटीए के पहले चरण पर समझौते की उम्मीद जता रहे हैं।
निर्यातकों का कहना है कि तब तक बहुत देर हो जाएगी और उनका भारी नुकसान हो जाएगा।पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद दुनिया के कई देशों ने ट्रंप सरकार से शुल्क में कमी को लेकर बातचीत की शुरुआत कर दी है और इनमें अमेरिका के बाजार में भारत को प्रतिस्पर्धा देने वाले देश भी शामिल हैं।
वियतनाम ने अमेरिकी वस्तु पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया
इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात में भारत को कड़ा मुकाबला देने वाले वियतनाम ने अमेरिकी वस्तु पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है और अब वियतनाम अमेरिका से अपने ऊपर लगाए गए 46 प्रतिशत के शुल्क को समाप्त करने की गुजारिश कर रहा है।
निर्यातकों का कहना है कि भारत को जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि अनिश्चितता की वजह से अमेरिका से नए आर्डर ठप है और अमेरिकी खरीदारी पुराने आर्डर की डिलिवरी भी फिलहाल लेने से मना कर रहे हैं। खरीदार कीमत में छूट की भी मांग कर रहे हैं।
ट्रंप के फैसले से छोटे निर्यातक अधिक प्रभावित होंगे
निर्यातकों का कहना है कि खरीदार को छूट देने की स्थिति में उसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन के मुताबिक ट्रंप के फैसले से छोटे निर्यातक अधिक प्रभावित होंगे। वे अपने खरीदार को कीमत में छूट भी नहीं दे सकते हैं। नए बाजार की तलाश के लिए के साथ ब्याज में छूट की भी मांग की जा रही है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क से वर्ष 2025 में 5.7 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। इनमें मुख्य रूप से मछली व अन्य समुद्री उत्पाद, जेम्स व ज्वैलरी, स्टील के सामान, कार्पेट मुख्य रूप से शामिल है। भारत के लघु निर्यातक अमेरिका में पेपर, पेपरबोर्ड व संबंधित आइटम, टूल्स, कटलेरी व किचन का सामान का निर्यात करते हैं।
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